Explainer: Gensol Engineering में कैसे हुआ स्कैम, SEBI ने प्रमोटरों के खिलाफ क्यों लिया एक्शन?

Gensol Engineering Scam: Gensol Engineering पर SEBI ने सख्त कार्रवाई की है। प्रमोटर्स ने EV ऑर्डर और मैन्युफैक्चरिंग को लेकर फर्जी दावे किए, लोन का पैसा डायवर्ट किया और शेयर की कीमतें कृत्रिम रूप से बढ़ाईं। आइए जानते हैं कि प्रमोटर्स ने पूरे 'स्कैम' को कैसे अंजाम दिया?

अपडेटेड Apr 16, 2025 पर 7:00 AM
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Gensol Engineering इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) लीजिंग और सोलर EPC सेवाएं देती है।

Gensol Engineering Scam: जेनसोल इंजीनियरिंग (Gensol Engineering) एक बड़े 'स्कैम'की वजह से सुर्खियों में है। SEBI ने कंपनी और उसके प्रमोटरों पर कड़ी कार्रवाई की है। प्रमोटर अब शेयर बाजार में न कोई ट्रांजैक्शन कर सकेंगे और न ही किसी और कंपनी में मैनेजमेंट की भूमिका निभा सकेंगे। इलेक्ट्रिक व्हीकल के नाम पर लिए गए सैकड़ों करोड़ रुपये के लोन में फंड डायवर्जन, झूठे ऑर्डर और मैन्युफैक्चरिंग की फर्जी बातें सामने आई हैं। इसने शेयर बाजार के निवेशकों का भरोसा हिला दिया है। कंपनी का स्टॉक अपने 52 वीक के हाई से 88% तक टूट चुका है।

आइए तफसील से समझते हैं कि जेनसोल इंजीनियरिंग में क्या 'स्कैम' हुआ। उसके प्रमोटर्स ने कैसे निवेशकों को चूना लगाया और सेबी ने उनके खिलाफ क्या-क्या कदम उठाए हैं।

Gensol Engineering और प्रमोटर की पोल कब खुली?


जेनसोल इंजीनियरिंग (Gensol Engineering) और उसके प्रमोटर्स के बुरे दिन सही मायने में पिछले महीने यानी मार्च 2025 से शुरू हुए। जब दो प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों- ICRA और Care Ratings उसकी क्रेडिट रेटिंग घटाकर 'D' (डिफॉल्ट जोन) कर दी। इसका मतलब है कि कंपनी कर्ज चुकाने के लिए जूझ रही है और वह दिवालिया भी हो सकती है। उस पर ₹1,146 करोड़ का भारी कर्ज था।

Gensol Engineering ने रेटिंग डाउनग्रेड पर प्रतिक्रिया भी दी थी। उसका कहना था कि लिक्विडिटी प्रेशर अस्थायी है और इसे कस्टमर पेमेंट्स और एसेट बेचकर सुलझाया जाएगा। प्रमोटर भी लगातार दावा कर रहे थे कि कंपनी अपने सभी कर्ज चुका रही है। लेकिन, असलियत तो कुछ और ही थी।

Gensol Engineering ने ऑर्डर बुक में भी झोल किया?

जेनसोल इंजीनियरिंग ने दावा किया था कि उसके पास ₹7,000 करोड़ की ऑर्डर बुक है। इसमें 30,000 इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) थे। लेकिन, सेबी की जांच में चला कि कंपनी के दावे खोखले हैं। 30,000 EVs के ऑर्डर सिर्फ गैर-बाध्यकारी समझौते (MoU) थे। इनमें कीमत और डिलीवरी जैसी जरूरी बातें ही नहीं थीं। एक साइट विजिट के दौरान Gensol की फैक्ट्री में कोई मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटीज नहीं मिली।

यहां तक कि जेनसोल के पास अपने प्रोजेक्ट को फंड के जरूरी पैसे भी नहीं थे। कंपनी ने मार्च 2024 तक ₹244 करोड़ जुटाने की योजना बनाई थी, लेकिन सिर्फ ₹140 करोड़ ही जुटा पाई है। बाकी फंडिंग दिसंबर 2025 तक टाल दी। इससे संकेत मिलने लगे कि कंपनी के भीतर काफी कुछ गड़बड़ चल रहा है।

पोल खुलने के बाद भी प्रमोटर्स ने बेचे शेयर

जब ICRA और Care Ratings ने Gensol Engineering की रेटिंग डाउनग्रेड की, तो उसके बाद प्रमोटरों ने ने 7 मार्च को कंपनी के 2.37 फीसदी इक्विटी शेयर (करीब 9,00,000 शेयर) बेचे थे। इस पर काफी हंगामा हुआ कि कंपनी डूबने वाली है, इसलिए रिटेल इन्वेस्टर्स को फंसाने के लिए प्रमोटर हिस्सेदारी बेचकर निकलने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि, Gensol Engineering ने स्टॉक एक्सचेंज को सफाई दी। उसने दावा किया था कि प्रमोटर्स ने 9 लाख शेयर बेचकर जो पूंजी जुटाई है, उसे फिर से कंपनी में लगाया जाएगा, ताकि बैलेंस शीट को मजबूत किया जा सके। Gensol के प्रमोटर्स ने अपनी 82% हिस्सेदारी कर्ज के लिए गिरवी रख दी थी।

Gensol Engineering के प्रमोटर्स ने कैसे किया 'स्कैम'?

Gensol Engineering इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) लीजिंग और सोलर EPC सेवाएं देती है। कंपनी ने IREDA और Power Finance Corporation (PFC) से करीब ₹977 करोड़ का कर्ज लिया था। इसमें से ₹663 करोड़ खासतौर पर EV खरीदने के लिए थे।

हालांकि SEBI की जांच में सामने आया कि कंपनी ने केवल 4,704 इलेक्ट्रिक व्हीकल्स खरीदे, जबकि ₹207 करोड़ का फंड कहीं और ट्रांसफर कर दिया गया।

Gensol Engineering फंड डायवर्जन कैसे किया?

जेनसोल ने EV खरीदने के नाम पर Go-Auto नाम की डीलर कंपनी को पैसा भेजा गया। लेकिन इस पैसे को आगे Capbridge Ventures, Matrix Renewables और दूसरी कंपनियों को ट्रांसफर कर दिया गया। इन कंपनियों का सीधा संबंध Gensol के प्रमोटरों से है।

इन फंड्स का इस्तेमाल DLF में महंगे अपार्टमेंट्स खरीदने, निजी खर्चों और प्रमोटरों से जुड़े लोगों के खातों में ट्रांसफर के लिए किया गया। Capbridge और Wellray Solar जैसी कंपनियों को भी करोड़ों रुपये भेजे गए, जो प्रमोटरों के करीबी मानी जाती हैं।

प्रमोटरों ने हेरफेर करके बढ़ाई शेयरों की कीमत

SEBI के मुताबिक, Gensol ने Wellray के जरिए अपने ही शेयरों में भारी ट्रेडिंग करवाई। इसका मकसद शेयरों की कीमत को गलत तरीके से बढ़ाना था, ताकि शेयर का भाव ऊपर जाए और इसमें आम निवेशक भी पैसे लगाएं। इस चाल में प्रमोटर काफी हद तक कामयाब भी रहे। जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर अक्टूबर 2023 में 2,400 रुपये के करीब पहुंच गए, जो जुलाई 2023 में 1,394 रुपये थे।

जेनसोल के प्रमोटर्स ने ऊंची कीमतों का फायदा उठाने के लिए लगातार हिस्सेदारी बेची। सितंबर 2022 में उनकी कंपनी में हिस्सेदारी 71.36% थी, जो दिसंबर 2024 तक घटकर 62.66% पर आ गई। अगर मार्च 2025 की बिक्री का हिसाब कर लें, तो प्रमोटर्स की होल्डिंग घटकर 59.70% पर आ गई है।

सेबी ने कंपनी और प्रमोटर्स के खिलाफ क्या एक्शन लिया?

SEBI ने Gensol Engineering और उसके प्रमोटरों के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। उसने दोनों प्रमोटरों- अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को किसी भी डायरेक्टोरियल या प्रमुख मैनेजमेंट पोजिशन पर रहने से रोक दिया है। उन्हें शेयर बाजार में किसी भी तरह के लेन-देन से भी बैन कर दिया है। Gensol Engineering ने हाल ही में 1:10 स्टॉक स्प्लिट का भी ऐलान किया था। सेबी ने उस पर भी रोक लगा दी है।

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने अपनी जांच में पाया कि दोनों प्रमोटरों ने Gensol Engineering में फंड का दुरुपयोग किया। शेयर बाजार में हेरफेर करने के लिए भ्रामक जानकारी भी दी। सेबी अब कंपनी की की गहन जांच के लिए फॉरेंसिक ऑडिटर नियुक्त करेगा, जो छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।

Gensol Engineering के शेयरों का हाल

Gensol Engineering के शेयर मंगलवार (15 अप्रैल) को बीएसई पर 2.29% की गिरावट के साथ ₹130.15 पर बंद हुआ। पिछले एक महीने में कंपनी के शेयरों में 45.50% तक की तेज गिरावट दर्ज की गई है, जबकि एक साल की अवधि में इसकी वैल्यू 86.14% तक घट चुकी है। मौजूदा कीमत अपने 52 हफ्तों के उच्चतम स्तर ₹1,124.90 से करीब 88.52% नीचे है।

पिछले 5 कारोबारी सत्रों में भी जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर 16.63% तक क्रैश हो चुके हैं। अब सेबी के एक्शन के बाद शेयरों में बड़ी हलचल दिख सकती है।

निवेशकों के लिए जेनसोल इंजीनियरिंग में क्या सबक है?

SEBI ने आम निवेशकों को भी चेताया है कि वे किसी कंपनी में निवेश से पहले पूरी जांच-पड़ताल करें। अगर किसी भी कंपनी के शेयर बेवजह तेजी से बढ़ रहे हैं, तो उससे सावधान रहें। यह 'पंप एंड डंप' के तहत रिटेल इन्वेस्टर्स को फंसाने की साजिश हो सकती है।

निवेशकों को चाहिए कि वे रेटिंग डाउनग्रेड जैसी चीजों को गंभीरता से लें। अगर किसी कंपनी के प्रमोटर्स लगातार हिस्सेदारी बेच रहे हैं, तो उससे भी सजग रहे हैं। ऑर्डर बुक की जांच करें कि उसमें कितना दम है, वो असली या फर्जी। नहीं तो जेनसोल इंजीनियरिंग के निवेशकों की तरह मुश्किल में फंस सकते हैं।

यह भी पढ़ें : Gensol Engineering पर SEBI का बड़ा एक्शन; प्रमोटर मार्केट से बैन, स्टॉक स्प्लिट पर भी रोक

Suneel Kumar

Suneel Kumar

First Published: Apr 16, 2025 7:00 AM

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