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मंदी के बीच भारत बनेगा दुनिया का ब्राइट स्पॉट , बैंक-फाइनेंशियल , कमोडिटी शेयरों से रहें दूर : शंकर शर्मा

बाजार में लगातार मुनाफावूसली जरूरी होती है। 50-60 फीसदी रिटर्न देने वाले शेयरों में धीरे-धीरे मुनाफा वसूलें। प्रॉफिट बुकिंग से नए निवेश में मदद मिलती है

अपडेटेड Jun 13, 2022 पर 3:53 PM
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शंकर शर्मा ने कहा चीन+ वन थीम से भारतीय कंपनियों को फायदा होगा। चीन से निकलने वाली कंपनियां भारत भी आ रही हैं

मंदी के बीच भारत दुनिया का ब्राइट स्पॉट बनेगा बनेगा। बैंक-फाइनेंशियल, कमोडिटी शेयरों से दूर रहें। 2008 के बाद पहली बार मंदी के संकेत मिल रहे हैं। 2000 की डॉट कॉम मंदी का दायरा सीमित था। डॉट कॉम में ज्यादातर टेक कंपनियां प्रभावित हुई थीं। वहीं, 2008 की मंदी व्यापक थी। इसमें 1929 जैसे हालात दिखे थे। ये बातें दिग्गज निवेशक शंकर शर्मा ने सीएनबीसी-आवाज़ से हुई खास बातचीत में कही।

इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि 2008 के बाद फेड के कदम से हालात सुधरने शुरू हुए थे। सेंट्रल बैंक के राहत पैकेज के चलते महंगाई बढ़ी है। अभी बाजार के हालात सुधरने में समय लगेगा। ध्यान रखें कि पिछला बुल मार्केट 10-12 साल तक चला था। इसी तरह अमेरिका में मंदी के भी जल्द समाप्त होने के आसार नहीं है।

भारत के बाजार पर बात करते हुए शंकर शर्मा ने कहा कि इस मंदी में भारत आउटपरफॉर्मिंग मार्केट बनेगा। भारतीय बाजार US की तुलना में कम गिरे हैं। US के मुकाबले भारतीय बाजार कम चले भी थे। भारतीय बाजार कम चले हैं इसलिए ज्यादा नहीं गिरेंगे। जो बाजार ज्यादा चले हैं वहीं ज्यादा गिर भी रहे हैं। नैस्डैक काफी चला था, इसलिए तेज गिरावट भी देखने को मिली है। हालांकि बाजार के मंदी के दौर में भारत पर भी असर होगा।


रुपए की गिरावट पर शंकर शर्मा ने कहा कि करेंसी और क्रूड जुड़वा भाई हैं। करेंसी और क्रूड से भारत की तकलीफ बढ़ती है। रुपए की कमजोरी से इंपोर्ट महंगा होता है। हम कच्चे माल का इंपोर्ट करते हैं। कच्चे माल के इंपोर्ट में मोलभाव नहीं होता। हम तैयार माल का एक्सपोर्ट करते हैं। तैयार माल के एक्सपोर्ट में मोल भाव होता है। कीमतों में मोलभाव से मार्जिन पर असर पड़ता है। फिनिश्ड गुड्स के एक्सपोर्ट में मोलभाव होता है। भारतीय करेंसी ओवरवैल्यूड है। महंगाई बढ़ने से इंपोर्ट बिल बढ़ेगा, मार्जिन पर भी असर दिखेगा।

क्या हो निवेश रणनीति? इस सवाल का जबाव देते हुए शंकर शर्मा ने कहा चीन+ वन थीम से भारतीय कंपनियों को फायदा होगा। चीन से निकलने वाली कंपनियां भारत भी आ रही हैं। चीन+ वन थीम से जुड़ी कंपनियों पर पॉजिटिव रहें। इस मंदी में ज्यादा घटने वाले शेयर ना रखें। जो शेयर कम गिरे हैं उन्हीं में निवेश करें। बैंक-फाइनेंशियल का कोई फ्यूचर नहीं है। बैंक-फाइनेंशियल और कमोडिटी शेयरों से दूर रहें। स्टील साइकल कभी लंबा नहीं चलता है। स्टील की कीमतें या खपत घटती रहती है। 6-8 महीने में कुछ स्मॉलकैप कंपनियों में बेहतर रिटर्न मिले हैं। बियर मार्केट में ज्यादा गिरने वाले शेयर से हटें।

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नुकसान वाले शेयरों से निकलनें में संकोच न करें। निवेश में रिस्क मैनजमेंट जरूरी है। रिटेल निवेशक MF से ज्यादा रिटर्न कमा सकते हैं। रिस्क मैनेजमेंट जरूरी है। घाटा कम करना चाहिए। बाजार में लगातार मुनाफावूसली जरूरी होती है। 50-60 फीसदी रिटर्न देने वाले शेयरों में धीरे-धीरे मुनाफा वसूलें। प्रॉफिट बुकिंग से नए निवेश में मदद मिलती है।

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