दिसंबर में मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स की निकली हवा, 2.5% से ज्यादा फिसले दोनों सूचकांक

मिडकैप-स्मॉलकैप स्टॉक्स में यह गिरावट तब आई है, जब दूसरी तिमाही में कंपनियों के नतीजों में अर्निंग्स ग्रोथ में इम्प्रूवमेंट देखने को मिला है। कंपनियों की बैलेंसशीट भी पहले के मुकाबले बेहतर है। लार्जकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स के रिटर्न के बीच फर्क बढ़कर करीब 18 फीसदी हो गया है

अपडेटेड Dec 12, 2025 पर 9:58 PM
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मार्च 2025 से अक्तूबर 2025 के बीच मिडकैप सूचकांक 21 फीसदी और स्मॉलकैप सूचकांक 25 फीसदी चढ़ा था।

मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स के लिए दिसंबर अच्छा नहीं है। इस महीने दोनों तरह के स्टॉक्स पर बिकवाली का बड़ा दबाव देखने को मिला है। इस महीने बीएसई मिडकैप इंडेक्स 2.7 फीसदी गिरा है। यह फरवरी 2025 के बाद किसी एक महीने में सबसे ज्यादा ज्यादा गिरावट है। बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स में भी इस दौरान 2.8 फीसदी की गिरावट आई है। यह लगातार दूसरा महीना है जब इन शेयरों में गिरावट आई है। उधर, बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में 1-1 फीसदी की मजबूती आई है।

अर्निंग्स ग्रोथ बढ़ने के बावजूद फिसले शेयर

खास बात यह है कि मिडकैप-स्मॉलकैप स्टॉक्स में यह गिरावट तब आई है, जब दूसरी तिमाही में कंपनियों के नतीजों में अर्निंग्स ग्रोथ में इम्प्रूवमेंट देखने को मिला है। कंपनियों की बैलेंसशीट भी पहले के मुकाबले बेहतर है। पीजीआईएम इंडिया एसेट मैनेजमेंट के अनिरूद्ध नाहा ने कहा कि मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी पोजीशन की अनवाइंडिंग ने बाजार पर दबाव बढ़ाया है।


इस साल मार्च से अक्टूबर के बीच चढ़े थे शेयर

उन्होंने बताया कि नवंबर के अंत में लार्जकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स के रिटर्न के बीच फर्क बढ़कर करीब 18 फीसदी हो गया। 2008 के बाद शायद ही कभी रिटर्न में इतना ज्यादा फर्क आया होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्लोबल इकोनॉमी में अनिश्चितता की वजह वैल्यूएशंस पर फोकस बढ़ा है। दूसरा यह कि दमदार रिटर्न के बाद सुस्ती सामान्य है। मार्च 2025 से अक्तूबर 2025 के बीच मिडकैप सूचकांक 21 फीसदी और स्मॉलकैप सूचकांक 25 फीसदी चढ़ा था।

गिरावट के बावजूद वैल्यूएशंस ज्यादा 

अभी बीएसई मिडकैप इंडेक्स में उसके एक साल के फॉरवर्ड अर्निंग्स के 25.23 गुना पर ट्रेडिंग हो रही है। यह इसके 10 साल की औसत 23.29 गुना की वैल्यूएशन से काफी ज्यादा है। बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स की वैल्यूएशन भी ज्यादा है। यह एक साल की फॉरवर्ड अर्निंग्स का 22.6 गुना है, जबकि इसका लंबी अवधि का औसत 18.97 गुना है। चॉइस ब्रोकिंग में एनालिस्ट आकाश शाह ने कहा कि हाल में स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स में आई गिरावट की वजह मुनाफावसूली, ज्यादा वैल्यूएशंस और रिस्क-ऑफ सेंटिमेंट है।

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प्रॉफिट बुकिंग की वजह से दबाव में स्टॉक्स

उन्होंने कहा कि मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में काफी तेजी देखने को मिली थी। इससे इनकी कीमतें इनके फंडामेंटल्स से आगे निकल गई थीं। अब ट्रेडर्स प्राफिट बुक कर रहे हैं। अगर RSI के संकेतों की बात की जाए तो स्मॉलकैप स्टॉक्स ओवरसोल्ड टेरिटरी में फिसल गए है। इसका मतलब है कि ये स्टॉक्स थक चुके हैं। हालांकि, अब ट्रेंड पलटने की पुष्टि नहीं हुई है। 2026 की शुरुआत में मार्केट कंसॉलिडेशन फेज में जा सकता है।

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