Nifty 500 Stocks Valuation: कोरोना महामारी के बाद भारत के इक्विटी बेंचमार्क रिच वैल्यूएशन वाले स्टॉक्स की तरफ अधिक झुके हुए हैं यानी कि बड़ी संख्या में स्टॉक्स का वैल्यूएशन रिच हो चुका है। यह दुनिया के दूसरे अहम देशों के इक्विटी इंडेक्सों की तुलना में अलग हैष हालांकि हाई वैल्यूएशन के चलते गिरावट का खतरा भी अधिक रहता है। भारत में कितनी लिस्टेड कंपनियां का वैल्यूएशन रिच हुआ है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि निफ्टी 500 की करीब 235 कंपनियां यानी कि इंडेक्स के करीब 47% स्टॉक्स का पिछले 12 महीने का प्राइस-टू-अर्निंग्स (P/E) मल्टीपल 40x के ऊपर है। कोरोना महामारी से पहले ऐसा वैल्यूएशन लगभग 16% या 80 कंपनियों का ही होता था।
Nifty 500 के कौन हैं सबसे महंगे स्टॉक्स?
महंगे स्टॉक्स की बात करें तो निफ्टी 500 इंडेक्स में सबसे ऊपर नाम देवयानी इंटरनेशनल (Devyani International) का है जिसका ट्रेलिंग P/E 2200x के पार है। इसके बाद फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स त्रावणकोर (Fertilisers & Chemicals Travancore) का ट्रेलिंग P/E 1,500x, एटर्नल (Eternal) का 970x है। इनके अलावा वेस्टलाइफ फूडवर्ल्ड (Westlife Foodworld), एफएसएन ई-कॉमर्स वेंचर्स (FSN E-Commerce Ventures), सफायर फूड्स इंडिया (Sapphire Foods India), एमआरपीएल (MRPL), पीटीसी इंडस्ट्रीज (PTC Industries), पीरामल फार्मा (Piramal Pharma) और पीबी फिनटेक (PB Fintech) का भी वैल्यूएशन काफी हाई है।
क्या कहना है एक्सपर्ट्स का?
बाजार के जानकारों के मुताबिक हाई मल्टीपल का मतलब है कि आने वाले समय की तेजी शेयरों के भाव में शामिल हो चुकी है। कमाई में चूक, सेंटिमेंट में बदलाव और सख्त मौद्रिक परिस्थितियों से ऐसे शेयरों में तेज गिरावट दिख सकती है। मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक हाई वैल्यूएशन वाले स्टॉक्स में तेजी की सीमित संभावनाएं सीमित रहती हैं और विपरीत परिस्थितियों में इनमें गिरावट भी तेज आ सकती है।
हालांकि सभी एनालिस्ट्स का ऐसा नहीं मानना है कि हाई पीई रेश्यो को रिस्की नहीं मानते। मार्केट के जानकार दीपक जासानी के मुताबिक इंडेक्स में शामिल होने के लिए वैल्यूएशन के अलावा कई और फैक्टर्स भी अहम होते हैं जैसेकि फ्री फ्लोट, लिक्विडिटी, सेक्टर प्रतिनिधित्व और निवेशकों की रुचि। दीपक के मुताबिक वैल्यूएशन हाई होने पर इंडेक्स से शेयर बाहर नहीं हो जाते हैं।
कंप्लीट सर्किल कैपिटल के पार्टनर और वाइस प्रेसिडेंट आदित्य कोंडवार का कहना है कि निफ्टी 500 के करीब आधे स्टॉक्स की P/E 40 गुना से अधिक है लेकिन उनमें से लगभग 28% कंपनियां की EPS (प्रति शेयर आय) ग्रोथ 50% है यानी प्राइस-अर्निंग्स-ग्रोथ (PEG) रेश्यो करीब 1 के पास है जोकि अच्छा माना जाता है। करीब 34% यानी 170 स्टॉक्स की ईपीएस ग्रोथ 40% या इससे अधिक है।
कुछ एनालिस्ट्स का मानना है कि हाई वैल्यूएशन से जुड़ी चिंताओं के बावजूद घरेलू संस्थान और म्यूचुअल फंड खरीदारी कर रहे हैं जिससे बड़ी गिरावट की आशंका कम हो गई हैं। एक्सिस सिक्योरिटीज के राजेश पालवीय के मुताबिक म्यूचुअल फंडों के पास करीब ₹1.8 लाख करोड़ की नगदी है जो विदेशी निवेशक के नहीं रहने की स्थिति में मार्केट को कवच प्रदान करता है।
बाकी देशों की क्या है स्थिति?
निफ्टी 500 के करीब 47% स्टॉक्स का 12 महीने का ट्रेलिंग पीईओ रेश्यो 40 गुना से अधिक है। वहीं इसकी तुलना में पड़ोसी देश चीन के सीएसआई 300 इंडेक्स के करीब 25% स्टॉक्स का वैल्यूएशन इस लेवल के पार है। इंडोनेशिया के जकार्ता कंपोजिट के 14%, ताइवान के वेटेड इंडेक्स के 16%, जर्मनी के डीएएक्स के 15%, अमेरिका के एसएंडपी 500 के 14%, फ्रांस के सीएसी 40 के 13% और दक्षिण कोरिया के कोस्पी के करीब 10% स्टॉक्स का पीई वैल्यूएशन 40 गुना के पार है। कई अन्य बाजारों में यह आंकड़ा बहुत कम है, जैसेकि दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग ऑल शेयर और थाईलैंड के एसईटी का करीब 5%, फिलीपींस के पीएसईआई का 3%, ब्राजील के बोवेस्पा का 1%, जापान के टॉपिक्स का करीब 8% और यूरोप के Stoxx 600 का 10%।
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