Vedanta Dividend Record Date: दिग्गज माइनिंग कंपनी वेदांता के बोर्ड की आज बैठक होने वाली है। इस बैठक में इस वित्त वर्ष 2026 के लिए दूसरे अंतरिम डिविडेंड पर फैसला होना है। हालांकि इस अंतरिम डिविडेंड के रिकॉर्ड डेट का ऐलान पहले ही हो चुका है। अब डिविडेंड अमाउंट पर फैसला होना है और इस फैसले से पहले आज शेयरों में हल्की तेजी दिख रही है। आज बीएसई पर यह 0.30% की बढ़त के साथ ₹446.80 के भाव पर बंद हुआ है। इंट्रा-डे में यह 0.77% उछलकर ₹448.90 के भाव (Vedanta Share Price) तक पहुंच गया था।
क्या है Vedanta के डिविडेंड की रिकॉर्ड डेट?
इस वित्त वर्ष 2026 में कंपनी एक बार ₹7 का अंतरिम डिविडेंड बांट चुकी है और अब दूसरी बार यह डिविडेंड बांटने पर फैसला करने वाली है। इस दूसरे अंतरिम डिविडेंड के लिए रिकॉर्ड डेट पहले ही फिक्स हो चुका है और इसे 27 अगस्त तय किया गया है। बता दें कि कंपनी का डिविडेंड बांटने का शानदार रिकॉर्ड रहा है और पिछले वित्त वर्ष 2025 में कंपनी ने चार अंतरिम डिविडेंड में ₹43.50 का एक्स्ट्रा मुनाफा दिया था। अब ब्रोकरेज फर्म जेपीमॉर्गन का अनुमान है कि वेदांता डिविडेंड के रूप में इस वित्त वर्ष 2026 महज ₹25 का अंतरिम डिविडेंड बांट सकती है और अगले वित्त वर्ष 2027 में ₹27 का अंतरिम डिविडेंड बांट सकती है
वेदांता के लिए चालू वित्त वर्ष 2026 की शुरुआत खास नहीं रही। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून 2025 में कंपनी का शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 11.67% गिरकर ₹3185 करोड़ पर आ गया लेकिन दूसरी तरफ ऑपरेशंस से रेवेन्यू इस दौरान करीब 6% बढ़कर ₹37,824 करोड़ पर पहुंच गया। कंपनी का खर्च इस दौरान ₹30772 करोड़ से बढ़कर ₹32756 करोड़ पर पहुंच गया।
अब एक साल में शेयरों के चाल की बात करें तो वेदांता के शेयर पिछले साल 16 दिसंबर 2024 को ₹527.00 पर थे जो इसके लिए एक साल का रिकॉर्ड हाई है। इस हाई से यह चार महीने में 31.27% फिसलकर 7 अप्रैल 2025 को ₹362.20 पर आ गया जो इसके शेयरों के लिए एक साल का रिकॉर्ड निचला स्तर है।
इस समय इसके शेयरों के स्थिति की बात करें तो आज यह ग्रीन जोन में है लेकिन एक कारोबारी दिन इसके शेयरों पर बिकवाली का भारी दबाव दिखा था और इसकी वजह सरकार की तरफ से कंपनी पर लगाए गए आरोप थे जिसकी वजह से इसके डीमर्जर प्रोसेस पर एनसीएलटी में सुनवाई टल गई है। एनसीएसटी ने सरकार की आपत्तियों पर सुनवाई टाली है। सरकार का कहना है कि डिमर्जर के बाद उसके बकाए वसूलने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा सरकार का आरोप है कि कंपनी ने अपनी आय को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया और कुछ देनदारियों को भी छिपाया।
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