Credit Cards

माधबी पुरी बुच आज SEBI प्रमुख पद से रिटायर हो जाएंगी, जानिए 3 साल के उनके कार्यकाल की बड़ी बातें

अजय त्यागी के रिटायर होने पर बुच सेबी का प्रमुख बनी थीं। उन्होंने कई बड़े रिफॉर्म्स की शुरुआत की। खासकर छोटे निवेशकों के हित में कई बड़े फैसले लिए। उन्होंने की जरूरतों को ध्यान में रख म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) के बीच इनवेस्टमेंट फंड की एक नई कैटेगरी की शुरुआत की

अपडेटेड Feb 28, 2025 पर 9:54 AM
Story continues below Advertisement
बुच ने कंपनियों के राइट्स इश्यू की प्रोसेसिंग में लगने वाले समय में कमी की। इसे 126 दिन से घटाकर 20 दिन किया गया।

सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच रिटायर होने जा रही हैं। सेबी प्रमुख के रूप में उनका तीन साल का कार्यकाल 28 फरवरी, 2025 को खत्म हो जाएगा। बुच सेबी प्रमुख बनने वाली पहली महिला हैं। उनका तीन साल का कार्यकाल कैपिटल मार्केट्स के लिए काफी अहम रहा। उन्होंने कई बड़े रिफॉर्म्स की शुरुआत की। खासकर छोटे निवेशकों के हित में कई बड़े फैसले लिए। सरकार जल्द सेबी के नए प्रमुख के नाम का ऐलान करेगी।

डेरिवेटिव ट्रेडिंग के नियमों में बड़ा बदलाव

अजय त्यागी के रिटायर होने पर बुच सेबी (SEBI) का प्रमुख बनी थीं। बुच ने कई बड़े फैसले लिए ज्यादातर फैसले लागू हुए। कुछ फैसले लागू नहीं हो सके। म्यूचुअल फंड के एक्सपेंस रेशियो में कमी का फैसला लागू नहीं हो सका। सेबी के कार्यकाल की सबसे खास बात डेरिवेटिव ट्रेडिंग से जुड़े नए नियम हैं। इसके अलावा उन्होंने सर्विलांस बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी के ज्यादा इस्तेमाल पर जोर दिया। मार्केट मैनिपुलेशन रोकने के लिए AI आधारित सर्विलांस को उन्होंने बढ़ावा दिया।

छोटे एसेट साइज वाले REIT को मंजूरी


आईपीओ फाइलिंग की मॉनिटरिंग और कॉर्पोरेट सबमिशन के लिए भी उन्होंने टेक्नोलॉजी का पूरा इस्तेमाल करने पर जोर दिया। बदलते समय के हिसाब से निवेशकों की बदलती जरूरतों का भी उन्होंने ध्यान रखा। म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) के बीच इनवेस्टमेंट फंड की एक नई कैटेगरी की शुरुआत इसका उदाहरण है। उनके कार्यकाल के दौरान सेबी ने 50 करोड़ एसेट साइज वाले स्मॉल और मीडियम REIT को मंजूरी दी। इससे पहले REIT का एसेट साइज 500 करोड़ रुपये होता था।

राइट्स इश्यू की प्रोसेसिंग का समय घटाया

बुच ने कंपनियों के राइट्स इश्यू की प्रोसेसिंग में लगने वाले समय में कमी की। इसे 126 दिन से घटाकर 20 दिन किया गया। इससे कंपनियों के लिए जल्द फंड जुटाना मुमकिन हुआ। ये ऐसे रिफॉर्म्स हैं, जिन्हें लंबे समय तक याद किया जाएगा। उन्हें न सिर्फ कॉर्पोरेट और ऑपरेटर्स बल्कि रिटेल इनवेस्टर्स की भी चिंता थी। अपने कार्यकाल के दौरान हमेशा वह छोटे निवेशकों के हितों की सुरक्षा की बात कहती रहीं।

चुनौतियों का भी करना पड़ा सामना

सेबी प्रमुख को अपने कार्यकाल में कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने उनके कार्यकाल में अदाणी समूह पर कई तरह के आरोप लगाए। इससे स्टॉक मार्केट में बड़ी गिरावट आई। बाद में हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख और उनके पति पर भी गंभीर आरोप लगाए।

यह भी पढ़ें: RBI कुछ स्मॉल फाइनेंस बैंकों को कैपिटल पोजीशन बढ़ाने को कह सकता है

बुच और पति पर लगे गंभीर आरोप

उसने कहा कि बुच और उनके पति बरमुडा और मारीशस के उन फंडों में अपने निवेश की जानकारी छुपाई थी, जिनका संबंध गौतम अदाणी के भाई विनोद अदाणी से था। स्टॉक की कीमतें बढ़ाने के लिए इन फंडों का इस्तेमाल राउंड ट्रिपिंग के लिए किया गया था। लेकिन, विवादों के बावजूद सरकार ने उन्हें अपना कार्यकाल पूरा करने दिया।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।