शेयर बाजार में आने वाली है 'सांता क्लॉज' रैली? जानें क्या कहते हैं पिछले 10 साल के आंकड़े

Santa Claus Rally: साल 2025 खत्म होने जा रहा है। दिसंबर का महीना अब अपने आखिरी दौर में है। लेकिन सवाल ये है कि क्या साल के आखिरी दिनों में शेयर बाजार, निवेशकों को कोई तोहफा देने वाला है? क्या भारतीय शेयर बाजार में क्रिसमस और नए साल के मौके पर एक ‘सांता क्लॉज' रैली आने वाली है। पिछले 10 सालों में शेयर बाजार ने इस दौरान कैसे रिटर्न दिया है?

अपडेटेड Dec 19, 2025 पर 7:54 PM
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Santa Claus Rally: 'सांता क्लाज रैली' शब्द का पहली बार इस्तेमाल 1972 में याले हिर्श ने किया था

Santa Claus Rally: साल 2025 खत्म होने जा रहा है। दिसंबर का महीना अब अपने आखिरी दौर में है। लेकिन सवाल ये है कि क्या साल के आखिरी दिनों में शेयर बाजार, निवेशकों को कोई तोहफा देने वाला है? क्या भारतीय शेयर बाजार में क्रिसमस और नए साल के मौके पर एक ‘सांता क्लॉज' रैली आने वाली है। आइए समझते हैं कि सांता क्लॉज रैली क्या होती है? पिछले 10 सालों में शेयर बाजार ने इस दौरान कैसे रिटर्न दिया है? किन शेयरों और इंडेक्स को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है? और सबसे अहम सवाल क्या इस बार निवेशकों को इस रैली पर भरोसा करना चाहिए?

क्या है सांता क्लॉज रैली?

सबसे पहले समझते हैं कि सांता क्लॉज रैली आखिर है क्या? क्रिसमस के दिन सांता क्लाज बच्चों को तोहफे देने आते हैं, ये कहानी तो हम सबने बचपन से ही सुनी है। लेकिन शेयर बाजार में 'सांता क्लाज रैली' शब्द का पहली बार इस्तेमाल 1972 में याले हिर्श ने किया था। याले हिर्श को शेयर बाजार का पहला सीजनल कैलेंडर बनाने के लिए जाना जाता है।

याले हिर्श ने भी सबसे पहली बार देखा कि अमेरिकी शेयर मार्केट में दिसंबर के आखिरी 5 कारोबार दिन और जनवरी महीने के पहले 2 कारोबारी दिन, यानी कुल 7 कारोबारी दिनों में शेयर मार्केट अक्सर ऊपर की ओर जाता है। इसी पैटर्न को नाम उन्होंने सांता क्लाज रैली' दिया। यानी साल के अंत में बाजार में आने वाली संभावित तेजी।


क्या भारत में भी सांता क्लॉज रैली आती है?

अब सवाल उठता है क्या ये फिनामिना सिर्फ अमेरिका तक सीमित है? या फिर भारत में भी सांता क्लॉज रैली आती है? इस सवाल का जवाब खोजा है सैमको सिक्योरिटीज की एक रिसर्च रिपोर्ट ने। इस रिपोर्ट को सैमको के इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट, जहोल प्रजापति ने तैयार किया है। इस रिपोर्ट में भारतीय शेयर मार्केट के 2015 से 2024 तक, यानी पूरे 10 साल का डेटा का अध्ययन किया गया है।

पिछले 10 सालों का परफॉर्मेंस

सैमको सिक्योरिटीज ने भारत के तीन बड़े इंडेक्स का अध्ययन किया है। BSE स्मॉलकैप इंडेक्स, BSE मिडकैप इंडेक्स और निफ्टी-100 इंडेक्स, जो लार्जकैप शेयरों का प्रतिनिधित्व करता है। रिपोर्ट में उसी 7 दिन के डेटा का एनालिसिस किया गया है। यानी दिसंबर के आखिरी 5 दिन और जनवरी के पहले 2 दिन। इससे पता चला कि भारत में भी सांता क्लाज रैली के दौरान अक्सर बाजार ऊपर जाता है और निवेशकों को मुनाफा होता है।

पिछले 10 सालों के अगर औसत रिटर्न की बात करें, तो ब्रोकरेज ने पाया कि सांता क्लॉज रैली में लार्जकैप स्टॉक्स वाले निफ्टी-100 इंडेक्स ने औसतन 1.78 परसेंट का रिटर्न दिया है। दूसरी ओर, बीएसई मिडकैप इंडेक्स ने इसी दौरान 2.63 फीसदी का रिटर्न दिया है, जबकि बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स ने इस दौरान सबसे अधिक औसतन 3.55 फीसदी का रिटर्न दिया है।

कितनी बार बाजार गिरा?

अब बात करते हैं Consistency की। यानी सांता क्लाज रैली के दौरान कितनी बार ऊपर गया और कितनी बार नीचे गिरा। सैमको की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015 में निफ्टी-100 इंडेक्स करीब 0.63% गिरा, लेकिन बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स फिर भी ऊपर रहे। साल 2018 में BSE मिडकैप इंडेक्स 0.14% फिसला, लेकिन निफ्टी-100 और बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स चढ़े।

सबसे दिलचस्प बात ये है कि BSE स्मॉलकैप इंडेक्स ने पिछले 10 सालों में एक बार भी इस 7-दिन की अवधि में नेगेटिव रिटर्न नहीं दिया है। यानी Smallcap इंडेक्स की सक्सेस रेट 100% रहीं। वहीं निफ्टी 100 और बीएसई मिडकैप इंडेक्स की सक्सेस रेट 90% रही।

सबसे अधिक रिटर्न कब मिला?

BSE स्मॉलकैप इंडेक्स ने साल 2022 में सबसे अधिक 7.23 फीसदी का रिटर्न दिया। वहीं निफ्टी 100 इंडेक्स और BSE मिडकैप इंडेक्स में इसी साल 4.38 परसेंट और 4.45 परसेंट की सबसे अधिक तेजी देखी गई थी। यानि सांता क्लॉज रैली सिर्फ हल्की तेजी नहीं, कभी-कभी काफी दमदार मूव भी देखने को मिले हैं।

क्यों आती है सांता क्लॉज रैली?

सैमको सिक्योरिटीज के मार्केट एक्सपर्ट अपूर्व सेठ ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट में बताया कि, इसके पीछे कोई एक कारण नहीं, बल्कि कई फैक्टर्स मिलकर काम करते हैं। उन्होंने कहा कि साल के अंत में इन्वेस्टर का सेंटीमेंट अच्छा रहने की संभावना होती है। साथ ही बड़े इंस्टीट्यूशन साल के आखिर में अधिक लिक्विडिटी की पोजीशनिंग करते हैं।

इसके अलावा इस दौरान क्रिसमस और न्यू ईयर के चलते FIIs आमतौर पर इस दौरान छुट्टियों पर चले जाते हैं, जिससे ट्रेडिंग वॉल्यूम कम हो जाता है। रिटेल निवेशकों के पार्टिसिपेशन में भी ऐसी ही गिरावट देखी जाती है। कम वॉल्यूम में थोड़ी सी खरीदारी भी कीमतों को ऊपर धकेल देती है। साथ ही, नए साल की शुरुआत के दौरान एक साइकोलॉजिकल ‘रिस्क-ऑन’ मूड बनता है।

क्या 2025–26 में आएगी सांता क्लॉज रैली?

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार तस्वीर थोड़ी अलग है। निफ्टी हाल ही में 26,300 के रिकॉर्ड हाई तक गया, लेकिन फिर वहां से इसमें गिरावट देखी गई। भारतीय रुपये में कमजोरी और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली से बाजार के सेटीमेंट पर असर पड़ा है। लेकिन दूसरी तरफ बाजार के लिए कई मजबूत सपोर्ट भी है।

घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की जबरदस्त खरीदारी जारी है। म्यूचुअल फंड SIP के जरिए बाजार में हर महीने करीब ₹20,000 करोड़ के आसपास रकम आ रही है। लॉन्ग टर्म लिक्विडिटी मजबूत बनी हुई है। हालांकि भारत–US ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता बाजार को परेशान भी कर रही है।

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