सेबी ने जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रमोटर भाइयों के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। मार्केट रेगुलेटर ने अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को कंपनी के डायरेक्टर पद से हटा दिया है। दोनों के मार्केट में पार्टिसिपेशन पर भी रोक लगा दी है। सेबी ने अंतरिम आदेश में दोनों भाइयों पर लगे आरोपों के बारे में विस्तार से बताया है। इसका असर 16 अप्रैल को जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों पर देखने को मिला। 5 फीसदी तक गिरने के बाद स्टॉक में लोअर सर्किट लग गया। आइए जानते है कि यह पूरा मामला क्या है।
जग्गी भाइयों ने ईवी खरीदने के लिए लोन लिया
SEBI ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि दोनों प्रमोटर्स ने ब्लूस्मार्ट के लिए नई इलेक्ट्रिक व्हीकल्स खरीदने के लिए लोन लिया था। लेकिन, दोनों ने इस पैसे का दुरुपयोग किया। दोनों ने इस पैसे का व्यक्तिगत इस्तेमाल किया। यहां तक कि गुरुग्राम में इस पैसे से एक लग्जरी अपार्टमेंट खरीदा गया। यह लोन कुल 978 करोड़ रुपये का था, जो 2021 से 2024 के बीच IREDA और PFC से लिया गया था। इसमें से 664 करोड़ रुपये का लोन इलेक्ट्रिक व्हीकल्स खरीदने के लिए लिया गया था। इस पैसे से 6,400 EV खरीदने का प्लान था। ये ईवी BluSmart को लीज पर देने का प्लान था।
इस तरह फर्जीवाड़े को दिया गया अंजाम
जेनसोल इंजीनियरिंग को अपनी तरफ से भी 20 फीसदी का कंट्रिब्यूशन करना था। इस तरह कुल 830 करोड़ रुपये से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स खरीदने का प्लान था। कंपनी ने फरवरी 2025 में एक्सचेंज को दी गई जानकारी के बारे में बताया। कंपनी ने कहा कि सिर्फ 4,704 करोड़ रुपये से इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदा है। ईवी सप्लाई करने वाली कंपनी Go-Auto ने भी इस बात की पुष्टि की है कि Gensol ने 4,704 ईवी खरीदा है। इसकी कुल कीमत 568 करोड़ रुपये है। सेबी ने जांच में पाया कि कुल 830 करोड़ रुपये का इस्तेमाल ईवी खरीदने के लिए होने वाला था। लेकिन, वास्तव में 568 करोड़ रुपये का इस्तेमाल ही ईवी खरीदने के लिए किया गया। इस तरह 262.13 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिल रहा है। यह पता नहीं चल रहा कि यह पैसा कहां गया।
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DLF को 43 करोड़ रुपये का ट्रांसफर हुआ
सेबी की जांच से यह सामने आया है कि ईवी खरीदने के लिए Go-Auto को जो पैसा Gensol से ट्रांसफर किया गया, उसे बाद में या तो जेनसोल को ट्रांसफर कर दिया गया या उन कंपनियों को ट्रांसफर किया गया जो अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गीज से जुड़ी हुई थीं। इसमें से कुछ पैसे का इस्तेमाल दोनों भाइयों ने अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए किया। 2022 में IREDA से लोन की पहली किस्त मिलने के बाद जेनसोल ने उसका बड़ा हिस्सा गो-ऑटो को ट्रांसफर किया। फिर यह पैसा Caprbridge को ट्रांसफर किया गया, यो जेनसोल से जुड़ी थी। उसके बाद Capbridge ने 42.94 करोड़ रुपये DLF को ट्रांसफर कर दिया।