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IT Stocks: आईटी शेयरों में गिरावट से म्यूचुअल फंडों के ₹13,000 करोड़ डूबे, H-1B वीजा नियमों ने दिया झटका

IT Stocks: अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के H-1B वीजा फीस बढ़ाने के ऐलान के बाद आज 22 सितंबर को आईटी सेक्टर की कंपनियों में भारी गिरावट देखी गई। इसके चलते म्यूचुअल फंडों की देश की टॉप-10 आईटी कंपनियों में किए गए निवेश की वैल्यू करीब 13,000 करोड़ रुपये तक घट गई। H-1B वीजा के नियमों में बदलाव को भारतीय आईटी सेक्टर के प्रॉफिट मार्जिन और हायरिंग रणनीतियों पर सीधा चोट माना जा रहा है

अपडेटेड Sep 22, 2025 पर 1:02 PM
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IT Stocks: देश की टॉप 10 आईटी कंपनियों में म्यूचुअल फंडों के निवेश की कुल वैल्यू घटकर 3.28 लाख करोड़ रुपये आ गई

IT Stocks: अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के H-1B वीजा फीस बढ़ाने के ऐलान के बाद आज 22 सितंबर को आईटी सेक्टर की कंपनियों में भारी गिरावट देखी गई। इसके चलते म्यूचुअल फंडों की देश की टॉप-10 आईटी कंपनियों में किए गए निवेश की वैल्यू करीब 13,000 करोड़ रुपये तक घट गई। H-1B वीजा के नियमों में बदलाव को भारतीय आईटी सेक्टर के प्रॉफिट मार्जिन और हायरिंग रणनीतियों पर सीधा चोट माना जा रहा है। जिसके चलते निवेशक घबरा गए और आज आईटी शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली।

म्यूचुअल फंडों पर भारी असर

19 सितंबर तक, देश की टॉप 10 आईटी कंपनियों में म्यूचुअल फंडों के निवेश की कुल वैल्यू 3.41 लाख करोड़ रुपये थी। लेकिन आज 22 सितंबर को शेयर बाजार खुलने पर यह वैल्यू घटकर 3.28 लाख करोड़ रुपये आ गई।

इंफोसिस (Infosys) 1.27 लाख करोड़ रुपये के साथ अभी भी म्यूचुअल फंडों की बसे बड़ी होल्डिंग बनी हुई है। इसके बाद टीसीएस 62,000 करोड़ रुपये के साथ दूसरे और HCL टेक 35,850 करोड़ रुपये के साथ तीसरे स्थान पर है।


बाकी आईटी कंपनियों की बात करें तो कोफोर्ज में म्यूचुअल फंडों का 21,720 करोड़ रुपये, परसिस्टेंट सिस्टम्स में 18,900 करोड़ रुपये, एफैसिस में 13,240 करोड़ रुपये, विप्रो में 11,600 करोड़ रुपये, LTIमाइंडट्री में 8,189 करोड़ रुपये और ओरेकल फाइनेंशियल सर्विसेज में 4,348 करोड़ रुपये शामिल हैं।

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H-1B वीजा फीस में 100 गुना इजाफा

डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के अनुसार, अमेरिका ने 21 सितंबर से H-1B वीजा एपिलीकेशन फीस को 1,000 डॉलर से बढ़ाकर 100,000 डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) कर दिया है। हालांकि कुशल विदेशी कर्मचारियों को स्पॉन्सर करने की वीजा प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन इतनी बड़ी फीस बढ़ोतरी कंपनियों की हायरिंग रणनीतियों और मुनाफे पर असर डाल सकती है। इसका पहला अहम असर वित्त वर्ष 27 में पड़ने की संभावना है, जब नए आवेदन दाखिल किए जाएंगे।

एक्सपर्ट्स की राय

JM Financial की रिपोर्ट के मुताबिक, इसका मार्जिन पर तात्कालिक असर “न्यूट्रल” रहेगा। हालांकि, अगर कंपनियों को अमेरिका में लोकल टैलेंट को ज्यादा वेतन पर हायर करना पड़ा, तो मार्जिन पर 15–50 बेसिस पॉइंट तक का असर आ सकता है। लेकिन बढ़ते ऑफशोरिंग और क्लाइंट्स से प्राइस रीनेगोशिएशन इस असर को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं।

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि देश की 10 आईटी कंपनियों के कुल कर्मचारियों का सिर्फ 1.2% से 4.1% हिस्सा ही H-1B वीजा पर है, जिससे इनके लिए जोखिम सीमित है। ब्रोकरेज ने कहा, “वीजा नियमों को लेकर सबसे बड़ी रेगुलेटरी अनिश्चितता अब खत्म हो गई है। लंबी अवधि में यह घटना आईटी सेक्टर के लिए नेट पॉजिटिव साबित हो सकती है।”

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Vikrant singh

Vikrant singh

First Published: Sep 22, 2025 12:57 PM

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