Sensex Outlook: अब इस लेवल तक ही चढ़ पाएगा सेंसेक्स, मॉर्गन स्टैनले ने की दिसंबर के टारगेट में कटौती

Sensex Outlook: वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनले ने घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स के लिए इस साल का टारगेट घटा दिया है। हालांकि अभी भी यह टारगेट मौजूदा लेवल से 6 फीसदी से भी अधिक है। मॉर्गन स्टैनले का रुझान भारत पर बुलिश बना हुआ है लेकिन मॉर्गन स्टैनले इंडिया की रिधम देसाई का मानना है कि कई महीने के निचले स्तर पर जाने का खतरा अभी भी बना हुआ है

अपडेटेड Apr 15, 2025 पर 3:30 PM
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पिछले साल दिसंबर 2024 में मॉर्गन स्टैनले ने बेस केस में दिसंबर 2025 तक सेंसेक्स के 93 हजार के लेवल तक पहुंचने का अनुमान लगाया था। अब इसके 82 हजार तक ही पहुंचने का अनुमान है।

Sensex Outlook: वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनले ने घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स के लिए इस साल का टारगेट घटा दिया है। हालांकि अभी भी यह टारगेट मौजूदा लेवल से 6 फीसदी से भी अधिक है। मॉर्गन स्टैनले का रुझान भारत पर बुलिश बना हुआ है लेकिन मॉर्गन स्टैनले इंडिया की रिधम देसाई का मानना है कि कई महीने के निचले स्तर पर जाने का खतरा अभी भी बना हुआ है। इस महीने की शुरुआत में यह रिकॉर्ड हाई से करीब 17 फीसदी डाउनसाइड 71500 के नीचे तक आ गया था। पिछले साल 27 सितंबर 2024 को यह 85,978.25 के रिकॉर्ड हाई पर था जिससे यह छह महीने से थोड़े ही अधिक समय में यह 16.93 फीसदी फिसलकर 7 अप्रैल 2025 को 71,425.01 पर आ गया था।

साल के आखिरी तक किस लेवल तक चढ़ेगा Sensex?

पिछले साल दिसंबर 2024 में मॉर्गन स्टैनले ने दिसंबर 2025 तक सेंसेक्स के 93 हजार के लेवल तक पहुंचने का अनुमान लगाया था। यह स्थिति बेस केस में थी जबकि बुल केस में तो 1,05,000 तक पहुंचने का अनुमान था। बेयर केस में इसके 70000 तक आने का अनुमान था। अब मॉर्गन स्टैनले का कैलकुलेशन है कि इस साल के आखिरी तक बीएसई सेंसेक्स 82 हजार के लेवल तक पहुंच सकता है।


सेंसेक्स को लेकर क्यों है ब्रोकरेज फर्म पॉजिटिव?

रिधम देसाई का कहना है कि भारत की बीटा कम है जिससे वैश्विक मार्केट में बिकवाली के माहौल में भी इसे ऊपर चढ़ने में मदद मिल रही है। इसे आरबीआई की नरम पॉलिसी, जीएसटी रेट में कटौती, अमेरिका के साथ ट्रेड डील की संभावना और ग्रोथ के आंकड़ों से सपोर्ट मिल रहा है। मॉर्गन स्टेनली ने हाल ही में कहा था कि करेक्शन का दौर खत्म होने के बाद आने वाले महीनों में बाकी विकासशील देशों की तुलना में भारतीय बाजार का प्रदर्शन बेहतर रह सकता है। ब्रोकरेज फर्म ने फरवरी में कहा था कि कारोबारी सुधार, प्राइमरी डेफिसिट में कमी और मुद्रास्फीति की अस्थिरता में कमी के साथ भारत में बड़े पैमाने पर मैक्रो स्टैबिलिटी मजबूत है। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे कारोबारी लड़ाई में भारत मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है।

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