Hindustan Zinc का क्यों किया जा रहा डीमर्जर, निवेशकों को क्या होगा फायदा? समझें पूरा प्लान
Hindustan Zinc Demerger: वेदांता ग्रुप (Vedanta Group) ने अपनी सोने की मुर्गी हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) को रिस्ट्रक्चर (Corporate Restructure) करने का फैसला किया है। इस रिस्ट्रक्चर में होगा यह कि हिंदुस्तान जिंक कंपनी को तीन बिजेनसों में बांटा जाएगा और उन्हें तीन अलग-अलग नई कंपनी बना कर लिस्ट कराया जाएगा। यानी तीन नई कंपनियां बन जाएगी। ग्रुप को लगता है कि ऐसा करने से उसे बेहतर वैल्यू मिलेगी और उसके कर्ज का बोझ भी कम हो जाएगा
हिंदुस्तान जिंक की मौजूदा मार्केट वैल्यूएशन अभी 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपये है
Hindustan Zinc Demerger: वेदांता ग्रुप (Vedanta Group) ने अपनी सोने की मुर्गी हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) को रिस्ट्रक्चर (Corporate Restructure) करने का फैसला किया है। इस रिस्ट्रक्चर में होगा यह कि हिंदुस्तान जिंक कंपनी को तीन बिजेनसों में बांटा जाएगा और उन्हें तीन अलग-अलग नई कंपनी बना कर लिस्ट कराया जाएगा। यानी तीन नई कंपनियां बन जाएगी। ग्रुप को लगता है कि ऐसा करने से उसे बेहतर वैल्यू मिलेगी और उसके कर्ज का बोझ भी कम हो जाएगा। जिन 3 बिजनेसों को अलग कर नई कंपनी बनाने का प्लान है, उसमें पहला बिजनेस है- जिंक और लेड, यानी जस्ता और सीसा। दूसरा बिजनेस है- सिल्वर और तीसरा है रिसाइकलिंग बिजनेस। हिंदुस्तान जिंक ने इन तीनों बिजनेसों को अलग करने और उसके मूल्यांकन के लिए एक डायरेक्टर्स की कमेटी भी बना दी है। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में शेयरधारकों क्या फायदा होगा और हिंदुस्तान जिंक के लिए इस डीमर्जर के मायने क्या हैं, आइए इसे समझते हैं-
आम डीमर्जर से हटकर है हिंदुस्तान जिंक का डीमर्जर
आमतौर पर जब कोई कंपनी डीमर्जर (Demerger) करती है, तो वह पहले से अलग-अलग चल रहे बिजनेसों को एक अलग-अलग कंपनी बना देती है। जैसे कोई फार्मा कंपनी है और वह रियल एस्टेट बिजनेस भी कर रही है, तो वह अपने फार्मा और रियल एस्टेट को डीमर्ज कर देती है। लेकिन हिंदुस्तान जिंक का पूरा बिजनेस एक दूसरे में मिक्स यानी मिलाजुला है।
पहले वेदांता के डीमर्जर की थी अटकलें
अभी तक अटकलें थी कि वेदांता पहले अपने आयरन एंड स्टील, एल्यूमिनियम और ऑयल एंड गैस बिजनेस को अलग कर नई कंपनी बनाएगी। कंपनी ने ऐसे कई संकेत भी दिए थे। अगर ऐसा होता तो इन तीनों बिजनेसों को उनके फंडामेंटल, बैलेंस-शीट और कमोडिटी साइकिल के आधार पर अलग वैल्यूएशन दिया जाता है। और यह संभव था कि इन तीनों बिजनेसों की अलग-अलग वैल्यूएशन कुल मिलाकर वेदांता के मौजूदा वैल्यूएशन से अधिक हो जाती।
मनीकंट्रोल प्रो ने इस लेकर एक एनालिसिस भी की थी, कि वेदांता ग्रुप को इससे अतिरिक्त कैश मिलता, जिससे उसे अपने कर्ज को चुकाने या कम करने में मदद मिलती। लेकिन वेंदाता ने इसकी जगह हिंदुस्तान जिंक के पूरी तरह एक दूसरे से मिक्स बिजनेसों को अलग करने का फैसला किया है। अभी यह साफ नहीं है कि ऐसा करने और इन कंपनियों को अलग लिस्ट कराने पर शेयरहोल्डरों के लिए कैसे वैल्यू मिलेगा।
हिंदुस्तान जिंक मुख्य रूप से जिंक बनाती है। इसी जिंक बनाने की प्रक्रिया में लेड और सिल्वर भी निकल जाता है। तो ये दोनों बिजनेस एक दूसरे में बिल्कुल ही मिक्स है। इसके अलावा इसने रिसाइकलिंग बिजनेस को भी अलग करने का भी फैसला किया है। अभी यह साफ नहीं है कि ये रिसाइकलिंग वाला हिस्सा क्या होगा और इसके लिए बेहतर ढंग से समझने के लिए आपको रिस्ट्रक्चरिंग प्रपोजल के आने का इंतजार करना होगा। बाकी दोनों कंपनियों का जो स्ट्रक्चर होगा, वो लगभग रिलेटेड-पार्टी ट्रांजैक्शन जैसा होगा। यानी जो इसका सिल्वर कंपनी होगी, उसके कच्चे माल के लिए लेड एंड जिंक बिजनेस वाली कंपनी को भुगतान करना पड़ेगा क्योंकि उसी कच्चे माल से सिल्वर निकलता है और प्रॉसेस होता है।
सिल्वर बिजनेस को अलग करने पर हो सकता है फायदा
हालांकि यहां फायदा यह हो सकता है कि सिल्वर को जिंक एंड लेड के मुकाबले कहीं अधिक कीमत धातु के रूप में देखा जाता है। ऐसे में अलग से सिल्वर कंपनी बनाने पर इसे ज्यादा वैल्यूएशन मिल सकता है और यही इस डीमर्जर का मुख्य मोटिवेशन लग रहा है। अगर आपको आंकड़े बताए तो वित्त वर्ष 2023 में हिंदुस्तान जिंक को जिंक बेचकर 24,180 करोड़ का रेवेन्यू मिला था। वहीं इसे लेड बेचने से 3,913 करोड़ और सिल्वर बेचकर 4,388 करोड़ का रेवेन्यू मिला था। हिंदुस्तान जिंक की मौजूदा मार्केट वैल्यूएशन अभी 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपये है और कंपनी को लगता है इसमें उसके सिल्वर बिजनेस का वैल्यूएशन पूरी तरह शामिल नहीं है।
रिस्ट्रक्चरिंग से पैदा हुए कई सवाल
हालांकि इस रिस्ट्रक्चरिंग से यह साफ नहीं हो रहा है कंपनी को इससे अपना कर्ज घटाने में कैसे मदद मिलेगी। या इससे प्रमोटरों के हाथ में कैसे नकदी जाएगा। कहीं ऐसा तो नहीं है कि प्रमोटर सिल्वर कंपनी में अपनी कुछ या पूरी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रहे हैं और फिर उस पैसे का इस्तेमाल अपने कर्ज को चुकाने में करेंगे। यह सब ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब आधिकारित तौर पर रिस्ट्रक्चरिंग की योजना सार्वजनिक होने के बाद ही पता चल पाएगा, बशर्ते की ये आगे बढ़ें।
भारत सरकार की भूमिका भी होगी अहम
यहां ये ध्यान रखना जरूरी है हिंदुस्तान जिंक में भारत सरकार की भी हिस्सेदारी है। ऐसे में उसकी भी राय इस पूरे मामले में अहम होगी। वेदांता ने कुछ समय पहले अपने इंटरनेशनल जिंक बिजनेस को हिंदुस्तान जिंक को बेचने की कोशिश की थी, लेकिन सरकार के विरोध के चलते यह नहीं पाया है। अब देखना होगा कि सरकार इस बार इस पूरे प्लान को हरी झंडी देती है या नहीं। यहीं वजह है कि हिंदुस्तान जिंक का शेयर आज 29 सितंबर को इस खबर के बाद बढ़कर 317 रुपये तक चला गया था, लेकिन बाद में यह नीचे आ गया और कारोबार के अंत में 3.51% बढ़कर 308.40 रुपये के भाव पर बंद हुआ।