Paytm Shares: वित्त मंत्रालय का एक बयान, 10% टूट गया पेटीएम का शेयर

Paytm Shares: फिनटेक कंपनी पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्यूनिकेशंस के शेयरों को बेचने की ऐसी होड़ मची कि शेयर करीब 10% टूट गए। इसके शेयरों की यह ताबड़तोड़ बिकवाली वित्त मंत्रालय के एक स्पष्टीकरण पर शुरू हुई। जानिए वित्त मंत्रालय ने किस मामले में सफाई दी है जिसके झटके में शेयर बुरी तरह झुलस गए?

अपडेटेड Jun 12, 2025 पर 3:56 PM
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Paytm Shares: यूपीआई लेन-देन पर कोई मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) नहीं वसूला जाएगा, वित्त मंत्रालय के इस स्पष्टीकरण पर पेटीएम के शेयर धड़ाम से गिर गए।

Paytm Shares: यूपीआई लेन-देन पर कोई मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) नहीं वसूला जाएगा, वित्त मंत्रालय के इस स्पष्टीकरण पर पेटीएम के शेयर धड़ाम से गिर गए। पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्यूनिकेशंस को केंद्रीय मंत्रालय के इस स्पष्टीकरण से इतना बड़ा शॉक लगा कि शेयर 10% टूट गए। निचले स्तर पर खरीदारी के बावजूद शेयर अब भी काफी कमजोर स्थिति में हैं। आज बीएसई पर यह 6.77% की गिरावट के साथ ₹895.15 पर बंद हुआ है। इंट्रा-डे में यह 10% टूटकर ₹864.20 तक आ गया था। निफ्टी मिडकैप 100 का आज यह टॉप लूजर है। एक साल में शेयरों के चाल की बात करें तो पेटीएम के शेयर पिछले साल 12 जून 2024 को एक साल के निचले स्तर ₹376.85 और 17 दिसंबर 2024 को एक साल के हाई ₹1063 पर थे।

वित्त मंत्रालय ने क्यों दी सफाई जिससे ढह गया Paytm का शेयर?

कुछ रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया जा रहा है कि सरकार बैंकों और पेमेंट सॉल्यूशन प्रोवाइडर्स को सपोर्ट करने के लिए ₹3,000 और इससे ऊपर के लेनदेन पर MDR लागू करने की योजना बना रही है। रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि सरकार बैंकों को मर्चेंट टर्नओवर के बजाय ट्रांजैक्शन वैल्यू पर एमडीआर लगाने की मंजूरी दे सकती है। इसके चलते पेटीएम के शेयर तीन महीने के हाई ₹978 तक पहुंच गए थे। इसे लेकर वित्त मंत्रालय ने आखिरकार 11 जून को X (पूर्व नाम Twitter) पर सफाई दी कि यूपीआई ट्रांजैक्शन पर एमडीआर लागू किए जाने की अटकलें और दावे पूरी तरह से गलत, बिना आधार के और भ्रामक हैं। मंत्रालय ने यह स्पष्टीकरण स्टॉक मार्केट का कारोबार बंद होने के बाद जारी किया था।


क्या है MDR?

एमडीआर वह फीस है जिसे बैंक रियल टाइम में पेमेंट्स के प्रोसेसिंग के लिए मर्चेंट्स से वसूलते हैं। पहले कार्ड पेमेंट्स पर उनसे कुल ट्रांजैक्शन वैल्यू का 1% एमडीआर चार्ज किया जाता था। बाद में वर्ष 2020 में सरकार ने देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए एमडीआर शुल्क माफ कर दिया था। इस साल की शुरुआत में पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया ने सरकार से यूपीआई ट्रांजैक्शंस पर जीरो एमडीआर की नीति पर फिर से विचार करने का आग्रह किया था और कहा था कि इस पॉलिसी के चलते डिजिटल पेमेंट्स इकोसिस्टम को वित्तीय स्थिरता जैसी चुनौतियां झेलनी पड़ रही हैं।

सरकार ने इसे लेकर इकोसिस्टम के कुछ ऑपरेशनल कॉस्ट्स की भरपाई के लिए वित्तीय प्रोत्साहन दिया लेकिन पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया का कहना है कि यूपीआई सर्विसेज बनाए रखने और विस्तार करने के लिए जरूरी ₹10 हजार करोड़ के अनुमानित सालाना लागत का केवल एक हिस्सा ही कवर करता है। इससे निपटने के लिए सरकार से सभी मर्चेंट्स के लिए रूपे डेबिट कार्ड्स पर एमडीआर और बड़े मर्चेंट्स के लिए यूपीआई पर 0.3% एमडीआर का प्रस्ताव रखा था।

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डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।

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