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Gas Stocks: MGL, IGL को सरकार ने दिया बड़ा झटका, शेयर 14% से ज्यादा टूटे, अब क्या करें निवेशक

सस्ते भाव पर सरकार से 20% कम गैस मिलने पर सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों में भारी बिकवाली देखने को मिल रही है। IGL और MGL 11% से ज्यादा टूटे है। साथ ही गुजरात गैस में भी दबाव बना है

अपडेटेड Oct 18, 2024 पर 10:58 AM
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सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों में भारी बिकवाली देखने को मिल रही है।

Gas Companies Stocks: सस्ते भाव पर सरकार से 20% कम गैस मिलने पर सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों में भारी बिकवाली देखने को मिल रही है। दरअसल, सरकार ने CGD कंपनियों के लिए गैस आवंटन घटाया है। 16 अक्टूबर से ट्रांसपोर्ट CNG आवंटन 20 फीसदी तक घटाया गया है। आवंटन घटने से कंपनियों के मुनाफे पर असर संभव है।  IGL और MGL 14% से ज्यादा टूटे है। साथ ही गुजरात गैस में भी दबाव बना है। सुबह 10.35 बजे के आसपास इंदप्रस्थ गैस (IGL) का शेयर एनएसई पर 57.50 रुपये यानी 11.42% की गिरावट के साथ 446.70 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। वहीं महानगर गैस (MGL) का शेयर 14% से ज्यादा की गिरावट के साथ 1510 रुपये के आसपास नजर आ रहे है।

सरकार के गैस आवंटन में कटौती को लेकर इंदप्रस्थ गैस के मैनेजमेंट की स्टेकहोल्डर्स को लेकर बातचीत चल रही है। कंपनी का कहना है कि सरकार के फैसले का अपने कारोबार पर कम असर लाने को लेकर कदम उठाया जाएगा।

इस बीच महानगर गैस ने कहा है कि घरेलू स्तर पर उत्पादित उच्च दाब उच्च तापमान गैस, ओएनजीसी से न्यू वेल/न्यू इंटरवेंशन गैस और बेंचमार्क से जुड़े लॉन्ग टर्म गैस कॉन्ट्रैक्ट के जरिए गैस हासिल करने के विकल्प की तलाश की जाएगी।


गौरतलब है कि एडमिनिस्टर्ड प्राइस मेकैनिज्म के तहत गैस आवंटन 72% से घटकर 50% हो गया है, जो कि अब तक का सबसे बड़ा कट है। ऐसे में गैस प्राइस हाइक पर बाजार जानकार का कहना है कि चुनाव के मद्देनजर कीमतें बढ़ाना चुनौतीपूर्ण होगा।

क्या है जेफरीज की राय

सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों पर जेफरीज ने अपने रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि CGD के APM गैस आवंटन में सरकार ने 12-15% की कटौती की है। कमी की भरपाई स्पॉट/शॉर्ट टर्म LNG के जरिए संभव होगी। इससे IGL, MGL और गुजरात गैस के मार्जिन पर असर संभव है। इन कंपनियों के मार्जिन में 3/3/2.3/scm का असर दिख सकता है।

ब्रोकरेज का मानना है कि ऐसे में कंपनियों वॉल्यूम ग्रोथ के जरिए मार्जिन बचाने की कोशिश करेंगी। मार्केट आधारित गैस पर 50% निर्भरता है। आवंटन में कटौती के बाद सेक्टर की डी-रेटिंग संभव है।

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