गूगल (Google) की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक (Alphabet Inc) को एक अमेरिकी कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अमेरिका की एक फेडरल कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि गूगल को एंटीट्रस्ट मुकदमे की सजा के रूप में अपने वेब ब्राउजर 'क्रोम (Chrome)' को बेचने की जरूरत नहीं है। यह फैसला मंगलवार को शेयर मार्केट का कारोबार खत्म होने के बाद आया, जिसके बाद अल्फाबेट के शेयर आफ्टर-आवर ट्रेडिंग में 7-8% तक उछल गए। नैस्डैक फ्यूचर्स भी इस फैसले के चलते हरे निशान में कारोबार करता दिखा।
कोर्ट का यह फैसला अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट (DOJ) के लिए झटका माना जा रहा है, जिसने 2020 में अल्फाबेट के खिलाफ एंटीट्रस्ट केस दर्ज किया था। हालांकि, जज अमित मेहता ने गूगल को इंटरनेट सर्च के लिए एक्सक्लूसिव कॉन्ट्रैक्ट करने से रोक दिया है। इसका मतलब है कि गूगल अब एपल (Apple) जैसी कंपनियों से एक्सक्लूसिव डील नहीं कर पाएगा, लेकिन यूजर्स को क्रोम को डिफॉल्ट ब्राउजर बनाने का विकल्प देने वाली डील्स जारी रह सकती हैं।
जज ने अपने आदेश में लिखा, “गूगल से पेमेंट रोकना कई मामलों में पार्टनर्स, बाजार और उपभोक्ताओं के लिए भारी नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसलिए एकतरफा पेमेंट बैन उचित नहीं है।”
पिछले साल एक और अमेरिकी अदालत ने पाया था कि गूगल ने ऑनलाइन सर्च और एडवर्टाइजिंग मार्केट में अवैध रूप से एकाधिकार किया है। इस मामले का अंतिम फैसला 10 सितंबर को आएगा।
गूगल और एपल के बीच अरबों डॉलर का करार है, जिसके तहत गूगल सर्च को सफारी ब्राउजर में प्रमुख स्थान दिया जाता है। इसकी बदौलत एपल हर साल करीब 20 अरब डॉलर कमाता है। कोर्ट के इस फैसले के बाद यह व्यवस्था जारी रहेगी। इसका असर एपल के शेयरों पर भी दिखा और वे आफ्टर-आवर ट्रेडिंग में 3% तक चढ़ गए।
हालांकि गूगल के लिए अभी खतरा पूरी तरह नहीं टला है। कंपनी पर एक और मुकदमा लंबित है, जिसमें उस पर ऑनलाइन एडवर्टाइजिंग टेक्नोलॉजी पर एकाधिकार जमाने का आरोप है। इस मामले की सुनवाई सितंबर में होगी, जहां जज लियोनी ब्रिंकेमा यह तय करेंगी कि क्या गूगल को अपने एडवर्टाइजिंग बिजनेस की प्रमुख तकनीकी इकाइयों को बेचना होगा।
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