Market today : 23 जून को भारतीय इक्विटी इंडेक्स नकारात्मक रुख के साथ बंद हुए हैं। निफ्टी 25,000 से नीचे आ गया है। कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 511.38 अंक या 0.62 फीसदी की गिरावट के साथ 81,896.79 पर और निफ्टी 140.50 अंक या 0.56 फीसदी की गिरावट के साथ 24,971.90 पर बंद हुआ। आज लगभग 1794 शेयरों में बढ़त दर्ज की गई, 2113 शेयरों में गिरावट आई और 175 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ। निफ्टी पर ट्रेंट, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, अडानी एंटरप्राइजेज और बजाज फाइनेंस आज के टॉप गेनर रहे। जबकि इंफोसिस, एलएंडटी, हीरो मोटोकॉर्प, एमएंडएम और एचसीएल टेक्नोलॉजीज नुकसान में रहे।
सेक्टोरल इंडेक्सों की बात करें तो आईटी,एफएमसीजी, ऑटो, बैंक और टेलीकॉम में 0.3-1.5 फीसदी की गिरावट आई, जबकि कंज्यूमर ड्यूरेबल्स मीडिया,मेटल और कैपिटल गुड्स में 0.3-4 फीसदी की तेजी आई। बीएसई मिडकैप इंडेक्स में 0.2 फीसदी और स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.6 फीसदी की बढ़त हुई।
प्रोग्रेसिव शेयर्स के निदेशक आदित्य गग्गर का कहना है कि निफ्टी आज गिरावट के साथ खुला और शुरुआती कारोबार और में नीचे चला गया। लेकिन धीरे-धीरे इसने अपने नुकसान की भरपाई कर ली। हालांकि, ऊपरी स्तरों पर बाजार फिर से संघर्ष करता दिखा। अंत में निफ्टी 140.50 अंकों के नुकसान के साथ 24,971.90 पर बंद हुआ। सेक्टोरल इंडेक्स मिले-जुले रहे। मीडिया और मेटल टॉप गेनर के रूप में उभरे, जबकि आईटी और ऑटो पिछड़ गए। दूसरी ओर ब्रॉडर मार्केट में मजबूत रिकवरी दिखा। जिसके चलते मिड और स्मॉलकैप सेगमेंट में 0.36 फीसदी और 0.70 फीसदी की बढ़त देखने को मिली।
तकनीकी नजरिए से देखें तो निफ्टी ने हरामी कैंडलस्टिक पैटर्न बनाया है,जो बाजार में अनिर्णय की स्थिति को दर्शाता है। पिछले दिन के हाई या लो लेवल 25,130 और 24,780 पर हैं। इनसे ऊपर या नीचे का ब्रेकआउट महत्वपूर्ण होगा। अब ये स्तर तत्काल रेजिस्टेंस और सपोर्ट के रूप में काम कर रहे हैं।
मेहता इक्विटीज के प्रशांत तापसे का कहना है कि इजराइल-ईरान संघर्ष में अमेरिका के कूदने से तनाव बढ़ गया है। इसके चलते निवेशकों द्वारा घबराहट में की गई बिकवाली ने शुरुआती कारोबार में बड़ी गिरावट में अहम भूमिका निभाई। अगर चल रहे युद्ध के कारण तेल की कीमतें तेजी से बढ़ती हैं,तो उच्च आयात बिलों से डॉलर के मुकाबले रुपए में तेजी से गिरावट आएगी और महंगाई बढ़ेगी। हालांकि,पिछले 4 कारोबारी सत्रों में एफआईआई द्वारा 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की खरीदारी हुई है। इससे संकेत मिलता है कि ग्लोबल अनिश्चितता के बावजूद भारत के फंडामेंटल्स विदेशियों को आकर्षित कर रहे हैं।
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