Stock Market: शेयर बाजार के लिए अगला हफ्ता होगा अहम, अमेरिका से आ सकती है यह अच्छी खबर

Stock Markets: भारतीय शेयर बाजारों के लिए अगला कारोबारी हफ्ता (27 से 31 अक्टूबर) बेहद अहम साबित हो सकता है। निवेशकों की नजर अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) की नीति समीक्षा बैठक पर टिकी है। उम्मीद की जा रही है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती कर सकता है

अपडेटेड Oct 24, 2025 पर 11:02 PM
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Stock Markets: फेडरल रिजर्व ने इससे पहले 17 सितंबर 2025 को ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की थी

Stock Markets: भारतीय शेयर बाजारों के लिए अगला कारोबारी हफ्ता (27 से 31 अक्टूबर) बेहद अहम साबित हो सकता है। निवेशकों की नजर अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) की नीति समीक्षा बैठक पर टिकी है। यह बैठक 28-29 अक्टूबर को होगी। उम्मीद की जा रही है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती कर सकता है।

अगर ऐसा होता है तो इससे इमर्जिंग मार्केट्स में विदेशी निवेशकों के निवेश बढ़ने और सेंटीमेंट में सुधार की संभावना जताई जा रही है। इसका सीधा असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिल सकता है।

फेड से दूसरी बार ब्याज दर कटौती की उम्मीद

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म नोमुरा का मानना है कि फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह संकेत दे सकते हैं कि अमेरिका की मॉनिटरी पॉलिसी अब “नरम होने” की दिशा में बढ़ रही है। हालांकि, दिसंबर में फिर से कटौती को लेकर वे कोई ठोस वादा नहीं करेंगे और यह साफ करेंगे कि हर बैठक में फैसला आर्थिक आंकड़ों के आधार पर लिया जाएगा।


फेड ने इससे पहले 17 सितंबर 2025 को ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की थी। नोमुरा के मुताबिक, फेडरल रिजर्व इस बार अपनी क्वांटिटेटिव टाइटनिंग (QT) नीति को समाप्त करने की भी घोषणा कर सकता है।

नोमुरा का कहना है कि हाल के हफ्तों में फेड अधिकारियों के बयानों से यह साफ संकेत मिल चुका है कि ब्याज दरों में कटौती की तैयारी पहले से चल रही है।

फेड के इशारे पहले ही स्पष्ट

ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने भी अपनी हालिया एक रिपोर्ट में कहा है कि हाल के दिनों में अमेरिकी मनी मार्केट्स में लिक्विडिटी तनाव देखा गया है। यही कारण है कि फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने हाल ही में क्वांटिटेटिव टाइटनिंग के जल्द खत्म होने का संकेत दिया था।

जेफरीज का कहना है कि क्वांटिटेटिव टाइटनिंग (QT) का यह चरण अब समाप्ति के करीब है और संभावना है कि फेड आने वाले महीनों में फिर से बैलेंस शीट विस्तार की ओर लौटेगा। यानी नए बॉन्ड खरीद कार्यक्रम (QE) का रास्ता खुल सकता है।

भारतीय बाजार पर असर

भारतीय शेयर बाजार के लिए यह बैठक बेहद अहम है। अगर फेड दरों में कटौती करता है, तो इसका विदेशी निवेश के फ्लो पर पॉजिटिव असर दिख सकता है। डॉलर इंडेक्स के कमजोर पड़ने और बॉन्ड यील्ड्स में गिरावट से रुपया मजबूत हो सकता है, और इक्विटी मार्केट्स में नई तेजी देखने को मिल सकती है। हालांकि, अगर पॉवेल ब्याज दरों में कटौती की संभावना को टालते हैं, तो बाजार में थोड़ी निराशा और अस्थिरता भी देखने को मिल सकती है।

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