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FPI ने जून और जुलाई में NSE के ₹3500 करोड़ के शेयर बेचे, किस वजह से घट रही दिलचस्पी

NSE का अप्रैल-जून 2024 तिमाही में कंसोलिडेटेड शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 39 प्रतिशत बढ़कर 2,567 करोड़ रुपये हो गया। जून ​2024 तिमाही में ऑपरेशंस से कंसोलिडेटेड रेवेन्यू सालाना आधार पर 51 प्रतिशत बढ़कर 4510 करोड़ रुपये हो गया। कंसोलिडेटेड बेसिस पर अर्निंग्स प्रति शेयर बढ़कर 51.86 रुपये हो गई। नेट प्रॉफिट मार्जिन 52 प्रतिशत रहा

अपडेटेड Aug 26, 2024 पर 12:27 PM
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अप्रैल-जून तिमाही में विदेशी निवेशकों ने NSE में अपनी हिस्सेदारी और घटाकर 24.08 प्रतिशत कर दी।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI), नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के शेयरों में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। जून और जुलाई में उन्होंने NSE के 3,500 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। FPI लगातार 6 महीनों से NSE के शेयर बेच रहे हैं। उन्होंने आखिरी बार जनवरी में NSE शेयरों में खरीद की थी। हाल के महीनों में FPI की ओर से बिक्री के वॉल्यूम में भी उछाल देखा गया है।

जून और जुलाई के दौरान कुल मिलाकर क्रमशः 73.1 लाख और 98.3 लाख NSE शेयरों का कारोबार हुआ, जिसमें विदेशी निवेशकों द्वारा बिक्री का योगदान 50 प्रतिशत से अधिक रहा। NSE के डेटा के मुताबिक, उन्होंने जून में 47.6 लाख और जुलाई में 37.8 लाख शेयर बेच दिए। यह पिछले महीनों की तुलना में FPI की बिक्री में बड़ी वृद्धि है। FPI द्वारा बेचे गए शेयर ज्यादातर निवासी और गैर-निवासी निवेशकों द्वारा खरीदे गए हैं।

क्या है बिकवाली की वजह


मार्केट पार्टिसिपेंट्स का कहना है कि NSE के लंबे समय से डिले हो रहे IPO को लेकर अनिश्चितता और इक्विटी डेरिवेटिव्स स्पेस में BSE से बढ़ती प्रतिस्पर्धा इस बिकवाली का कारण है। विशेषज्ञों ने आगे कहा कि इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट के लिए प्रस्तावित मानदंड, वॉल्यूम को और कम कर सकते हैं। इससे ट्रांजेक्शन फीस से रेवेन्यू प्रभावित हो सकता है, जो NSE के लिए आय का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके अतिरिक्त, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नए नियमों के बाद करेंसी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में NSE के घटते दबदबे से भी धारणा प्रभावित हुई है।

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जून 2024 तिमाही में विदेशी निवेशकों ने और घटाई हिस्सेदारी

अप्रैल-जून तिमाही में विदेशी निवेशकों ने NSE में अपनी हिस्सेदारी और घटाकर 24.08 प्रतिशत कर दी। मार्च 2024 तिमाही में यह 24.81 प्रतिश्ता थी, वहीं जून 2023 तिमाही में 25.15 प्रतिशत थी। NSE की वेबसाइट के मुताबिक, जुलाई के लिए औसत शेयर कीमत 4,282.15 रुपये प्रति शेयर आंकी गई। यह जून की कीमत 3,946.54 रुपये से 8 प्रतिशत अधिक है। वहीं पिछले साल जुलाई के लिए औसत शेयर कीमत की तुलना में 42.8 प्रतिशत अधिक है।

NSE के शेयरहोल्डर्स में राधाकिशन दमानी भी ​शामिल

पिछले पांच वर्षों में NSE के शेयर रखने वाले धनी निवेशकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2021 के अंत में, मुश्किल से 650 व्यक्तियों के पास NSE के शेयर थे। अब यह संख्या बढ़कर 4,300 से अधिक हो गई है। शेयरहोल्डर्स में DMart के फाउंडर राधाकिशन दमानी के साथ-साथ उद्योग के कई दिग्गज और प्रतिष्ठित शेयर बाजार निवेशक शामिल हैं।

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