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नए F&O नियम: Jio Financial और Zomato की Nifty50 में हो सकती है एंट्री, क्या होगा फायदा

सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने इक्विटी डेरिवेटिव रेगुलेशंस में बड़े बदलाव लागू किए हैं, जो फ्यूचर एंड ऑप्शंस के लिए स्टॉक सिलेक्शन को प्रभावित करते हैं। बदलावों का उद्देश्य कैश और फ्यूचर एंड ऑप्शंस बाजारों के बीच संबंध को मजबूत करना और इनवेस्टर प्रोटेक्शन को बढ़ाना है।

अपडेटेड Jun 28, 2024 पर 1:28 PM
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अगर निफ्टी 50 में जियो फाइनेंशियल को शामिल किया जाता है तो यह पैसिव फंड बाइंग में 46.6 करोड़ डॉलर आकर्षित कर सकती है।

भारत में नए लागू होने जा रहे फ्यूचर एंड ऑप्शंस (F&O) नियमों के चलते जियो फाइनेंशियल और जोमैटो की डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में एंट्री हो सकती है। साथ ही दोनों कंपनियां NSE Nifty 50 इंडेक्स में भी शामिल हो सकती हैं। यह बात नुवामा की ओर से कही गई है। नुवामा अल्टरनेटिव एंड क्वांटिटेटिव रिसर्च एनालिसिस के प्रमुख अभिलाष पगारिया ने एक नोट में कहा कि अगर जियो फाइनेंशियल और जोमैटो अगस्त के मध्य से पहले डेरिवेटिव सेगमेंट में प्रवेश करती हैं, तो सितंबर के रिव्यू में ट्रेंट के साथ-साथ उनके भी निफ्टी 50 में शामिल होने की बहुत संभावना है। पिछला रिव्यू 2018 में हुआ था और तब से मार्केट कैप और टर्नओवर में काफी वृद्धि हुई है।

अगर निफ्टी 50 में इन कंपनियों को शामिल किया जाता है तो जियो फाइनेंशियल (Jio Financial) पैसिव फंड बाइंग में 46.6 करोड़ डॉलर, जोमैटो (Zomato) 49.1 करोड़ डॉलर और ट्रेंट (Trent) 46.3 करोड़ डॉलर आकर्षित कर सकती है। सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने इक्विटी डेरिवेटिव रेगुलेशंस में बड़े बदलाव लागू किए हैं, जो F&O के लिए स्टॉक सिलेक्शन को प्रभावित करते हैं।

प्रमुख बदलावों में क्या-क्या शामिल


प्रमुख बदलावों में F&O सेगमेंट के लिए क्वालिफाई करने के लिए पिछले 6 महीनों में नकद बाजार में स्टॉक की एवरेज डेली डिलीवरी वैल्यू 35 करोड़ रुपये (10 करोड़ रुपये से अधिक) होना और कम से कम 1500 करोड़ रुपये (500 करोड़ रुपये से अधिक) की बाजार-व्यापी पोजिशन लिमिट शामिल है। सेबी ने इलिक्विड सिक्योरिटीज के माध्यम से बाजार में हेरफेर को रोकने के लिए एक प्रोडक्ट सक्सेस फ्रेमवर्क भी पेश किया है। यदि 6 महीने से अधिक समय तक ट्रेडिंग वॉल्यूम कम रहता है तो डेरिवेटिव डिसकंटीन्यू कर दिए जाएंगे। इन बदलावों का उद्देश्य कैश और F&O बाजारों के बीच संबंध को मजबूत करना और इनवेस्टर प्रोटेक्शन को बढ़ाना है।

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