आने वाले दिनों में अब आर्ट्स और कॉमर्स स्ट्रीम के छात्र भी पायलट बनने का सपना पूरा कर सकेंगे। DGCA ने पायलट लाइसेंस के लिए 12वीं में साइंस स्ट्रीम की अनिवार्यता को खत्म करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। क्या है इस फैसले के मायने और इससे किसे फायदा मिलेगा इस पर ज्यादा जानकारी देते हुए सीएनबीसी-आवाज़ संवाददाता रोहन सिंह ने बताया कि अब आर्ट्स और कॉमर्स के छात्र पायलट बन सकेंगे। इससेपायलट बनने की नई राह खुलेगी। इसके लिए 12वीं में साइंस की अनिवार्यता खत्म होगी। DGCA ने इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। हालांकि, विमानन मंत्रालय से इसके लिए फाइनल मंजूरी बाकी है। पायलटों की कमी को देखते हुए यह बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पायलटों की काबिलियत फ्लाइंग स्कूल में ट्रेनिंग से तय होगी।
DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) कई नई सिफारिश से अब आर्ट्स और कॉमर्स के छात्र भी कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) की ट्रेनिंग ले सकेंगे। गौरतलब है कि अभी तक यह मौका केवल उन्हीं छात्रों को मिलता था जिन्होंने 12वीं में फिजिक्स और मैथ्स पढ़ी हो। DGCA ने यह सिफारिश सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को भेज दी है। इस मिनिस्ट्री से मंजूरी मिलने के बाद यह प्रस्ताव कानून मंत्रालय को जाएगा। जो इसे नोटिफाई करेगा। इसके बाद ही यह नया नियम लागू होगा। नियम बदलने के बाद जो भी 12वीं पास छात्र मेडिकल फिटनेस और अन्य टेस्ट पास करेगा वह पायलट बनने के लिए लायक माना जाएगा।
बता दें कि साल 1990 के दशक के मध्य से अब तक भारत में कमर्शियल पायलट ट्रेनिंग केवल साइंस स्ट्रीम के छात्रों के लिए थी। इससे पहले केवल 10वीं पास होना ही काफी था। कई सीनियर पायलट्स ने इसे पुराना और बेकार नियम बताया है। तमाम सीनियर सीनियर पायलट्स का मानना है कि किसी पायलट को जितनी फिजिक्स और मैथ्स की जरूरत होती है, वह स्कूल के शुरुआती सालों में ही मिल जाती है। इसी वजह से पिछले कुछ सालों में हजारों आर्ट्स और कॉमर्स के छात्रों को ओपन स्कूल से फिजिक्स और मैथ्स की दोबारा परीक्षा देनी पड़ती थी, जिससे वे कमर्शियल पायलट बनने की ट्रेनिंग ले सकें।
देश में एयरलाइनें अपने कारोबार का विस्तार कर रही हैं। इससे प्रशिक्षित पायलटों में मांग में बढ़त हो रही है। अगर इस सिफारिश को मंजूरी मिल जाती है, तो इससे पायलट ट्रेनिंग अधिक समावेशी और सुलभ हो जाएगी। इससे भारत में प्रशिक्षित पायलटों की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।