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सरकार बेचेगी इन 5 सरकारी बैंकों में 20% तक हिस्सेदारी, प्लान तैयार

केंद्र सरकार कम से कम 5 सरकारी बैंकों में से प्रत्येक में अपनी 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना पर तेजी से काम कर रही है। सरकार इस कदम के लिए एक विस्तृत खाका तैयार कर रही है। इसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM), फाइनेंशियल सर्विसेज डिपार्टमेंट और संबंधित बैंक शामिल हैं

अपडेटेड Feb 26, 2025 पर 1:11 PM
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सरकार यह कदम SEBI के न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग को पूरा करने के लिए उठा रही है

केंद्र सरकार कम से कम 5 सरकारी बैंकों में से प्रत्येक में अपनी 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना पर तेजी से काम कर रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इस कदम के लिए एक विस्तृत खाका तैयार कर रही है। इसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM), फाइनेंशियल सर्विसेज डिपार्टमेंट और संबंधित बैंक शामिल हैं।

क्यों हो रही है हिस्सेदारी बिक्री?

दरअसल यह कदम सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग को पूरा करने के लिए उठाया जा रहा है। सेबी के नियमों के मुताबिक, शेयर बाजार में सूचीबद्ध किसी भी कंपनी में उसके प्रमोटरों यानी मालिक की हिस्सेदारी 75% से अधिक नहीं होनी चाहिए। चूंकि सरकारी कंपनियों की मालिक सरकार ही होती है, ऐसे में सरकार की हिस्सेदारी उस कंपनी में 75 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

कौन-कौन से बैंक होंगे शामिल?


रिपोर्ट के मुताबिक, जिन पांच बैंकों में सरकार अपनी हिस्सेदारी घटाएगी, वे हैं- बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब एंड सिंध बैंक। मनीकंट्रोल इस रिपोर्ट की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर सका।

कैसे होगी हिस्सेदारी बिक्री?

सरकार ऑफर-फॉर-सेल (OFS) और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) जैसे दो रास्तों के जरिए अपनी हिस्सेदारी बेचेगी। इससे पहले, 25 फरवरी को DIPAM ने मर्चेंट बैंकरों से बोलियां मंगाई थीं, ताकि वे शेयर बाजार में सूचीबद्ध सरकारी बैंकों और फाइनेंशियल कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री की प्रक्रिया को सुगम बना सकें।

रिपोर्ट के मुताबिक, जो मर्चेंट बैंकर इस प्रक्रिया में शामिल होंगे, उन्हें तीन साल के लिए नियुक्त किया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर इसे एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। ये बैंकर्स सरकार को सही समय और रणनीति पर सलाह देंगे कि कैसे और कब हिस्सेदारी बेची जाए।

क्या होगा असर?

सरकार की इस हिस्सेदारी बिक्री योजना से, शेयर बाजार में इन बैंकों की शेयरों की संख्या में इजाफा, जिससे लिक्विडिटी में सुधार होगा। सरकारी बैंकों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी। सरकार को अतिरिक्त रेवेन्यू मिलेगा, जिससे आर्थिक सुधारों को गति मिल सकती है।

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Moneycontrol Hindi News

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First Published: Feb 26, 2025 1:11 PM

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