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IIFL Finance के निर्मल जैन ने RBI के प्रतिबंध से मिली सीख के बारे में बताया, कहा-नियमों की अनदेखी नहीं की जा सकती

IIFL Finance को आरबीआई के प्रतिबंध हटाने के फैसले से काफी राहत मिली है। कंपनी अब फिर से ग्राहकों को गोल्ड लोन देगी। इस साल 4 मार्च को आरबीआई ने कंपनी के नए ग्राहकों को गोल्ड देने पर रोक लगा दी थी। यह कंपनी के लिए बड़ा झटका था

अपडेटेड Sep 23, 2024 पर 10:02 AM
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निर्मल जैन ने कहा कि नियमों का पालन बहुत जरूरी है। अच्छी बात यह है कि हमारे पास लिक्विडिटी है और हमारे इनवेस्टर्स अच्छे हैं, जिनका सपोर्ट हमें मिल रहा है।
     
     
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    आईआईएफल फाइनेंस के लिए पिछले हफ्ते अच्छी खबर आई। आरबीआई ने 19 सितंबर को कंपनी पर लगा प्रतिबंध हटा दिया। इस साल 4 मार्च को आरबीआई ने कंपनी को नए ग्राहकों को गोल्ड देने पर रोक लगा दी थी। यह कंपनी के लिए बड़ा झटका था। मनीकंट्रोल ने इस बारे में कंपनी के को-फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर निर्मल जैन से बातचीत की। उनसे पूछा कि केंद्रीय बैंक के प्रतिबंधन लगाने के फैसले से उन्होंने क्या सबक लिया है। उनसे कंपनी के प्लान के बार में भी विस्तार से बातचीत की।

    बिजनेस के लिए रिस्क कहीं से भी आ सकता है

    जैन (Nirmal Jain) ने कहा कि बीते साढ़े छह महीनों की सबसे बड़ी सीख यह रही कि रिस्क कहीं से भी आ सकता है। आरबीआई के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि कंपनी नियमों का पालन करते हुए ग्रोथ हासिल करने की कोशिश करेगी। हम कंप्लायंस और रिस्क मैनेजमेंट के मामले में अपनी टीम को मजबूत बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्रोथ को लेकर अभी पक्के तौर पर कुछ बताना मुश्किल है। लेकिन, हम ग्रोथ के लिए कोशिश करेंगे।


    नियमों की अनदेखी नहीं की जा सकती

    उन्होंने कहा कि नियमों का पालन बहुत जरूरी है। अच्छी बात यह है कि हमारे पास लिक्विडिटी है और हमारे इनवेस्टर्स अच्छे हैं, जिनका सपोर्ट हमें मिल रहा है। बीते साढ़े छह महीनों में हमने यह भी सीखा है कि हमें हताश नहीं होना चाहिए। कई बार एंप्लॉयीज की सैलरी में कमी कर कॉस्ट में करना सही विकल्प लगता है। लेकिन, हमने कभी ऐसा नहीं किया। हमारा मानना है कि हमें उनका सपोर्ट करना होगा। इसलिए ये ऐसे विकल्प हैं, जिनके गलत नतीजे हो सकते हैं। इसलिए आज हमारे एंप्लॉयीज हमारे साथ हैं। ग्राहक फिर से हमारे पास आ रहे हैं।

    सरकारी बैंकों से काफी सहयोग मिला

    आरबीआई के प्रतिबंध के दौरान बैंकों से मिले सहयोग के बारे में जैन ने कहा कि खासकर सरकारी बैंकों से हमें काफी मदद मिली। प्रतिबंध के दौरान उन्होंने व्यवस्थित तरीके से काम किया। उन्होंने एक मीटिंग रखी, जिसमें चीजों को पारदर्शी रखने पर जोर दिया। हमारी सहमति से उन्होंने एक मॉनिटरिंग एजेंसी को अप्वाइंट किया। इसका काम डेटा फ्लो पर नजर रखना और यह देखना था कि संकट के समय में पैसा किस तरह से खर्च किया जा रहा है। उन्होंने ऑडिटर्स नियुक्त किए और गोल्ड लोन की ऑडिटिंग में काफी सख्ती बरती। आरबीआई ने भी अपनी ऑडिटिंग की और संयोग से उसे एक भी प्रॉब्लम नहीं मिली।

    कंप्लायंस टीम को मजबूत बनाने पर फोकस

    कंप्लायंस के बारे में उन्होंने कहा कि यह हो सकता है कि पहले हमारी कंप्लायंस टीम कमजोर रही हो। दरअसल हमारा बिजनेस काफी तेजी से बढ़ा था जिससे कंप्लायंस की जरूरतें भी बढ़ गई थीं। अब हम अपनी ऑडिट, रिस्क मैनेजमेंट और MIS टीमों को मजबूत बना रहे हैं। हम इनमें से हर कड़ी को स्ट्रॉन्ग बना रहे हैं। यहां तक कि हम ऐसे मामलों पर भी फोकस कर रहे हैं, जिनका सीधा संबंध आरबीआई से नहीं है। एचआर और मार्केटिंग से जुड़े कामकाज इसके उदाहरण हैं। हमारी कोशिश इनमें इम्प्रूवमेंट लाने की है।

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    छह महीनों में शेयरों ने दिया 68 फीसदी रिटर्न

    IIFL Finance के शेयरों में 23 सितंबर को दबाव देखने को मिला। 9:55 में स्टॉक का प्राइस 1.34 फीसदी गिरकर 523 रुपये पर था। बीते छह महीनों में इस स्टॉक का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है। इसने इस दौरान करीब 68 फीसदी रिटर्न दिया है।

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