वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) और भारती एयरटेल (Bharti Airtel) को बड़ा झटका मिला है। अब एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) में राहत पर विचार नहीं किया जा रहा है। सरकारी सूत्रों ने सीएनबीसी-टीवी18 को पुष्टि की है कि AGR पेनल्टी और ब्याज माफ करने के प्रस्ताव पर अब विचार नहीं हो रहा है। कैबिनेट सचिवालय ने दूरसंचार विभाग (DoT) को इस फैसले की जानकारी दे दी है। DoT ने AGR बकाए पर 50% ब्याज, 100% पेनल्टी और पेनल्टी पर 100% ब्याज माफ करने का प्रस्ताव रखा था। दूरसंचार विभाग को उम्मीद थी कि AGR बकाया माफी से टेलिकॉम सेक्टर को राहत मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने भी कई फैसलों के जरिए एयरटेल और वोडाफोन आइडिया द्वारा देय AGR बकाया को बरकरार रखा है। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल की ओर से दायर की गईं AGR बकाया की कैलकुलेशन में सुधार की मांग वाली रिव्यू पिटीशंस को खारिज कर दिया था।
भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस संजय कुमार की तीन जजों वाली बेंच ने फैसला सुनाया कि 23 जुलाई, 2021 के आदेश के रिव्यू के लिए कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए दलीलों को खारिज किया जाता है। अदालत ने कहा, "यदि कोई पेंडिंग एप्लीकेशन है, तो उसका निपटारा कर दिया जाएगा।"
टेलिकॉम कंपनियों का क्या था तर्क
टेलिकॉम कंपनियों ने तर्क दिया था कि दूरसंचार विभाग ने AGR बकाए की कैलकुलेशन में बड़ी गलतियां की हैं। इनमें पहले से किए जा चुके पेमेंट्स का हिसाब न होना और नॉन-कोर रेवेन्यू को शामिल करना शामिल है। वोडाफोन आइडिया ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि इन गंभीर गलतियों के चलते लगभग 25,000 करोड़ रुपये का अनुचित वित्तीय बोझ पड़ा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुधार की इजाजत देने से इनकार करने के बाद, टेलिकॉम कंपनियों के पास कोई और कानूनी रास्ता नहीं बचा है।