India industrial growth: अब इन दो सेक्टर में आएगी ग्रोथ की बहार, क्या आप निवेश के लिए हैं तैयार?

India industrial growth: UBS का कहना है कि भारत की इंडस्ट्रियल ग्रोथ का अगला चरण दो सेक्टर से आगे बढ़ेगा। डिमांड, गवर्नमेंट पॉलिसी और एक्सपोर्ट ग्रोथ से इन दोनों सेक्टर में आने वाले वर्षों में निवेश की नई लहर दिखेगी। इससे निवेशकों को शानदार मौके मिल सकते हैं। जानिए डिटेल।

अपडेटेड Nov 14, 2025 पर 6:20 PM
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UBS को उम्मीद है कि अगले दो से तीन सालों में सबसे बड़ी ग्रोथ पावर जेनरेशन इक्विपमेंट से देखने को मिलेगी।

India industrial growth: भारत में औद्योगिक निवेश यानी इंडस्ट्रियल कैपेक्स साइकल एक बार फिर रफ्तार पकड़ने लगी है। ग्लोबल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन UBS का मानना है कि आने वाले कुछ साल में भारत की इंडस्ट्रियल ग्रोथ का अगला चरण पावर इक्विपमेंट वैल्यू चेन और डिफेंस सेक्टर से दौड़ेगा।

UBS इंडिया इंडस्ट्रियल एनालिस्ट अमित महावर ने CNBC-TV18 से बातचीत में कहा कि देश में ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र अब औद्योगिक विस्तार के नए इंजन बन सकते हैं।

पावर इक्विपमेंट सेक्टर में मजबूत मांग


महावर के अनुसार, पिछले 18 महीनों में औद्योगिक निवेश की रफ्तार थोड़ी सुस्त पड़ी है। लेकिन, पावर इक्विपमेंट सेक्टर में मांग अब भी मजबूत बनी हुई है।

उन्होंने बताया कि केबल्स, ट्रांसफॉर्मर्स और स्विचगियर जैसे सेगमेंट्स में ऑर्डर बुक लगातार बढ़ रही है। इन उत्पादों की मांग न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बढ़ी है। UBS का कहना है कि इन क्षेत्रों में ऑर्डरिंग मोमेंटम पारंपरिक इंडस्ट्रियल सेगमेंट्स से बेहतर है। यह संकेत देता है कि आने वाले वर्षों में ग्रोथ का अगला दौर यहीं से शुरू हो सकता है।

पावर जेनरेशन इक्विपमेंट में बड़ा अपसाइड

UBS को उम्मीद है कि अगले दो से तीन सालों में सबसे बड़ी ग्रोथ पावर जेनरेशन इक्विपमेंट से देखने को मिलेगी। चाहे वो थर्मल, विंड या सोलर सेगमेंट हो। महावर ने कहा कि अभी ऑर्डर बुकिंग मजबूत है, लेकिन वास्तविक प्रोजेक्ट एक्जीक्यूशन यानी ज़मीन पर काम शुरू होने की गति धीमी है।

उन्होंने बताया कि पावर सेक्टर में क्षमता योजना (Capacity Planning) लंबी अवधि के हिसाब से की जाती है, इसलिए आने वाले वर्षों में इसका असर धीरे-धीरे दिखेगा।

थर्मल पावर में वापसी के संकेत

महावर ने बताया कि पिछले 10-12 सालों में भारत में थर्मल पावर क्षमता (Thermal Capacity) में कोई बड़ा इजाफा नहीं हुआ है। अब जब बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है और पीक-लोड रिक्वायरमेंट्स यानी अधिकतम खपत के समय बिजली की जरूरत बढ़ रही है, तो UBS का मानना है कि आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में फिर से निवेश की लहर देखने को मिलेगी।

उन्होंने कहा कि सरकार की विंड और सोलर एनर्जी को लेकर नीतिगत पहल और घरेलू उत्पादन (Domestic Manufacturing) को बढ़ावा इस क्षेत्र की ग्रोथ को और गति देंगे।

डिफेंस सेक्टर में मजबूत अवसर

डिफेंस सेक्टर को लेकर महावर ने कहा कि यहां टियर-1 इंटीग्रेटर्स और सरकारी कंपनियों (PSUs) के लिए बहुत मजबूत अवसर बने हुए हैं।

उन्होंने बताया कि सरकार के स्तर पर निर्णय प्रक्रिया में तेजी आई है और ऑर्डर बुक्स लगातार बढ़ रही हैं, खासकर इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर, रडार सिस्टम्स और मिसाइल टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में।

उन्होंने कहा कि सरकार का आयात घटाने (Import Substitution) पर फोकस बढ़ने से अब टियर-2 और टियर-3 प्राइवेट कंपनियों को भी ज्यादा सक्रिय भूमिका मिल रही है। हालांकि, छोटे और मध्यम स्तर की कंपनियों के लिए वर्किंग कैपिटल की समस्या अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में सुस्ती

महावर ने बताया कि कंज्यूमर ड्यूरेबल्स यानी टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं का प्रदर्शन इस समय असमान है। इलेक्ट्रिकल कंज्यूमर ड्यूरेबल्स (ECD) जैसे पंखे, कूलर, या छोटे घरेलू उपकरणों में कम मांग और घटती लाभप्रदता देखने को मिल रही है।

इसके उलट, B2B बिजनेस जैसे केबल्स और वायर मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट में शानदार प्रदर्शन हो रहा है। इसका कारण है एक्सपोर्ट डिमांड में उछाल और भारत की ग्लोबली कॉम्पिटिटिव प्रोडक्शन क्षमता। इसने भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मजबूत स्थिति दिलाई है।

UBS का कहना है कि यह पूरा सेगमेंट पावर इक्विपमेंट साइकिल की उसी ग्रोथ वेव से फायदा उठा रहा है, जो आने वाले वर्षों में और मजबूत हो सकती है।

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