सेंसेक्स-निफ्टी नहीं, शेयर बाजार से कमाई के लिए अब यहां रखनी होगी नजर: IKIGAI रिपोर्ट
निफ्टी 500 के डेटा से पता चलता है कि इंडेक्स के रिटर्न और उसमें शामिल स्टॉक के औसत रिटर्न के बीच अंतर तेजी से बढ़ रहा है। हालिया मार्च तिमाही के दौरान Nifty 500 इंडेक्स में 6.8% की गिरावट देखी गई, इसमें शामिल स्टॉक्स का औसत रिटर्न इस दौरान -12.8% रहा। यानी इंडेक्स और स्टॉक्स के प्रदर्शन में लगभग 6 प्रतिशत का अंतर था
IKIGAI की रिपोर्ट कहती है कि Nifty 50 की लगभग सारी नई कमाई केवल 3–5 कंपनियों से आई है
भारतीय शेयर बाजार एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है। एक ऐसा चरण जहां इंडेक्स के रुझानों पर भरोसे करने के बजाय समझदारी से शेयर चुनना कहीं अधिक मायने रखता है। मशहूर मिडकैप फंड मैनेजर पंकज टिबरेवाल की ओर से शुरू की गई अल्टरनेट इनवेस्टमेंट फर्म, IKIGAI ने अपनी हालिया तिमाही रिपोर्ट में ये बातें कही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, शेयर बाजार अब बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयरों के एक छोटे समूह से चल रहा है, जबकि बाकी अधिकतर शेयर संघर्ष कर रहे हैं।
निफ्टी 500 के डेटा से पता चलता है कि इंडेक्स के रिटर्न और उसमें शामिल स्टॉक के औसत रिटर्न के बीच अंतर तेजी से बढ़ रहा है। हालिया मार्च तिमाही के दौरान Nifty 500 इंडेक्स में 6.8% की गिरावट देखी गई, इसमें शामिल स्टॉक्स का औसत रिटर्न इस दौरान -12.8% रहा। यानी इंडेक्स और स्टॉक्स के प्रदर्शन में लगभग 6 प्रतिशत का अंतर था, जो पिछले एक साल का सबसे बड़ा अंतर है। यह ट्रेंड Q2 FY25 से शुरू हुआ था और हर तिमाही के साथ गहराता जा रहा है।
कम कंपनियों में सिमटती कमाई
यह अंतर केवल तकनीकी नहीं, बल्कि कंपनियों की अर्निंग्स में आए बदलाव को भी दिखाता है। वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में Nifty 50 की केवल 16% कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ 25% से अधिक रही, जबकि पिछले पांच सालों का औसत 37% रहा है। निफ्टी-50 में भी ऊंची प्रॉफिट ग्रोथ वाली कंपनियों की हिस्सेदारी 40% के ऐतिहासिक औसत से घटकर 33% हो गई है।
IKIGAI की रिपोर्ट कहती है, “इस तिमाही में Nifty 50 की लगभग सारी नई कमाई केवल 3–5 कंपनियों से आई है। बाकी कंपनियों ने बहुत कम या न के बराबर योगदान दिखाया।"”
क्या बदल रहा है शेयर बाजार का स्ट्रक्चर?
यह आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ इंडेक्स को देखने से शेयर बाजार की असल तस्वीर नहीं सामने आती है। सिर्फ कुछ मुठ्ठी भर दिग्गज शेयरों के अच्छे प्रदर्शन के चलते इंडेक्स ऊपर जा रहे हैं, जबकि बाकी अधिकतर शेयरों का प्रदर्शन कमजोर बना हुआ है। IKIGAI ने अपनी रिपोर्ट में इस बदलाव के पीछे कई कारण गिनाए हैं-
आसान पैसे का दौर खत्म: कोरोना महामारी के दौरान ग्लोबल स्तर पर केंद्रीय बैंकों ने कई इनसेंटिव्स स्कीमों का ऐलान किया था, जिसके चलते बाजार में काफी पैसा आ गया था। इसने कोविड के बाद शेयर बाजारों में लंबे समय तक तेजी लाने में मदद की। लेकिन अब इस आसान पैसा का दौर खत्म हो गया। केंद्रीय बैंक अपनी मॉनिटरी पॉलिसी को लेकर सख्त हो गए हैं, जिसके चलते अब फोकस चुनिंदा अच्छे फंडामेंटल वाले शेयरों पर शिफ्ट हो गया है।
वैल्यूएशन में गिरावट: 2025 की शुरुआत में मिड और स्मॉल कैप इंडेक्स में 20 से 25% तक की तेज गिरावट देखने को मिली थी। इससे निवेशक सतर्क हो गए हैं और अब केवल उन्हीं कंपनियों में निवेश कर रहे हैं जहां कमाई का भरोसा और वैल्यूएशन का सपोर्ट मौजूद है।
सेक्टोरल बदलाव: लार्ज-कैप इंडेक्स में ऑयल एंड गैस, PSU बैंक और यूटिलिटीज (जो कम पी/ई मल्टीपल पर कारोबार करते हैं) जैसे सेक्टर अब प्रॉफिट पूल का बड़ा हिस्सा बनते जा रहे हैं। ये सेक्टर इंडेक्स के वैल्यूएशन को सस्ता दिखाने में मदद करते हैं, लेकिन ये व्यापक अर्निंग ग्रोथ को नहीं दिखाते।
अब है स्टॉक सलेक्शन का जमाना
इन सब वजहों को देखते हुए फंड मैनेजर अब इंडेक्स के बजाय बॉटम-अप अप्रोच अपना रहे हैं। IKIGAI ने लिखा, “यह समय प्रतिक्रिया देने का नहीं, बल्कि रणनीतियों को फिर से गढ़ने का है। सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, और औसत आंकड़े कुछ ही कंपनियों के शेयरों से प्रभावित हैं।”
हालांकि Nifty 50 का फॉरवर्ड P/E 26x है, लेकिन इसमें PSU बैंकों और ऑयल कंपनियों जैसे कम P/E वाले स्टॉक्स के कारण यह सस्ता दिखता है। दूसरी ओर, Nifty Midcap 150 का P/E 23x है, जिससे यह मिथक टूटता है कि लार्ज कैप स्टॉक इस समय सस्ते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी दौरान कई मिड और स्मॉल-कैप कंपनियों की बैलेंस शीट पहले से बेहतर है और उनके कर्ज का स्तर न्यूनतम पर है। साथ ही FY24–27 के दौरान उनमें तेज ग्रोथ की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे में अब सिर्फ इंडेक्स को देखकर निवेश करने का समय खत्म हो चला है।
निष्कर्ष: असली कहानी अब इंडेक्स नहीं
शेयर बाजार के पिछले बुल साइकल के दौरान इंडेक्स आधारित निवेश काफी था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। बाजार की तेजी में अब सभी शेयर भाग नहीं ले रहे हैं। ऐसे में निवेशकों को यह देखना चाहिए कि क्या क्या वे उन स्टॉक्स को होल्ड कर रहे हैं जो इस तेजी के लहर में भाग ले रहे हैं। जैसा कि IKIGAI ने कहा: "यह प्रतिक्रिया देने का नहीं, बल्कि फिर से सोचने और रणनीति बदलने का समय है।"
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