Daily Voice : फाइनेंशियल स्टॉक्स में दिख रहा दम, आगे कराएंगे अच्छी कमाई

देवांग मेहता की राय है कि पहली तिमाही में Financials,autos, IT और कुछ cyclicals कंपनियों की नतीजे मजबूत रहने की संभावना है

अपडेटेड Jul 05, 2022 पर 12:43 PM
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देवांग मेहता का कहना है कि आगे हमें बाजार में सेक्टोरल लीडरशिप, कमोडिटीज से निकलकर खपत और कैपेक्स आधारित थीम की तरफ जाती नजर आ सकती है

बाजार में आई हालिया गिरावट किसी स्ट्रक्चरल बुल मार्केट में बने स्पीड ब्रेकर की तरह दिख रही है। ये बात सेंट्रम वेल्थ (Centrum Wealth) के देवांग मेहता ने मनीकंट्रोल से हुई एक अहम बातचीत में कही है। गौरतलब है कि 2022 में बाजार में अब तक 9 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है। जबकि ये अक्टूबर 2021 के अपने रिकॉर्ड हाई से 15 फीसदी टूट चुका है।

देवांग मेहता का कहना है कि बाजार की वर्तमान गिरावट की अहम वजह विदेशी पैसे की निकासी है। अमेरिका और दूसरे विकसित देशों में बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए मौद्रिक और वित्तीय नीतियों में कड़ाई लाई जा रही है। जिसके चलते भारत जैसे उभरते बाजारों से एफआईआई की निकासी देखने को मिल रही है। ग्लोबल उथल-पुथल के कारण घरेलू फाइनेंशियल मार्केट पर भी असर पड़ा है। जिसके चलते भारत से एफआईआई की निकासी लाइफ टाइम हाई पर पहुंच गई है लेकिन पिछले झटकों के मुकाबले इस बार के झटके में भारतीय इकोनॉमी तुलनात्मक रुप से ज्यादा मजबूत है।

देवांग मेहता का कहना है कि आगे हमें बाजार में सेक्टोरल लीडरशिप, कमोडिटीज से निकलकर खपत और कैपेक्स आधारित थीम की तरफ जाती नजर आ सकती है। इस समय फाइनेंशियल स्टॉक जैसे रिटेल और कॉरपोरेट बैंक, कंज्यूमर, एनबीएफसी, इंश्योरेंस कंपनियां और कुछ इंटरमीडियरिज भी पोर्टफोलियों मे शामिल करने के नजरिए से काफी अच्छे दिख रहे हैं।


आईटी सेक्टर पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि पिछली कुछ तिमाहियों से आईटी सेक्टर में भारी करेक्शन देखने को मिल रहा है। अमेरिका में तो आईटी और टेक से जुड़े फ्रंटलाइन शेयरों में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है।

भारतीय आईटी सेक्टर की बात करें तो यहां हमें फंडामेंटल ग्रोथ मानकों पर अच्छी मजबूती देखने को मिली है लेकिन भारतीय आईटी कंपनियों को एफआईआई की भारी ओनरशिप की कीमत भी चुकानी पड़ी है। अब अमेरिका और यूरोप में मंदी की आशंका आईटी सेक्टर पर अपना असर दिखा सकती है। पहली तिमाही के नतीजों के दौरान आईटी कंपनियों की गाइडेंस से इनका मीडियम टर्म डायरेक्शन साफ होगा।

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एफआईआई की निकासी पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि भारत वर्तमान संकट से और मजबूत बनकर उभरेगा। एक बार स्थितियां सामान्य होने पर एफआईआई फिर भारतीय बाजारों का रुख करते नजर आएंगे। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि इनकी वापसी कब होगी।

कहां करें निवेश? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मेटल, ऑयल एंड गैस और केमिकल जैसे सिक्लिकल सेक्टर के एबिटडा मार्जिन में अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिली है जबकि खपत आधारित सेक्टर सीमेंट और कैपिटल गुड्स के मार्जिन में कमोडिटी की कीमतों में बढ़त के कारण दबाव देखने को मिला है। अब कमोडिटी की कीमतों में नरमी आने के साथ ही इन सेक्टरों से जुड़ी कंपनियों के लिए ट्रेंड बदलता नजर आ सकता है। इसकी वजह ये है कि इनमें से अधिकांश कंपनियों ने लागत में बढ़ोतरी से निपटने के लिए अपने भाव बढ़ाए हैं जिसके चलते अब कमोडिटी की कीमतें घटने के साथ ही इनके मार्जिन में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।

देवांग मेहता की राय है कि पहली तिमाही में Financials,autos, IT और कुछ cyclicals कंपनियों की नतीजे मजबूत रहने की संभावना है।

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