रिजर्व बैंक (आरबीआई) अप्रैल और मई में इंटरेस्ट रेट में कमी कर सकता है। एसबीआई में ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष ने यह अनुमान जताया है। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में मॉनेटरी पॉलिसी के मिनट्स के आधार पर यह अनुमान जताया है। मिनट्स से इकोनॉमी ग्रोथ को लेकर केंद्रीय बैंक के रुख में बदलाव का संकेत मिलता है। इस महीने की शुरुआत में आरबीआई ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में इंटरेस्ट रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी की थी। उसने रेपो रेट 6.5 फीसदी से घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया था। केंद्रीय बैंक ने 5 साल बाद रेपो रेट में कमी की थी।
अगले महीने बैंकिंग सिस्टम में आएंगे 87,000 करोड़
बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की कमी दूर हो रही है। मार्च की शुरुआत तक सिस्टम में 87,000 करोड़ रुपये आने की उम्मीद है। हालांकि, घोष ने कहा कि लिक्विडिटी की स्थितियां कई बातों पर निर्भर करती हैं। इनमें सरकार का कैश बैलेंस और फॉरेक्स मार्केट में RBI का हस्तक्षेप शामिल है। उन्होंने कहा कि RBI मई में 2.5-3 लाख करोड़ रुपये डिविडेंड का ऐलान कर सकता है। इससे लिक्विडिटी पर दबाव और घटेगा। इधर, डिपॉजिट रेट में जल्द कमी आने के आसार नहीं हैं। बैंकों को रेट्स एडजस्ट करने में कुछ महीनों का समय लगेगा।
इंडिया की जीडीपी में अमेरिकी एक्सपोर्ट की कम हिस्सेदारी
इंडिया के एक्सोपर्ट्स पर अमेरिकी टैरिफ के बारे में घोष ने कहा कि इंडिया की कुल जीडीपी में अमेरिकी को उसके एक्सपोर्ट की सिर्फ 2 फीसदी हिस्सेदारी है। इसलिए डायरेक्ट ट्रेड वैल्यू की जगह इसका दूसरे तरह से असर पड़ सकता है। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से दुनिया में नया ट्रेड वॉर शुरू हो जाने की आशंका बढ़ गई है। ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इसका मतलब है कि अमेरिकी किसी देश के प्रोडक्ट्स पर उतना ही टैरिफ लगाएगा, जितना टैरिफ वह अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर लगाता है। ट्रंप ने अधिकारियों को रेसिप्रोकल टैरिफ तय करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है।
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हर दो महीने पर आती है मॉनेटरी पॉलिसी
आरबीआई हर दी महीने पर अपनी मॉनेटरी पॉलिसी की समीक्षा करता है। वह इकोनॉमी की जरूरत के हिसाब से रेपो रेट घटाता है या बढ़ाता है। इस महीने की शुरुआत में आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक हुई थी। अब मॉनेटरी पॉलसी कमेटी की अगली बैठक अप्रैल में होगी।