Multibagger Stocks: मल्टीबैगर स्टॉक्स तलाशना आसान, सिर्फ इन 5 बातों का रखें ध्यान

Multibagger Stocks: मल्टीबैगर स्टॉक्स कई गुना रिटर्न दे सकते हैं। लेकिन, निवेश से पहले कुछ खास बातों पर ध्यान देना जरूरी है, वरना फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। जानिए पूरी डिटेल।

अपडेटेड Jul 15, 2025 पर 7:03 PM
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मल्टीबैगर स्टॉक्स जितना बड़ा रिटर्न दे सकते हैं, उतना ही जोखिम भी इनमें छिपा होता है।

Multibagger Stocks: मल्टीबैगर स्टॉक्स ऐसे शेयर होते हैं, जो अपने शुरुआती निवेश के मुकाबले कई गुना रिटर्न देते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी निवेशक ने किसी स्टॉक को ₹100 पर खरीदा और वह ₹300 तक पहुंच गया, तो वह 'थ्री-बैगर' कहलाएगा। अगर वही स्टॉक ₹1,000 हो जाए, तो यह 'टेन-बैगर' बन जाता है।

क्यों खास होते हैं मल्टीबैगर स्टॉक्स

मल्टीबैगर बनने वाले स्टॉक्स आमतौर पर ऐसी कंपनियों से आते हैं, जो उस समय कम वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रही होती हैं। लेकिन उनकी फंडामेंटल्स मजबूत होती हैं। इनमें अच्छा मैनेजमेंट, स्केलेबल बिजनेस मॉडल और मजबूत कॉरपोरेट गवर्नेंस देखने को मिलती है।


हालांकि ये स्टॉक्स एक रात में रिटर्न नहीं देते। इनके लिए समय, धैर्य और रिसर्च जरूरी होता है। आज कई दिग्गज कंपनियों ने इसी तरह से करोड़ों निवेशकों को मालामाल किया है।

कैसे पहचानें मल्टीबैगर स्टॉक?

मल्टीबैगर स्टॉक को तलाशना ज्यादा मुश्किल नहीं। आप कुछ खास प्वाइंट पर गौर करके पता लगा सकते हैं कि किसी स्टॉक में मल्टीबैगर बनने की काबिलियत है या फिर नहीं।

1. कम कर्ज वाली कंपनी

ऐसी कंपनियां जिनका डेट-टू-इक्विटी रेश्यो 30% से कम होता है, उन्हें वित्तीय रूप से स्थिर माना जाता है। कम कर्ज का मतलब है कि कंपनी पर ब्याज का दबाव कम होगा, जिससे मुनाफा बढ़ सकता है। यह निवेशकों के लिए भरोसे का संकेत होता है कि कंपनी संकट में भी टिक सकती है।

2. हाल की तिमाही का प्रदर्शन

अगर कंपनी की ताजा तिमाही रिपोर्ट्स में ऑपरेशनल लेवल पर लगातार ग्रोथ दिख रही है, तो यह पॉजिटिव संकेत है। बाजार में अगर अभी भी उस स्टॉक की वैल्यू कम मानी जा रही है, तो वह अंडरवैल्यूड हो सकता है। ऐसे स्टॉक्स समय के साथ मल्टीबैगर बनने की क्षमता रखते हैं।

3. रेवेन्यू मॉडल की समझ

यह जानना जरूरी है कि कंपनी पैसे कैसे कमाती है और उसके बिजनेस का स्कोप क्या है। अगर कंपनी ऐसे सेक्टर में है जिसकी डिमांड बढ़ रही है, तो उसके रेवेन्यू बढ़ने की संभावना भी ज्यादा होगी। एक स्थिर और स्केलेबल रेवेन्यू मॉडल कंपनी की लॉन्ग टर्म ग्रोथ का आधार बनता है।

4. वैल्यूएशन इंडिकेटर

P/E (प्राइस-टू-अर्निंग) और P/S (प्राइस-टू-सेल्स) जैसे मेट्रिक्स यह दिखाते हैं कि स्टॉक कितना महंगा या सस्ता है। अगर ये रेशियो सुधर रहे हैं लेकिन शेयर प्राइस अब भी नहीं बढ़ा है, तो स्टॉक में ग्रोथ की संभावना हो सकती है। कम वैल्यूएशन पर अच्छी फाइनेंशियल ग्रोथ मिलना मल्टीबैगर का एक अहम संकेत होता है।

5. बड़े बदलाव पर नजर

कंपनी में मैनेजमेंट बदलना, नई स्ट्रैटेजी आना या बड़ी पूंजी निवेश की खबरें अहम मानी जाती हैं। ये बदलाव कंपनी के प्रदर्शन को नई दिशा दे सकते हैं और निवेशकों का भरोसा बढ़ा सकते हैं। अक्सर मल्टीबैगर स्टॉक्स में इसी तरह के टर्नअराउंड की कहानियां देखने को मिलती हैं।

किन निवेशक के लिए है मल्टीबैगर स्टॉक?

  • लंबी अवधि के निवेशक
  • वेल्थ क्रिएशन को तवज्जो देने वाले
  • कंपाउंडिंग से लाभ उठाने वाले
  • पोर्टफोलियो में हाई-ग्रोथ एलिमेंट जोड़ने की चाहत रखने वाले

इन बातों का जरूर रखें ध्यान

मल्टीबैगर स्टॉक्स जितना बड़ा रिटर्न दे सकते हैं, उतना ही जोखिम भी इनमें छिपा होता है। इसलिए निवेश से पहले डीप रिसर्च, वैल्यूएशन की समझ और धैर्य जरूरी है। जल्दबाजी या भीड़ के साथ चलना यहां नुकसानदेह हो सकता है।

खासकर, मल्टीबैगर रिटर्न की चाह में पेनी स्टॉक्स या कमजोर फंडामेंटल वाले स्टॉक में निवेश कर देना। इसमें तगड़ा रिटर्न मिलने की जगह आपकी गाढ़ी कमाई डूब सकती है।

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Disclaimer: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।

Suneel Kumar

Suneel Kumar

First Published: Jul 15, 2025 7:00 PM

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