बॉटम बन जाएगा पता भी नहीं चलेगा, दिग्गज स्टॉक्स को 30-40% डिस्काउंट पर खरीदने का मौका फिर नहीं मिलेगा

सितंबर 2024 के आखिर से शुरू हुआ यह करेक्शन पिछले दो मार्केट करेक्शन से अलग है। 2008 में करेक्शन ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस की वजह से शुरू हुआ था। 2020 में कोविड की महामारी करेक्शन की वजह थी। लेकिन, इस बार के करेक्शन की कोई एक वजह नहीं है

अपडेटेड Mar 06, 2025 पर 10:12 AM
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इंडियन मार्केट की वैल्यूएशन अब अट्रैक्टिव हो गई है। Nifty की वैल्यूएशन एक साल की फॉरवर्ड अर्निंग्स की 18.6 गुना पर आ गई है।

स्टॉक मार्केट लगातार 10 दिनों तक गिरने के बाद हरे निशान में लौटा है। 6 मार्च लगातार दूसरा दिन है, जब बाजार का मूड बदला दिख रहा है। हालांकि, सितंबर 2024 के आखिर से मार्केट में शुरू हुई गिरावट ने निवेशकों को इतने गहरे जख्म दिए हैं कि उसके भरने में अभी वक्त लगेगा। मार्केट एक्सपर्ट्स निवेशकों को अभी मार्केट से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं। इनवेस्टर्स भी मार्केट के अपना बॉटम बनाने तक इंतजार करना चाहते हैं। लेकिन, सवाल है कि क्या आपको मार्केट के बॉटम का पता चल पाएगा?

पिछले दो करेक्शन से अलग है यह करेक्शन

एक्सपर्ट्स का कहना है कि मार्केट का यह करेक्शन पिछले दो करेक्शन से अलग है। 2008 के करेक्शन की वजह ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस था। 2020 के करेक्शन की वजह कोविड की महामारी थी। दोनों करेक्शन में मार्केट को गिरावट की वजह पता थी। इस बार के करेक्शन की कोई एक वजह नहीं है। दूसरी बड़ी बात यह कि पिछले दोनों करेक्शन ग्लोबल था। दुनियाभर के स्टॉक मार्केट्स एक साथ गिर रहे थे। लेकिन, इस बार करेक्शन सिर्फ इंडियन मार्केट में दिख रहा है।


इस बार गिरावट की एक से ज्यादा वजहें

इंडियन मार्केट के हाई वैल्यूएशन को लेकर जिस तरह की चिंता जताई जा रही थी, उसके बाद करेक्शन आना तय था। कंपनियों की कमजोर अर्निंग्स ग्रोथ ने इस करेक्शन को हवा दी। उधर, जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद रही सही कसर पूरी हो गई। ट्रंप ने ऐसा टैरिफ बम फोड़ा है जिसकी आवाज तो सुनाई दे रही है, लेकिन यह नहीं पता कि इस बम से किसे कितना नुकसान होने जा रहा है।

निफ्टी की हाई वैल्यूएशन की चिंता खत्म

इंडियन मार्केट की वैल्यूएशन अब अट्रैक्टिव हो गई है। Nifty की वैल्यूएशन एक साल की फॉरवर्ड अर्निंग्स की 18.6 गुना पर आ गई है। यह इसके 20.5 गुना के लंबी अवधि के औसत से कम है। अब सवाल है कि जिस हाई वैल्यूशन की वजह से विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने इंडियन स्टॉक्स बेचने शुरू किए थे, क्या अब वे फिर से इंडियन मार्केट में लौट आएंगे? इस सवाल का जवाब कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है। पहला, टैरिफ वॉर को लेकर किस तरह की तस्वीर उभरने जा रही है। दूसरा, अमेरिकी इकोनॉमी की ग्रोथ कैसी रहती है। इंडिया में कॉर्पोरेट अर्निंग्स कितनी रहती है।

इंडिया की ग्रोथ स्टोरी पर भरोसा

इंडिया की बात करें तो जीडीपी ग्रोथ बढ़ी है। दूसरी तिमाही में गिरकर 5.6 फीसदी पर पहुंच जाने के बाद तीसरी तिमाही में ग्रोथ 6.2 फीसदी रही है। चौथी तिमाही में भी ग्रोथ अच्छी रहने की उम्मीद है। अगर इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ती है तो कंपनियों का प्रदर्शन भी बेहतर रहेगा। आने वाली तिमाहियों में अर्निंग्स ग्रोथ बढ़ सकती है। RBI ने इंटरेस्ट रेट घटाया है। इनफ्लेशन काबू में आ रहा है। सरकार ने इनकम टैक्स में बड़ी कम कर इकोनॉमी में डिमांड बढ़ाने की कोशिश की है। इसका मतलब है कि आगे तस्वीर अच्छी बनती दिख रही है।

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ऐसा मौका शायद ही दोबारा मिलेगा

इनवेस्टर्स का भरोसा इंडिया की ग्रोथ स्टोरी पर होना चाहिए। यह वक्त अच्छे फंडामेंटल वाली कपनियों की पहचान कर उनमें निवेश करने का है। कई दिग्गज कंपनियों के स्टॉक्स 30-40 फीसदी तक गिर चुके हैं। आप उनमें निवेश कर सकते हैं। अगर आपने पहले से उन स्टॉक्स में निवेश किया है तो उनमें निवेश कर अपनी पर्चेंज कॉस्ट घटा सकते हैं। दिग्गज स्टॉक्स में 30-40 फीसदी कम भाव पर निवेश करने का मौका बार-बार नहीं मिलता है। यह मौका 8-10 सालों में सिर्फ एक बार आता है।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Mar 06, 2025 9:58 AM

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