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इंडियन मार्केट महंगा होने के बावजूद विदेशी निवेशक क्यों यहां बड़ा निवेश कर रहे हैं?

विदेशी निवेशकों के इंडियन मार्केट में लौटने से पिछले पांच महीने में निफ्टी 50 में जबर्दस्त रिकवरी देखने को मिली है। यह अपने ऑल-टाइम हाई के बहुत करीब आ गया है। 15 नवंबर को यह 18,428 के 52 हफ्ते के अपने हाई को टच कर गया

अपडेटेड Nov 16, 2022 पर 4:51 PM
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इंडियन इकोनॉमी की बुनियादी स्थितियों को देखने से ऐसा लगता है कि शेयर बाजार की यह तेजी जल्द थमने नहीं जा रही है।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने इंडियन मार्केट (Indian Market) में फिर से निवेश करना शुरू कर दिया है। इस बीच, इनफ्लेशन (Inflation) में कमी आनी शुरू हो गई है। इससे इंटरेस्ट रेट (Interest rate) में बढ़ोतरी को लेकर दुनियाभर में केंद्रीय बैंकों के रुख में नरमी आने की उम्मीद बढ़ी है। बॉन्ड इंडेक्स में भी नरमी है। डॉलर इंडेक्स (dollar index) हाई लेवल से नीचे आया है।

FII ने इस साल जुलाई से अक्टूबर के दौरान इंडियन स्टॉक मार्केट में 55,754 करोड़ रुपये की खरीदारी की है। नवंबर में वे अब तक 21,927 करोड़ रुपये के शेयर खरीद चुके हैं। इसे एफआईआई के रुख में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। पिछले साल अक्टूबर से इस साल जून तक के 9 महीनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने इंडियन स्टॉक मार्केट में 2.54 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। विदेशी निवेशकों की इस बिकवाली से निफ्टी 50 पिछले साल अक्टूबर में 18,604 अंक के अपने रिकॉर्ड लेवल से गिरकर इस साल जून में 15,200 के निचले स्तर पर आ गया था।

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विदेशी निवेशकों के इंडियन मार्केट में लौटने से पिछले पांच महीने में निफ्टी 50 में जबर्दस्त रिकवरी देखने को मिली है। यह अपने ऑल-टाइम हाई के बहुत करीब आ गया है। 15 नवंबर को यह 18,428 के 52 हफ्ते के अपने हाई को टच कर गया। लेकिन, इस तेजी के जारी रहने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। एनालिस्ट्स शेयरों के हाई वैल्यूएशन को लेकर सवाल कर रहे हैं।

इंडियन इकोनॉमी की बुनियादी स्थितियों को देखने से ऐसा लगता है कि शेयर बाजार की यह तेजी जल्द थमने नहीं जा रही है। HDFC Securities के रिटेल रिसर्च हेड दीपक जसानी ने कहा, "काफी कुछ ग्लोबल लेवल पर रिस्क लेने की चाहत पर निर्भर करेगा। विदेशी निवेशकों ने खरीदारी शुरू की है, जो इस बात का संकेत हैं कि रिस्क लेने की क्षमता बढ़ रही है।"

इकोनॉमिक ग्रोथ में सुस्ती, बढ़ता इनफ्लेशन और हाई इंटरेस्ट रेट जैसे निगेटिव फैक्टर्स का असर मार्केट पर पहले ही पड़ चुका है। हालात में सुधार आने पर शेयरों की वैल्यूएशन और बढ़ेगी।

Green Portfolio के फाउंडर दिवम शर्मा ने कहा, "पिछले चार महीनों में इंडियन मार्केट में विदेशी निवेशकों की जबर्दस्त खरीदारी दिखी है। इसे ट्रेंड बदलने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। इधर, अमेरिका और इंडिया में रिटेल इनफ्लेशन में कमी आनी शुरू हो गई है। ग्लोबल इकोनॉमी की ज्यादातर अनिश्चितताओं का असर पहले ही मार्केट पर पड़ चुका है। ऐसे में अगले कुछ महीनों में बाजार में तेजी जारी रहने की उम्मीद है। "

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