विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय शेयर बाजार में फिर से बायर बन गए हैं। अक्टूबर में FPI ने भारतीय शेयर बाजार में शुद्ध रूप से 14,610 करोड़ रुपये डाले हैं। इससे पहले उन्होंने लगातार 3 महीने पैसे निकाले थे। इस निवेश को कंपनियों के मजबूत तिमाही नतीजों, अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती और अमेरिका-भारत के बीच व्यापार समझौता जल्द होने की उम्मीदों से बल मिला। इस बीच बॉन्ड बाजार में FPI ने जनरल लिमिट के तहत लगभग 3,507 करोड़ रुपये का निवेश किया। वहीं वॉलंटरी रिटेंशन रूट से 427 करोड़ रुपये निकाले।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, FPI ने भारतीय शेयरों से सितंबर 2025 में 23,885 करोड़ रुपये, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये निकाले थे। अक्टूबर में शुद्ध निवेश के बावजूद FPI साल 2025 में अब तक शेयरों से लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के प्रिंसिपल, मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि यह बदलाव हाल ही में हुए सुधारों और प्रमुख क्षेत्रों में मजबूत तिमाही नतीजों के बाद जोखिम उठाने के बेहतर सेंटिमेंट और आकर्षक वैल्यूएशन के कारण हुआ है। साथ ही इसके पीछे महंगाई में कमी, इंट्रेस्ट रेट साइकिल में नरमी की उम्मीदें और GST सिस्टम में बदलाव जैसे सहायक फैक्टर भी हैं। इससे निवेशकों का विश्वास और मजबूत हुआ है। FPI के मौजूदा रुख की स्थिरता, मैक्रो स्टेबिलिटी, एक बेहतर वैश्विक वातावरण और आने वाली तिमाहियों में कंपनियों के नतीजों पर निर्भर करेगी।
आगे कितन चीजों पर निर्भर करेगा FPI का रुख
एंजेल वन में सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट वकारजावेद खान के मुताबिक, FPI की ओर से नए सिरे से निवेश को वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही के बेहतर नतीजों, फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती और अमेरिका-भारत के बीच व्यापार समझौता जल्द होने की उम्मीदों से सपोर्ट मिला है। खान का मानना है कि नवंबर में FPI की ओर से निवेश जारी रह सकता है। इसकी वजह है कि उन्होंने जुलाई से सितंबर तक भारतीय बाजार से 77,000 करोड़ रुपये से अधिक अमाउंट मुख्य रूप से वैश्विक तौर पर प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण निकाले थे।
अब उन दबावों में कमी आ रही है और भारत-अमेरिका ट्रेड एग्रीमेंट पर प्रगति के संकेत दे रहे हैं। इससे सेंटिमेंट में और सुधार की संभावना दिख रही है। जियोजीत इनवेस्टमेंट्स के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार का कहना है, ‘‘अब कंपनियों की आय में सुधार के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। अगर तेज मांग बनी रहती है तो आय में सुधार होगा, जिससे वैल्यूएशन उचित होगी। ऐसी स्थिति में FPI खरीदार बने रहेंगे।’’
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