Nifty 500 कंपनियों में घटी प्रमोटर्स की हिस्सेदारी, निफ्टी 50 में घरेलू संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ी

ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट से कंपनियों में ओनरशिप पैटर्न में आए बदलाव का पता चलता है। इसमें कहा गया है कि कई सालों तक सीमित दायरे में रहने के बाद कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी घटकर इस साल मार्च में सबसे निचले स्तर पर आ गई

अपडेटेड May 15, 2025 पर 4:38 PM
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मार्च 2015 से मार्च 2025 के बीच Nifty 50 कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी दोगुनी यानी 11 फीसदी से बढ़कर 23 फीसदी हो गई है।

पिछले कुछ हफ्तों में इंडियन मार्केट की तस्वीर बदली है। देशी और विदेशी निवेशकों की तरफ से मार्केट में काफी निवेश आ रहा है। अगर कोविड के बाद से देखा जाए तो इस दौरान कंपनियों की शेयरहोल्डिंग में बदलाव आया है। इनमें से सबसे खास निफ्टी 500 कंपनियों में प्रमोटर्स की शेयरहोल्डिंग है। यह ऑल-टाइम लो पर आ गई है। यह मार्च 2015 में 52.1 फीसदी थी। मार्च 2020 में यह घटकर 51.7 पर आ गई थी। इस साल मार्च में यह 49.5 फीसदी पर आ गई है।

मार्च में प्रमोटर की हिस्सेदारी सबसे निचले स्तर पर

ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट से कंपनियों में ओनरशिप पैटर्न में आए बदलाव का पता चलता है। इसमें कहा गया है कि कई सालों तक सीमित दायरे में रहने के बाद कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी घटकर इस साल मार्च में सबसे निचले स्तर पर आ गई। आम तौर पर कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी का घटना निवेशकों के लिए चिंता की बात होती है। लेकिन, इस बार इसे दूसरी नजर से देखा जा रहा है।


शेयरों की कीमतें में तेजी से बढ़ी है वैल्यूएशन

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस साल मार्केट में काफी उतारचढ़ाव देखने को मिला है। इस बीच वैल्यूएशन भी बढ़ी है। ऐसे में प्रमोटर्स ने हाई वैल्यूएशन का फायदा उठाने की कोशिश की होगी। लार्जकैप कंपनियों में प्रमोटर्स की शेयरहोल्डिंग गिरकर ऑल-टाइम लो पर आ गई है, जबकि मिडकैप स्टॉक्स में यह दूसरे सबसे कम लेवल पर है। स्मॉलकैप्स में भी प्रमोटर्स की हिस्सेदारी लो लेवल पर है। गौरतलब है कि हालिया गिरावट में मिडकैप और स्मॉलकैप में ज्यादा गिरावट दिखी थी।

Nifty 50 कंपनियों में  बढ़ी DIIs की हिस्सेदारी

इस बीच, घरेलू संस्थागत निवेशकों के पास फंड्स की कोई कमी नहीं रही। मार्च 2015 से मार्च 2025 के बीच Nifty 50 कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी दोगुनी यानी 11 फीसदी से बढ़कर 23 फीसदी हो गई है। इस बीच, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की हिस्सेदारी घटी है। इसकी एक वजह FIIs की बिकवाली हो सकती है। लंबे समय बाद विदेशी संस्थागत निवेशकों ने इंडियन मार्केट्स में खरीदारी शुरू की है। इससे पहले वे लगातार बिकवाली कर रहे थे।

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15 मई को मार्केट में जबर्दस्त तेजी

घरेलू और विदेशी संस्थागत निवेशकों की अच्छी खरीदारी का बाजार पर असर पड़ा है। 15 मई को अच्छी खरीदारी से बाजार में अच्छी तेजी दिखी। शुरुआत में मजबूत खुलने के बाद बाजार के प्रमुख सूचकांक लाल निशान में चले गए। लेकिन, दोपहर बाद शानदार खरीदारी से सेंसेक्स और निफ्टी जैसे प्रमुख सूचकाकों में 1.48 से 1.60 फीसदी तक तेजी देखने को मिली।

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