बीते एक साल में इंडियन मार्केट्स का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। रिटर्न के मामले में यह दुनिया के बड़े बाजार से पिछड़ गया है। डॉलर और लोकल करेंसी दोनों में इसका प्रदर्शन कमजोर रहा है। कंपनियों की कमजोर प्रॉफिट ग्रोथ, जियोपॉलिटिकल टेंशन और ट्रंप के टैरिफ इसकी वजह हो सकते हैं। मोतीलाल ओसवाल ने अपनी रिपोर्ट 'बुल्स एंड बेयर्स' में कहा है कि डॉलर में इंडियन मार्केट्स ने कोई रिटर्न नहीं दिया है। हालांकि, इस कैलेंडर ईयर में लोकल करेंसी यानी रुपये में रिटर्न तीन फीसदी रहा है।
निफ्टी अपने लॉन्ग टर्म एवरेज के करीब पहुंच रहा
सवाल है कि क्या इस खराब प्रदर्शन के बाद Indian Markets की वैल्यूएशन कम हो गई है और अब फॉरेन इनवेस्टर्स की दिलचस्पी इंडिया में निवेश करने में बढ़ेगी? रिपोर्ट की मानें तो इंडियन मार्केट्स अभी अपने निचले स्तर के करीब नहीं पहुंचा है। हां यह सही है कि यह अपने लॉन्ग टर्म एवरेज के करीब बढ़ रहा है। अगर Nifty की बात करें तो इसमें 12 महीने के फॉरवर्ड पीई रेशियो के 20.6 गुना पर ट्रेडिंग हो रही है। यह इसके 20.7 गुना के लॉन्ग टर्म एवरेज के करीब है।
अभी भी वैल्यूएशन प्रीमियम पर
निफ्टी का प्राइस-टू-बुक रेशियो 3.1 गुना है। इसका मतलब है कि 2.8 गुना के ऐतिहासिक एवरेज के मुकाबले अभी 8 फीसदी प्रीमियम पर है। ट्रेलिंग पी/ई बेसिस पर निफ्टी में 23.2 गुना पर ट्रेडिंग हो रही है, जबकि इसका ट्रेलिंग पी/बी रेशियो 3.4 है। यह भी हिस्टोरिकल एवरेज से ज्यादा है। इंडिया का मार्केट कैपिटलाइजेशन और जीडीपी का रोशियो अभी 122 फीसदी है। साल दर साल आधार पर यह 10.5 फीसदी ज्यादा है। यह 87 फीसदी के लॉन्ग टर्म एवरेज से काफी ज्यादा है।
इंडिया दुनिया में सबसे महंगा दूसरा मार्केट्स
उपर्युक्त डेटा से यह संकेत मिलता है कि खराब प्रदर्शन के बावजूद इंडियन मार्केट्स दुनिया में दूसरे सबसे महंगे बाजार हैं। बीते 12 महीनों में MSCI इंडिया इंडेक्स में डॉलर में 11 फीसदी गिरावट आई है। इसके मुकाबले MSCI Emerging Markets Index का रिटर्न 14 फीसदी रहा है। लेकिन अगर पिछले एक दशक की बात करें तो एमएससीआई इंडिया इंडेक्स का प्रदर्शन MSCI EM Index के मुकाबले 62 फीसदी बेहतर रहा है। इंडियन मार्केट्स के खराब प्रदर्शन की वजह से ग्लोबल मार्केट कैपिटलाइजेशन में इंडियन मार्केट्स की हिस्सेदारी अगस्त में 3.6 फीसदी घटी है।
बीते एक साल में घटा है इंडियन मार्केट्स कै कैपिटलाइजेशन
बीते एक साल में ग्लोबल मार्केट का कैपिटलाइजेशन 17.5 फीसदी बढ़ा है। लेकिन, इस दौरान इंडियन मार्केट्स का कैपिटलाइजेशन 9.3 फीसदी घटा है। सिर्फ इंडिया और ब्राजील अपवाद हैं, नहीं तो बाकी सभी बड़े मार्केट्स का मार्केट कैपिटलाइजेशन बीते एक साल में बढ़ा है। अगर अलग अलग सेक्टर के प्रदर्शन को देखा जाए तो करीब दो-तिहाई स्टॉक्स में उनके हिस्टोरिकल एवरेज के मुकाबले प्रीमियम पर ट्रेडिंग हो रही है। इंडेक्स के करीब आधे स्टॉक्स की वैल्यूएशन ज्यादा है। बीते 12 महीनों में स्मॉलकैप स्टॉक्स करीब 11 फीसदी गिरे हैं, जबकि मिडकैप में 6 फीसदी गिरावट आई है। लार्जकैप स्टॉक्स सिर्फ 3 फीसदी गिरे हैं।