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IndusInd Bank की मुसीबत बढ़ सकती है, माइक्रोफाइनेंस लोन पोर्टफोलियो में गड़बड़ी का संदेह

IndusInd Bank: इंडसइंड बैंक में करीब 6,000-7,000 करोड़ रुपये के लोन को लेकर सवाल खड़े हो सकते हैं। ऐसा लगता है कि इस लोन को देने में तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। ये बहुत छोटे अमाउंट के लोन हैं। माइक्रोफाइनेंस लोन को बैड लोन में बदलने से रोकने के लिए ग्राहकों को नए लोन देने का संदेह है

अपडेटेड Jun 24, 2025 पर 1:03 PM
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24 जून को इंडसइंड बैंक के शेयरों में गिरावट दिखी।
     
     
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    IndusInd Bank की मुसीबत बढ़ सकती है। बैंक के माइक्रोफाइनेंस लोन पोर्टफोलियो की जांच चल रही है। सूत्रों का कहना है कि करीब 6,000-7,000 करोड़ रुपये के लोन को लेकर सवाल खड़े हो सकते हैं। ऐसा लगता है कि इस लोन को देने में तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। ये बहुत छोटे अमाउंट के लोन हैं। इनमें से कुछ लोन एग्रीकल्चर लोन हो सकते हैं। हालांकि, ये माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यून (MFI) लोन से जुड़े हैं।

    पहले दिए गए लोन को बैड लोन में कनवर्ट होने से रोकने की कोशिश

    सूत्रों ने कहा कि ये लोन मुख्य रूप से पहले दिए लोन को बैड लोन में कनवर्ट होने से बचाने के लिए दिए गए थे। इस मामले की जांच से जुड़े एक बैंकर ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर मनीकंट्रोल से कहा कि जो हुआ है वह पूरी तरह से लोन रोलओवर का मामला नहीं है, लेकिन उसके जैसा नजर आता है। लोन देने की प्रक्रिया पहले से तय है। कब कोई लोन बैड लोन में बदलता है, इसके पैरामीटर्स भी पहले से तय हैं।


    एग्रीकल्चर लोन के आसान नियमों का फायदा उठाने की कोशिश

    लोन की इस पूरी प्रक्रिया को हम एक उदाहरण की मदद से समझ सकते हैं। मान लीजिए किसी व्यक्ति को 60,000 रुपये का माइक्रोफाइनेंस लोन दिया जाता है। इस लोन की किस्त 60 दिन या उससे ज्यादा दिन तक नहीं चुकाई जाती है। ऐसी स्थिति में बैंक लोन लेने वाले व्यक्ति की पत्नी (या पति) को ज्यादा अमाउंट का नया लोन इश्यू करता है। इससे पहले दिया गया एमएफआई लोन बैंक के लिए बकाया नहीं रह जाता है। इसमें यह ध्यान रखा जाता है कि बैंक ने नया लोन तब दिया जब उसने पहले दिए गए एमएफआई लोन को स्मॉल-टिकट अनसेक्योर्ड लोन की कैटगरी में डाल दिया था। इनमें से कुछ लोन को एग्रीकल्चर लोन की कैटेगरी में भी डाला गया हो सकता है।

    माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो के ऑडिट से मिल रहे संकेत

    इस मामले से जुड़े एक दूसरे बैंकर ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, "ऐसे लोन को एग्री-लोन की कैटेगरी में डालना बैंक के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसकी वजह यह है कि एग्रीकल्चर लोन के लिए स्ट्रक्चर्ड मंथली और वीकली रीपेमेंट शिड्यूल नहीं होता है। ये रीपेमेंट के लिए तभी ड्यू होते हैं, जब साल का अंत करीब होता है।" सूत्र ने बताया कि दबाव वाले लोन से छुटकारा पाने की बैंक की इस प्रैक्टिस के बारे में ऑडिट के बारे में पता चला और अब इस पर रोक लग गई है।

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    बीते एक साल में 43 फीसदी गिर चुका है स्टॉक

    24 जून को IndusInd Bank के शेयरों में गिरावट दिखी। दोपहर में स्टॉक 0.27 फीसदी गिरकर 837 रुपये पर चल रहा था। बीते छह महीनों में यह स्टॉक 10 फीसदी और बीते एक साल में 43 फीसदी गिरा है। सबसे बड़ी हालिया गिरावट 11 मार्च को आई थी, जब स्टॉक गिरकर 655 रुपये पर चला गया था।

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