Pipe Stocks: प्रिंस पाइप्स एंड फिटिंग्स के शेयरों में आज जोरदार उछाल दिखी और यह करीब 9% ऊपर चढ़ गया। सिर्फ यही नहीं, सुप्रीम इंडस्ट्रीज के शेयर भी करीब ढाई फीसदी और एस्ट्रल के शेयर करीब 4% उछल गए। इन तीनों स्टॉक्स में कॉमन बात ये है कि ये तीनों पीवीसी पाइप जैसा प्लास्टिक प्रोडक्ट्स बनाती हैं और घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल पीवीसी पाइप सेक्टर को लेकर काफी बुलिश है। ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि पीवीसी पाइप सेक्टर में बूम आने वाला है और इसे इन तीन शेयरों में निवेश के जरिए भुनाया जा सकता है।
फिलहाल बीएसई पर प्रिंस पाइप्स के शेयर 5.73% की बढ़त के साथ ₹346.95 (Prince Pipes Share Price), एस्ट्रल के शेयर 2.48% के उछाल के साथ ₹1428.00 (Astral Share Price) और सुप्रीम इंडस्ट्रीज के शेयर 0.39% की बढ़त के साथ ₹4556.95 पर हैं। इंट्रा-डे में प्रिंस पाइप्स के शेयर 8.81% उछलकर ₹357.05, एस्ट्रल के शेयर 3.89% की बढ़त के साथ ₹1447.75 और सुप्रीम इंडस्ट्रीज के शेयर 2.38 के उछाल के साथ ₹4647.15 पर पहुंच गए थे।
मोतीलाल ओसवाल ने प्रिंस पाइप्स, एस्ट्रल और सुप्रीम इंडस्ट्रीज को फिर से खरीदारी की रेटिंग दी है। इसमें से प्रिंस पाइप्स का टारगेट प्राइस ब्रोकरेज फर्म ने ₹440, एस्ट्रल का ₹1,650 और सुप्रीम इंडस्ट्रीज का ₹5,350 फिक्स किया है। ओवरऑल बात करें तो प्रिंस पाइप्स को कवर करने वाले 16 एनालिस्ट्स में से 10 ने खरीदारी, 3 ने होल्ड और 3 ने सेल रेटिंग दी है। वहीं सुप्रीम इंडस्ट्रीज को कवर करने वाले 27 एनालिस्ट्स में से 14 ने खरीदारी, 10 ने होल्ड और 3 ने सेल रेटिंग तो एस्ट्रल को कवर करने वाले 29 एनालिस्ट्स में से 20 ने खरीदारी, 7 ने होल्ड और 2 ने सेल रेटिंग दी है।
ब्रोकरेज फर्म क्यों है इतना बुलिश?
मोतीलाल ओसवाल का मानना है कि वित्त वर्ष 2025 में चुनौतियों और वित्त वर्ष 2026 में धीमी शुरुआत के बाद घरेलू पाइप सेक्टर अब सुधार के कगार पर है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (DGTR) ने एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है और पीवीसी पाइप निचले स्तर पर स्थिर हो गए हैं जिससे अब धीरे-धीरे कीमतों में बढ़ोतरी के आसार दिख रहे हैं। इसके अलावा मांग सुधर रही है। इन वजहों से ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि दूसरी तिमाही से पाइप सेक्टर में धीरे-धीरे सुधार शुरू हो जाएगा।
मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि इस वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही अप्रैल-जून 2025 के कमजोर रहने के बावजूद पूरे साल वॉल्यूम में दोहरे अंकों की ग्रोथ को लेकर कंपनियां आश्वस्त हैं। इसे जुलाई-अगस्त में मजबूत रिकलरी, पीवीसी की स्थिर कीमतों और एंटी-डंपिंग ड्यूटी की उम्मीद और अहम आउटलुक से सपोर्ट मिल रहा है। जून तिमाही में पीवीसी पाइप्स सेक्टर का रेवेन्यू 3% गिरकर ₹5,870 करोड़ पर आ गया और ऑपरेटिंग प्रॉफिट भी 27% फिसलकर ₹660 करोड़ पर आ गया। हालांकि मैनेजमेंट का मानना है कि यह इस प्रकार के घाटे वाली यह आखिरी तिमाही होगी।
डीजीटीआर ने चीन और अमेरिका समेत सात देशों के प्रमुख निर्यातकों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है, जो भारत के आयात का बड़ा हिस्सा हैं। हालांकि खास बात ये है कि घरेलू पीवीसी क्षमता 18 लाख मीट्रिक टन है, जबकि मांग 47 लाख मीट्रिक टन है यानी कि भारत में स्ट्रक्चरल डेफिसिट की स्थिति है। इसे लेकर बड़ी कंपनियों ने वर्ष 2027 तक क्षमता को 25 लाख मीट्रिक टन बढ़ाने की है, जो धीरे-धीरे आयात की जगह लेगी। इससे पाइप बनाने वाली कंपनियों को फायदा मिलेगा क्योंकि इससे सप्लाई को लेकर भरोसा बढ़ेगा, कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव कम होगा, वर्किंग कैपिटल की जरूरतें कम होगा और मार्जिन भी बेहतर होगा।
डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए सलाह या विचार एक्सपर्ट/ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदायी नहीं है। यूजर्स को मनीकंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले हमेशा सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।