डेरिवेटिव सेगमेंट में एक्टिविटी रोकने की कोई और योजना नहीं, SEBI के होलटाइम मेंबर ने दी जानकारी

मार्केट रेगुलेटर SEBI ने पिछले साल नवंबर में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस मार्केट में भारी उतार-चढ़ाव भरे कारोबार पर लगाम के लिए प्रतिबंधों का एक सेट लागू किया था। सेबी ने यह कदम पिछले तीन वर्षों में 93 फीसदी ट्रेड्स में पैसा गंवाने वाले निवेशकों के आंकड़े सामने आने के बाद उठाया था

अपडेटेड Jan 11, 2025 पर 6:55 PM
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मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) डेरिवेटिव सेगमेंट में एक्टिविटी को रोकने के लिए कोई और कदम उठाने की योजना नहीं बना रहा है।

मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) डेरिवेटिव सेगमेंट में एक्टिविटी को रोकने के लिए कोई और कदम उठाने की योजना नहीं बना रहा है। यह जानकारी दी है सेबी के होलटाइम मेंबर अनंत नारायण ने। नारायण ने आज शनिवार को कहा कि रिजर्व बैंक के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर जी पद्मनाभन के नेतृत्व में एक एक्सपर्ट ग्रुप सिस्टम को बेहतर बनाने पर काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि कारोबारी सुगमता और बेहतर रिस्क मैनेजमेंट के लिए कुछ कदमों पर विचार किया जा रहा है।

अनंत नारायण का पूरा बयान

नारायण ने सेबी द्वारा प्रमोटेड NISM के एक इवेंट में कहा, “इस समय सेबी की तरफ से डेरिवेटिव सेगमेंट में एक्टिविटी रोकने के लिए कोई और कदम उठाने का कोई विचार नहीं है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि सेबी ‘उपयुक्तता और अनुकूलता’ को लेकर ऐसा कोई कदम उठाने पर विचार नहीं कर रहा है जो यह तय करे कि डेरिवेटिव मार्केट में कौन ट्रेड कर सकता है।


पिछले साल नवंबर में सेबी ने लागू किए थे प्रतिबंध

सेबी ने पिछले साल नवंबर में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस मार्केट में भारी उतार-चढ़ाव भरे कारोबार पर लगाम के लिए प्रतिबंधों का एक सेट लागू किया था। सेबी ने यह कदम पिछले तीन वर्षों में 93 फीसदी ट्रेड्स में पैसा गंवाने वाले निवेशकों के आंकड़े सामने आने के बाद उठाया था।

'सेबी डेरिवेटिव के खिलाफ नहीं'

सेबी के होलटाइम मेंबर ने कहा कि सेबी डेरिवेटिव के खिलाफ नहीं है और प्राइस डिस्कवरी और मार्केट को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि डेरिवेटिव को लेकर बदलाव केवल परामर्श के बाद ही पेश किए जाएंगे। बाजार नियामक के भीतर चर्चा किए जा रहे कुछ उपायों में डेरिवेटिव बाजार में जोखिम को बेहतर ढंग से मापने के लिए कदम शामिल हैं।

उन्होंने कहा, “आपको आदर्श रूप से चाहिए कि कैश मार्केट में वॉल्यूम और गहराई अच्छी हो। इसी तरह डेरिवेटिव मार्केट में भी वॉल्यूम व्यापक होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि दोनों बाजारों की लिक्विडिटी में किसी तरह की कनेक्टिविटी हो।”

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