वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने अपने लेटेस्ट नोट में भारतीय बैंकों को लेकर अपडेट जारी किए हैं। ब्रोकरेज का सुझाव है कि निवेशकों को सरकारी और मिड साइज के प्राइवेट बैंकों की बजाय बड़े प्राइवेट बैंकों में निवेश करना चाहिए। इस बात पर जोर दिया गया है कि निवेशकों के लिए ज्यादा सिलेक्टिव होने का वक्त आ गया है।
मॉर्गन स्टेनली ने फेडरल बैंक के शेयर के लिए रेटिंग को 'इक्वलवेट' से घटाकर 'अंडरवेट' कर दिया है। साथ ही शेयर के लिए टारगेट प्राइस को भी 200 रुपये से घटाकर 185 रुपये प्रति शेयर कर दिया है। 4 सितंबर को बीएसई पर फेडरल बैंक का शेयर 3 प्रतिशत से ज्यादा टूटकर 187.85 रुपये पर बंद हुआ। इसी तरह RBL Bank के शेयर के लिए रेटिंग 'अंडरवेट' रखी गई है और टारगेट प्राइस को 260 रुपये से घटाकर 210 रुपये प्रति शेयर कर दिया गया है। 4 सितंबर को बीएसई पर शेयर 4 प्रतिशत टूटकर 216.90 रुपये पर बंद हुआ।
PNB के लिए भी घटाई रेटिंग
पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक के शेयर के लिए रेटिंग डाउनग्रेड कर 'अंडरवेट' कर दी गई है। इन तीनों बैंकों के लिए टारगेट प्राइस घटाकर क्रमशः 73 रुपये, 110 रुपये और 83 रुपये प्रति शेयर कर दिया गया है। 4 सितंबर को बीएसई पर PNB का शेयर 2 प्रतिशत टूटकर 113.05 रुपये, बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 1 प्रतिशत गिरकर 117.70 रुपये और केनरा बैंक का शेयर 2 प्रतिशत से ज्यादा गिरकर 108.60 रुपये पर सेटल हुआ।
ये बैंक अभी भी बने हुए हैं पसंदीदा
प्राइवेट सेक्टर के बड़े बैंकों की बात करें तो ICICI Bank, कोटक महिंद्रा बैंक और एक्सिस बैंक, मॉर्गन स्टेनली के 'प्रमुख पिक्स' में अभी भी शामिल हैं। हालांकि इन बैंकों के शेयर के टारगेट प्राइस में मामूली कमी की गई है। मॉर्गन स्टेनली ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के शेयर के लिए 'इक्वलवेट' रेटिंग बरकरार रखी है। टारगेट प्राइस घटाकर 800 रुपये प्रति शेयर कर दिया है। 4 सितंबर को बीएसई पर एसबीआई का शेयर 1 प्रतिशत टूटकर 816 रुपये पर बंद हुआ। बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयर के लिए भी 'इक्वलवेट' रुख बरकरार रखा है और टारगेट प्राइस घटाकर 265 रुपये प्रति शेयर कर दिया है। शेयर 3 प्रतिशत टूटकर 243.40 रुपये पर बंद हुआ।
मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि निवेशकों के लिए अधिक सिलेक्टिव होने का समय आ गया है। आने वाले वर्षों में बैंकिंग क्षेत्र में मार्जिन और एसेट्स की गुणवत्ता सामान्य होने की उम्मीद है, जिससे हर बैंक की फ्रैंचाइज स्ट्रेंथ के आधार पर प्रॉफिटेबिलटी में बदलाव आएगा। बड़े प्राइवेट बैंकों के बेहतर प्रदर्शन और हायर रिलेटिव वैल्यूएशंस हासिल करने की उम्मीद है। मिड साइज के प्राइवेट और सरकारी बैंकों के लिए नॉन परफॉर्मिंग लोन साइकिल में सुधार शुरू होने से पहले प्रॉफिटेबिलटी, साइकिल एवरेजेस से नीचे गिर सकती है।
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