घरेलू संस्थागत निवेशकों के रुख में बड़ा बदलाव, नवंबर में की 6300 करोड़ रुपये की बिकवाली

डोमेस्टिक इनवेस्टर्स घरेलू और ग्लोबल दोनों ही स्थितियों को लेकर सतर्क नजर आ रहे हैं। बढ़ती लागत के कारण मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र पर दबाव बना था

अपडेटेड Dec 01, 2022 पर 5:36 PM
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बिगड़ती यूरोपीय आर्थिक स्थिति और चीन की सख्त कोविड नीति ने भी निवेशकों को चिंतित कर दिया है

घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) इक्विटी बाजार में अपने निवेश को कम कर रहे हैं। हाल ही में आए आंकड़ों से पता चलता है कि उन्होंने नवंबर 2022 में लगभग 6300 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। इस बीच इसी सप्ताह भारत के बेंचमार्क इंडेक्स, एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स (S&P BSE Sensex) और निफ्टी 50 (Nifty 50) ने नई ऊंचाई नापी है। 2022 की शुरुआत से ही DII हर महीने औसतन 35000 करोड़ रुपये से अधिक की खरीदारी कर रहे थे। हालांकि जून 2022 से इनकी गति धीमी हो गई है। NSE के आंकड़ों के मुताबिक जून के बाद से, वे औसतन लगभग 5000 करोड़ रुपये की इक्विटी हर महीनें खरीद रहे हैं। कुछ एनालिस्ट का मानना है कि वैल्यूशन महंगे होने की वजह से DIIs ने नवंबर में बिकवाली की है। कुछ एनालिस्ट इसे मुनाफा वसूली मान रहे हैं।

हालांकि, एनालिस्ट्स को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में डीआईआई निवेश फिर से शुरू हो जाएगा। जानकारों का कहना है कि एसआईपी से होने वाले निवेश में जोरदार बढ़त और RBI की तरफ से दरों की बढ़त पर लगाम लगने के बाद डीआईआई यानी घरेलू संस्थागत निवेशक एक बार फिर से घरेलू बाजार का रुख करेंगे।

अक्टूबर में इक्विटी म्युचुअल फंडों में 9390 करोड़ रुपये का  निवेश आया


Reliance Securities के मितुल शाह का कहना है कि महंगाई में गिरावट के चलते यूएस फेड अपनी अगली मीटिंग में ब्याज दरों 50 बेसिस प्वाइंट की हल्की बढ़त करते हुए अगले साल के शुरुआत में होने वाली अगली मीटिंग में दरों में और कम बढ़त के संकेत देगा। हमें उम्मीद है कि कमोडिटी की कीमतों में गिरावट और केंद्रीय बैंकों की नीतियों में नरमी के चलते बाजार में जोरदार रिकवरी आएगी। इससे आगे मांग में सुधार होता नजर आएगा।

अक्टूबर में, इक्विटी म्युचुअल फंडों में 9390 करोड़ रुपये का जोरदार निवेश आया है। जबकि एसआईपी 13000 करोड़ रुपये से अधिक के ऑलटाइम हाई पर पहुंच गया।

डीआईआई घरेलू और ग्लोबल दोनों ही स्थितियों को लेकर सतर्क

जानकारों का कहना है कि DII घरेलू और ग्लोबल दोनों ही स्थितियों को लेकर सतर्क नजर आ रहे हैं। बढ़ती लागत के कारण मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र पर दबाव बना था। इसकी वजह से सितंबर तिमाही में आय में कमी आई। बिगड़ती यूरोपीय आर्थिक स्थिति और चीन की सख्त कोविड नीति ने भी निवेशकों को चिंतित कर दिया है।

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घरेलू संस्थागत निवेशक एक बार फिर इक्विटी बाजार में जोरदार वापसी करते दिखेंगे

विश्लेषकों को उम्मीद है इन चुनौतियों के खत्म होने पर घरेलू संस्थागत निवेशक एक बार फिर इक्विटी बाजार में जोरदार वापसी करते दिखेंगे। जानकारों का मानना है कि म्युचुअल फंडों में रिटेल निवेशक खूब पैसे डाल रहे हैं। इसके अलावा घरेलू फंडो को इक्विटी बाजारों में निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के लिए के लिए नियमों में तमाम ढील दी गई है। ऐसे में स्थितियां सुधरते ही घरलू बाजारों डीआईआई फिर से जोरदार वापसी करेंगे।

स्टॉक्सबॉक्स (Stoxbox) के डायरेक्टर रिसर्च स्वप्निल शाह ने कहा "हमें लगता है कि गुजरात चुनाव में बीजेपी की संभावित जीत का असर धीरे-धीरे बाजारों पर दिखाई दे रहा है। इसके अलावा, बजट आने ही वाला है, हमारा मानना है कि देश में 2024 में आम चुनाव होने से पहले सरकार का ध्यान बुनियादी ढांचे को सुधारने और अर्थव्यवस्था के राजकोषीय पक्ष को विवेकपूर्ण तरीके से प्रबंधित करने पर अधिक होगा।"

उन्होंने आगे कहा कि दुनिया के दूसरे बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार के बेहतर प्रदर्शन, भारतीय कंपनियों के अच्छे प्रदर्शन और ढांचागत सुधारों के चलते 2023 के शुरुआत में दूसरे उभरते बाजारों की तुलना भारत में ज्यादा विदेशी निवेश भी आता दिखेगा।

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