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शेयर बाजार में आएगी 2023 जैसी तेजी? नए साल से पहले निवेशकों को बड़े तोहफे का इंतजार

Share Market: क्रिसमस और नए साल के बीच शेयर बाजार में जो तेजी आती है, उसे ही क्रिसमस रैली कहते हैं। पिछले कुछ सालों के आंकड़ों को देखें, तो दिसंबर महीने के दौरान अधिकतर समय सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी देखने को मिली हैं। लेकिन इस बार कमजोर तिमाही नतीजों और विदेशी निवेशकों (FIIs) की लगातार बिकवाली के चलते बाजार दबाव में बना हुआ है

अपडेटेड Dec 24, 2024 पर 5:38 PM
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पिछले साल 2023 में दिसबंर महीने के दौरान निफ्टी में 8% की जोरदार तेजी आई थी

Share Market: क्रिसमस का त्योहार आ गया है। लेकिन इसके साथ शेयर बाजार में इस बार क्रिसमस रैली आएगी या नहीं? यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। इस हफ्ते के दोनों दिन शेयर बाजार ने तेजी के कुछ संकेत दिए हैं, जिससे निवेशकों में थोड़ी उम्मीद जगी है। लेकिन क्या इस उम्मीद पर दांव लगाना सही होगा? बता दें कि क्रिसमस और नए साल के बीच शेयर बाजार में जो तेजी आती है, उसे ही क्रिसमस रैली कहते हैं। काफी लोग इसे सांता क्लॉज रैली भी कहते हैं। पिछले कुछ सालों के आंकड़ों को देखें, तो दिसंबर महीने के दौरान अधिकतर समय सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी देखने को मिली हैं। लेकिन इस बार कमजोर तिमाही नतीजों और विदेशी निवेशकों (FIIs) की लगातार बिकवाली के चलते बाजार दबाव में बना हुआ है।

पिछले साल 2023 में दिसबंर महीने के दौरान निफ्टी में करीब 8 फीसदी की जोरदार तेजी आई थी। हालांकि इस बार ऐसी तेजी आएगी, इसे लेकर मार्केट एक्सपर्ट्स बहुत पॉजिटिव नहीं दिख रहे हैं। निफ्टी इस समय करेक्शन जोन में चला गया है। 27 सितंबर को इसने 26,277 का अपना ऑल टाइम हाई छुआ था। तब से अबतक इंडेक्स में करीब 10% की गिरावट आ चुकी है। इस महीने दिसंबर में भी अब तक इंडेक्स में 0.34 फीसदी की गिरावट आई है। ऐसे में इस साल भारतीय बाजारों में क्रिसमस रैली की संभावना कम दिख रही है। जबकि इससे पहले पिछले 2 सालों के दौरान बाजार आखिरी हफ्ते में हरे निशान में बंद हुए थे।

रिलायंस सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड, विकास जैन ने बताया कि 2022 और 2023 में दिसंबर महीने के आखिरी हफ्ते में 1.8 से 2 फीसदी तक की तेजी आई थी। हालांकि इस बार बाजार में दिख रही वोलेटैलिटी और मंथली एक्सपायरी के चलते ऐसी तेजी की संभावना कम है। विकास जैन ने कहा कि निफ्टी का 200 दिनों का मूविंग एवरेज फिलहाल करीब 23,800 पर है। अगर इंडेक्स इस लेवल को बचाते हुए 24,000 के ऊपर बंद होता है, तभी हमें कोई उछाल देखने को मिल सकती है।


वहीं व्हाइटस्पेस अल्फा के सीईओ और फंड मैनेजर पुनीत शर्मा ने क्रिसमस रैली के कॉन्सेप्ट को ही खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि क्रिसमल रैली का ट्रेंड पश्चिमी देशों के बाजारों में दिखता है और इसे भारत पर नहीं लागू किया जा सकता है। पिछले 5 सालों के सेंसेक्स और निफ्टी के आंकड़ों से भी साफ है कि, क्रिसमस के दौरान तेजी का कोई साफ ईयरली ट्रेंड नहीं है। पुनीत शर्मा ने कहा कि इस दौरान बाजार में अगर तेजी आई भी है, तो उसके पीछे मैक्रोइकोनॉमिक और ग्लोबल फैक्टर्स काम कर रहे थे, न कि क्रिसमस त्योहार का इफेक्ट।

भारत में क्रिसमस रैली का कॉन्सेप्ट क्यों अच्छी तरीके से काम नहीं करता है। इसके पीछे भी कुछ वजहें हैं। भारतीय बाजार में क्रिसमस के दौरान कोई लंबी छुट्टी नहीं होती है। इसके चलते बाजार में ट्रेडिंग गतिविधियां आम दिनों की तरह ही स्थिर रहती है और उसमें मोमेंटम बना रहता है।

हालांकि, अबंस होल्डिंग्स के यशोवर्धन खेमका की राय इन सभी से अलग है। उनका मानना है कि बाजार में तेजी की संभावना अभी भी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि निफ्टी में हाल ही में काफी करेक्शन आ चुका है और निफ्टी अब कंसॉलिडेशन के फेज में है, जिससे एक संभावित ब्रेकआउट के लिए मंच तैयार हो रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 5 में से 4 साल निफ्टी ने इस दौरान पॉजिटिव रिटर्न दिया है।

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