Business activity for September: एक निजी सर्वेक्षण के प्रारंभिक परिणामों के मुताबिक सितंबर में अब तक भारत की कारोबारी गतिविधि 60.7 से घटकर 59.3 पर आ गई है। 23 सितंबर को जारी सर्वे रिपोर्ट में दिखाया गया कि एचएसबीसी फ्लैश इंडिया कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स नौ महीनों में पहली बार 60 से नीचे गिर गया है। हालांकि कंपोजिट इंडेक्स अभी भी अपने दीर्घकालिक औसत से ऊपर कारोबार कर रहा है।
एचएसबीसी के भारत की मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, "भारत में फ्लैश कंपोजिट पीएमआई सितंबर में थोड़ी धीमी गति से बढ़ा है। ये 2024 में देखने को मिली सबसे धीमी बढ़त दिखा रहा है। इस महीने के दौरान मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टरों ने एक समान रुझान दिखाया है।"
मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि पिछले महीने के 57.5 से घटकर 56.7 पर आ गई है। जबकि सर्विस सेक्टर की गतिविधि सितंबर में घटकर 58.9 हो गई, जो पिछले महीने 60.9 पर रही थी। दूसरी ओर सर्विसेज की ग्रोथ दर पिछली तिमाही के 6.7 फीसदी से बढ़कर चार तिमाहियों के उच्चतम स्तर 7.3 फीसदी पर पहुंच गई है।
एसएंडपी ग्लोबल द्वारा संकलित ताजे एचएसबीसी फ्लैश पीएमआई सर्वेक्षण ने सितंबर के दौरान भारतीय निजी क्षेत्र में जारी मजबूत ग्रोथ का संकेत दिया, हालांकि उत्पादन और नए ऑर्डर दोनों 2024 में अब तक की सबसे धीमी दरों पर बढ़े हैं।
बता दें कि 50 का स्तर मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि में विस्तार और संकुचन के विभाजक रेखा का काम करता है। यानी मैन्युफैक्चरिंग PMI की 50 से ऊपर की रीडिंग मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधि में विस्तार का संकेत देती है। जबकि 50 से नीचे की रीडिंग मैन्युफैक्चरिंग की गतिविधि में संकुचन का संकेत होती है।
इस बीच, बेहतर कारोबारी स्थितियों के बीच रोजगार में लगातार बढ़त जारी रही। इनपुट लागत और आउटपुट प्राइस दोनों की दरें अपेक्षाकृत कम रहीं, सर्विस प्रोवाइडरों ने अपने शुल्कों में पिछले ढाई साल में सबसे धीमी गति से बढ़त की।
यह आंकड़ा माल बनाने वालों के लिए कारोबारी परिस्थितियों में और अधिक मजबूती का संकेत देता है, लेकिन सुधार की दर जनवरी के बाद सबसे कम रही है। मांग को पूरा करने में कंपनियों की मदद करने वाली बात यह रही कि स्टाफिंग स्तर में और अधिक ठोस विस्तार देखने को मिला। इससे रोजगार सृजन की दर अगस्त की तुलना में बढ़ी तथा सीरीज एवरेज से ऊपर रही।
भारतीय प्राइवेट सेक्टर में इनपुट लागत महंगाई की दर सितंबर में अपेक्षाकृत धीमी रही, हालांकि अगस्त की तुलना में इसमें थोड़ी बढ़त हुई है। नवीनतम सर्वेक्षण अवधि में आउटपुट प्राइस महंगाई की दर भी धीमी रही। ये सीरीज एवरेज से थोड़ा नीचे रही।
सितंबर में उत्पादन और नए ऑर्डरों में धीमी ग्रोथ के बावजूद, भारत में कंपनियां इस बात को लेकर पूरी तरह आशावादी हैं कि आने वाले वर्ष में व्यावसायिक गतिविधि बढ़ेगी।