IndusInd Bank में 1 अरब डॉलर जुटाने के प्लान पर होने लगा अमल, जनवरी के आखिर तक आ सकती है फ्रेश कैपिटल

IndusInd Bank के MD और CEO राजीव आनंद अभी सिंगापुर में इनवेस्टर्स से मिल रहे हैं। बैंक कैपिटल जुटाने के लिए GIC जैसे बड़े सॉवरेन फंड्स से बातचीत कर रहा है। मौजूदा वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में नेट प्रॉफिट साल-दर-साल आधार पर 95 प्रतिशत गिर गया

अपडेटेड Nov 21, 2025 पर 9:18 AM
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IndusInd Bank को FY26 में अब तक Rs 4,391 करोड़ की प्रोविजनिंग का नुकसान हुआ है।

इंडसइंड बैंक में एक अरब डॉलर का फंड जुटाने के लिए ग्राउंड वर्क शुरू हो गया है। इस मामले की जानकारी रखने वाले ऊंचे पद वाले सूत्रों का कहना है कि CFO (चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर) के ऑफिस की एक बहुत करीबी टीम को कैपिटल जुटाने की कोशिशों का काम सौंपा गया है। सूत्रों ने यह भी बताया कि बैंक ने इक्विटी जुटाने के लिए सभी ऑप्शन खुले रखे हैं– जैसे कि क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट या प्रेफरेंशियल इश्यू।

फंड जुटाने की टाइमलाइन अभी बहुत क्लियर नहीं है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इंडसइंड बैंक एक या दो महीने में यानि जनवरी के आखिर तक फंड जुटाने का प्लान बना रहा है। बैंकरों का कहना है कि इक्विटी जुटाने का प्राइस इनवेस्टर्स से मिलने वाले फीडबैक के आधार पर 875-950 रुपये प्रति शेयर के बीच हो सकता है।

नए इनवेस्टर से करीब 6000–7000 करोड़ आने की उम्मीद


सूत्रों का कहना है कि इंडसइंड बैंक के MD और CEO राजीव आनंद अभी सिंगापुर में इनवेस्टर्स से मिल रहे हैं। प्रेफरेंशियल इश्यू में सब्सक्राइब करने वाले नए इनवेस्टर से बैंक में लगभग 6,000-7,000 करोड़ रुपये की नई कैपिटल आने की उम्मीद है। वहीं प्रमोटर, खासकर इंडसइंड होल्डिंग्स लिमिटेड की ओर से प्रमोटर की कुल हिस्सेदारी 15 प्रतिशत बनाए रखने के लिए 2,500–3,000 करोड़ रुपये का कैपिटल आने की उम्मीद है। इंडसइंड होल्डिंग्स के पास इंडसइंड बैंक में 12.05 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि इंडसइंड लिमिटेड के पास 3.77 प्रतिशत हिस्सा है। दोनों एंटिटी को मिलाकर बैंक का प्रमोटर कहा जाता है। कहा जा रहा है कि बैंक कैपिटल जुटाने के लिए GIC जैसे बड़े सॉवरेन फंड्स से बातचीत कर रहा है।

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इंडसइंड बैंक के लिए नई कैपिटल क्यों जरूरी

बैंक के लिए इक्विटी जुटाना दो मामलों में जरूरी होगा। पहला, एक सीनियर अधिकारी का कहना है, “सभी बिजनेस रिव्यू में हैं और नए MD और CEO राजीव आनंद का मानना ​​है कि FY27 की शुरुआत एकदम नए तरीके से होनी चाहिए। इसका मतलब है कि FY26 की Q3 और Q4 में, अगर कुछ राइट ऑफ पर विचार किया जाता है, तो क्रेडिट कॉस्ट बढ़ सकती है।” यह पक्का है कि बैंक को FY26 में अब तक Rs 4,391 करोड़ की प्रोविजनिंग का नुकसान हुआ है और मौजूदा वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में इसका नेट प्रॉफिट साल-दर-साल आधार पर 95 प्रतिशत गिरकर Rs 167 करोड़ रह गया है।

दूसरी बात, जबकि एक्सपेक्टेड क्रेडिट लॉस (ECL) अपनाने के लिए बेहतर गाइडलाइंस का इंतजार है, ज्यादातर बैंकों ने अपने फाइनेंशियल पर ECL के असर का रिव्यू करना शुरू कर दिया है और उसी के हिसाब से प्रोविजनिंग कर रहे हैं। इंडसइंड बैंक को भी FY27 के क्रिटिकल होने से पहले ECL अपनाने और फंड जुटाने के लिए तैयार रहना होगा।

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