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NFO: सिर्फ 500 रुपए से शुरू कर सकते हैं SIP, जानिए एडलवाइज के MF में क्या है खास

फोकस्ड इक्विटी फंड्स ऐसे इक्वीट फंड को कहते हैं, जो अपने कुल एसेट का कम से कम 65 फीसदी शेयरों या शेयरों से जुड़े इंस्ट्रूमेंट में करते हैं। यह अधिकतम 30 कंपनियों के शेयर में इनवेस्ट कर सकते हैं

अपडेटेड Jul 12, 2022 पर 4:57 PM
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इस NFO में 12 जुलाई से 25 जुलाई तक इनवेस्ट किया जा सकता है। इस स्कीम में डायरेक्ट और रेगुलर दोनों ऑप्शन उपलब्ध हैं।

Edelweiss Mutual Fund ने मंगलवार (12 जुलाई) को एक फोकस्ड इक्विटी फंड लॉन्च किया। यह स्कीम 25 से 30 कंपनियों के शेयरों में निवेश करेगी। इनमें बिजनेस-टू-बिजनेस और बिजनेस-टू-कस्टमर सेगमेंट की कंपनियां भी शामिल होंगी। इस NFO में 12 जुलाई से 25 जुलाई तक इनवेस्ट किया जा सकता है। इस स्कीम में डायरेक्ट और रेगुलर दोनों ऑप्शन उपलब्ध हैं।

यह स्कीम पहले से मजबूत ब्रांड्स के साथ ही उभरते ब्रांड वाली कंपनियों के शेयरों में इनवेस्टमेंट के मौके तलाशेगी। यह मार्केट लीडर्स, इनोवेटिव कंपनियों और उभरते मार्केट में बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने वाली कंपनियों के शेयरों में भी इनवेस्ट करेगी।

एडलवाइज म्यूचुअल फंड की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ राधिका गुप्ता ने कहा, "इंडिया में बिजनेस ग्रोथ और ट्रांसफॉर्मेशन के लिए समय बहुत अच्छा दिख रहा है। इसे आबादी में युवाओं की ज्यादा हिस्सेदारी, मजबूत रेगुलेशन, मैन्युफैक्चरिंग पर जोर और तेजी से बढ़ते डिजिटाइजेशन का फायदा मिलेगा।"


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यह फंड किसी खास सेक्टर में निवेश पर जोर नहीं देगा। साथ ही यह बॉटम-अप इनवेस्टिंग एप्रोच अपनाएगा। इसका फोकस मार्केट कैप पर भी नहीं होगा।

गुप्ता ने कहा, "हमारा मानना है कि ब्रांड्स, मार्केट शेयर गेनर्स और इनोवेटर्स एंड डिस्परप्टर्स जैसे निवेश के मौके पर फोकस से अच्छी ग्रोथ हासिल की जा सकती है।" इस स्कीम का बेंचमार्क NIFTY500 TRI होगा। इस फंड का प्रबंधन त्रिदीप भट्टाचार्य करेंगे। वह एडलावाइज में चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर (इक्विटीज) हैं। अभिषेक गुप्ता भी इसके फंड मैनेजर होंगे।

Focused Equity Fund का मतलब क्या है?

फोकस्ड इक्विटी फंड्स ऐसे इक्वीट फंड को कहते हैं, जो अपने कुल एसेट का कम से कम 65 फीसदी शेयरों या शेयरों से जुड़े इंस्ट्रूमेंट में करते हैं। यह अधिकतम 30 कंपनियों के शेयर में इनवेस्ट कर सकते हैं।

ये छोटी-बड़ी हर मार्केट कैपिटलाइजेशन की कंपनियों में इनवेस्ट कर सकते हैं। सेक्टर और इंडस्ट्रीज के मामले में भी इन्हें आजादी हासिल है। इन फंडों में रिस्क थोड़ा ज्यादा हो सकता है। इसकी वजह यह है कि इनके पोर्टफोलियो में शेयरों की संख्या सीमित होती है।

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