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चार महीने में सबसे अधिक पैसे बरसे भारतीय मार्केट में, BSE की पूंजी में $1 ट्रिलियन का ताबड़तोड़ उछाल

Top 10 Markets: बिकवाली की भारी आंधी से निकलते हुए भारतीय मार्केट ने जो जोरदार रिकवरी की है, उसमें बीएसई का मार्केट कैप मार्च के शुरुआती दिनों से लेकर अब तक करीब 1 ट्रिलियन डॉलर बढ़ गया। यह बढ़ोतरी दुनिया के दस सबसे बड़े बाजारों में सबसे अधिक है। जानिए बाकी बड़े देशों में क्या स्थिति है?

अपडेटेड Jun 11, 2025 पर 12:15 PM
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Top 10 Markets: मार्च से लेकर अब तक भारत में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप करीब 1 ट्रिलियन यानी 1 लाख करोड़ डॉलर बढ़ गया। इस तेजी के साथ उछलकर यह 5.33 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया।

Top 10 Markets: मार्च से लेकर अब तक भारत में लिस्टेड कंपनियों यानी बीएसई का मार्केट कैप करीब 1 ट्रिलियन यानी 1 लाख करोड़ डॉलर बढ़ गया। इस तेजी के साथ उछलकर यह 5.33 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया। इससे पहले लगातार पांच महीने अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 तक भारतीय मार्केट में बिकवाली का काफी दबाव दिखा था। फीसदी के टर्म में बात करें तो भारतीय मार्केट में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप इस दौरान 21% उछल गया जोकि दुनिया के 10 सबसे बड़े इक्विटी मार्केट में सबसे अधिक है। दुनिया के 10 सबसे बड़े इक्विटी मार्केट में भारत का स्थान अमेरिका, चीन, जापान और हॉन्ग कॉन्ग के बाद पांचवे स्थान पर है। इस दौरान बीएसई सेंसेक्स 12.5 % और निफ्टी 50 भी 13.5% मजबूत हुआ था। ब्रोडर लेवल पर बात करें तो बीएसई मिडकैप 20.7% और बीएसई स्मॉलकैप 26% से अधिक ऊपर उछल गए।

अमेरिका के मार्केट कैप में महज 2.4% का उछाल

भारतीय कंपनियों का मार्केट कैप मार्च महीने से अब तक करीब 21% बढ़ गया जो दुनिया के दस सबसे बड़े बाजारों में सबसे अधिक बढ़ोतरी है। इसके बाद सबसे अधिक तेजी जर्मनी के मार्केट में रही जिसका मार्केट कैप करीब 14% बढ़ गया। इसके बाद कनाडा के मार्केट कैप में करीब 11%, हॉन्ग कॉन्ग के मार्केट कैप में 9% के साथ-साथ जापान और यूनाइटेड किंगडम के मार्केट कैप में 8-8% की तेजी आई। अब दुनिया के सबसे बड़े इक्विटी मार्केट अमेरिका की बात करें तो इसका मार्केट कैप महज 2.4% ही बढ़ा। वहीं दूसरे सबसे बड़े मार्केट चीन की पूंजी 2.7% बढ़ी तो फ्रांस के मार्केट कैप में 3.9% और ताइवान के मार्केट कैप में 3.2% की बढ़ोतरी हुई।


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निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह

मार्केट में जो रिकवरी शुरू हुई है, उसके चलते वैल्यूएशंस फिर ऊंचाई पर पहुंच गया तो एनालिस्ट्स ने अर्निंग्स एस्टीमेंट को डाउनग्रेड करना शुरू कर दिया। हाल ही में मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के संजीव प्रसाद ने कहा कि भारतीय शेयर व्यापक रूप से ओवरवैल्यूड हैं। उनका मानना है कि खपत, निवेश और आईटी सेक्टर्स का वैल्यूएशन बढ़ा हुआ है और कभी-कभी कमजोर अर्निंग्स ग्रोथ के बावजूद कोरोना से पहले के मुकाबले भी अधिक हो जा रहा। रेवेन्यू, मार्जिन और प्रतिस्पर्धा के चलते मुनाफे पर रिस्क बना हुआ है। संजीव का मानना है कि वित्तीय क्षेत्रों को छोड़कर अधिक सेक्टर महंगे दिख रहे हैं। उनका मानना है कि ग्रोथ और प्रॉफिटेबिलिटी को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है तो ऐसे में वैल्यूएशन को सही लेवल पर आना जरूरी है।

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Moneycontrol Hindi News

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First Published: Jun 11, 2025 12:14 PM

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