पीपीएफएएस म्यूचुअल फंड के सीआईओ राजीव ठक्कर ने अमेरिका की दिग्गज 7 टेक्नोलॉजी कंपनियों के शेयरों की वैल्यूएशंस को सही बताया। इन कंपनियों को 'मैग्निफिसंट सेवेन' कहा जाता है। इनमें अल्फाबेट, एमेजॉन, एपल, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट, एनवीडिया और टेस्ला शामिल हैं। उनका मानना है कि इन कंपनियों और नई एआई कंपनियों के बीच बड़ा फर्क है। उन्होंने निवेश के लिहाज से अमेरिकी मार्केट को चीन के सस्ते शेयरों के मुकाबले काफी सुरक्षित बताया है।
यूएस टेक्नोलॉजी कंपनियों का कैश फ्लो काफी ज्यादा
ठक्कर ने 22 नवंबर को मुंबई में PPFAS के एनुअल शेयरहोल्डर्स मीटिंग में कई महत्वपूर्ण बातें बताईं। उन्होंने कहा, "Alphabet, Meta, Amazon और Microsoft जैसी कंपनियां भारी कैश फ्लो जेनरेट करती हैं। इनकी तुलना भारी निवेश कर रहीं AI कंपनियों या साइक्लिकल चिपमेकर्स से नहीं की जानी चाहिए।" उन्होंने कहा कि एआई कंपनियां का रेवेन्यू उनके कैश बर्न के मुकाबले काफी कम है।
एनवीडिया के चिप्स की डिमांड पर पड़ सकता है असर
उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर्स बनाने वाली बड़ी कंपनियों को भी उतारचढ़ाव का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा, "NVIDIA चिप साइकिल पर निर्भर है...मार्जिन घट सकता है। हायपरस्कैलर्स अपना एआई चिप तैयार कर रहे हैं। इससे आने वाले समय में एनवीडिया के चिप्स की डिमांड पर असर पड़ सकता है।" उन्होंने अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनियों की वैल्यूएशंस की तुलना निफ्टी 50 कंपनियों की वैल्यूएशंस से करने से इनकार कर दिया।
पीपीएफएस के इक्विटी फंड का यूएस कंपनियों में निवेश
उन्होंने कहा, " मल्टीपल्स अर्निंग्स के 20, 25, 30 गुना हैं-यह बबल टेरिटरी नहीं है-और बैलेंसशीट में काफी कैश है। बर्कशायर हैथवे ने हाल में अल्फाबेट में 5 अरब डॉलर के निवेश के बारे में बताया। अगर यह वैल्यूएशन निफ्टी कंपनियों जैसी होती तो बर्कशायर ने यह नया निवेश नहीं किया होता।" पीपीएफएएस के इकलौता इक्विटी फंड ने अमेरिकी टेक्नोलॉजी शेयरों में काफी निवेश किया है। पीपीएफएएस के इक्विटी फंड का इस साल अक्तूबर में फॉरेन स्टॉक्स में 11 फीसदी निवेश था। इसमें अल्फाबेट इंक क्लास ए शेयरों की हिस्सेदारी 3.75 फीसदी, मेटा प्लेटफॉर्म्स क्लास ए शेयरों की 2.7 फीसदी और माइक्रोसॉफ्टी की 2.68 फीसदी थी।
चीन के शेयरों में निवेश में काफी रिस्क
चीन के शेयरों में ठक्कर ने कहा कि उनकी वैल्यूएशंस कम हैं, लेकिन रिस्क काफी ज्यादा है। उन्होंने कहा, "अमेरिका या यूरोप की मल्टीनेशनल कंपनियों के शेयर चीनी कंपनियों के शेयरों के मुकाबले ज्यादा अट्रैक्टिव हैं। चीन में गवर्नेंस को लेकर रिस्क है। चीन में कई प्रमुख सेक्टर्स में फॉरेन ओनरशिप पर रोक है। एडीआर स्ट्रक्चर्स की वजह से इनवेस्टर्स का रिस्क बढ़ जाता है। इन एडीआर के ओनर्स के पास वोटिंग राइट्स नहीं होता है।"