सेंसेक्स और निफ्टी ने बनाया नया रिकॉर्ड, इन 4 वजहों से शेयर बाजार ने 14 महीने बाद छुआ नया शिखर
Sensex-Nifty at Record Highs: भारतीय शेयर बाजार ने करीब 14 महीने बाद गुरुवार 27 नवंबर को एक बार फिर नया इतिहास रच दिया। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने अपने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए नया शिखर छुआ। विदेशी निवेशकों की खरीदारी और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से निवेशकों का सेंटीमेंट और मजबूत हुआ।
Sensex-Nifty at Record Highs: निफ्टी पिछले साल सितंबर में रिकॉर्ड हाई छूने के बाद 17% तक नीचे आ गया था
Sensex-Nifty at Record Highs: भारतीय शेयर बाजार ने करीब 14 महीने बाद गुरुवार 27 नवंबर को एक बार फिर नया इतिहास रच दिया। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने अपने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए नया शिखर छुआ। विदेशी निवेशकों की खरीदारी और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से निवेशकों का सेंटीमेंट और मजबूत हुआ। कारोबार के दौरान, सेंसेक्स ने 420 अंक या करीब 0.5 फीसदी की छलांग लगाकर पहली बार 86,000 के स्तर को पार किया। वहीं निफ्टी करीब 102 अंक या लगभग 0.4% बढ़कर 26,205.30 के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार को इस नई ऊंचाई तक पहुंचाने में पिछले कुछ महीनों में चार प्रमुख कारणों ने अहम भूमिका निभाई है।
1. घरेलू निवेशकों से मजबूत सपोर्ट
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों और भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद भारतीय शेयर बाजारों में घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) से आने वाले पैसे की रफ्तार मजबूत बनी रही। इसने बाजार को स्थिरता दी है। रिटेल निवेश और SIP के जरिए लगातार आ रहे निवेश ने बाजार की विदेशी पूंजी पर निर्भरता कम की है। इससे ग्लोबल उतार-चढ़ाव का असर भारतीय बाजार पर अपेक्षाकृत कम हुआ है।
Wealth1 के सीईओ नरेन अग्रवाल का कहना है कि आज घरेलू निवेशकों की मजबूत भागीदारी, शेयर मार्केट को ग्लोबल जोखिमों से बचाने वाली एक मजबूत ढाल का काम कर रही है।
विभावंगल अनुकूलकरा के मैनेजिंग डायरेक्टर सिद्धार्थ मौर्य ने बताया, "अभी की खरीदारी का एक बड़ा हिस्सा घरेलू इन्वेस्टर्स से आ रहा है जो हर ग्लोबल हेडलाइन पर रिएक्ट नहीं कर रहे हैं। SIP फ्लो अब तक के सबसे ऊंचे लेवल पर है, बैंक अच्छी तरह से कैपिटलाइज्ड हैं, और कॉरपोरेट अर्निंग्स उम्मीदों से काफी बेहतर रही हैं। इसके अलावा GDP ग्रोथ में स्थिरता और घटती महंगाई ने भी बाजार को मजबूती दी है।"
एक्सपर्ट्स का कहना है कि त्योहारों के मौसम में कारों और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसी कैटेगरी में मांग बढ़ी है। इससे रिटेल बिक्री में सुधार देखा गया। घरेलू कंज्मप्शन मजबूत रहने से दिसंबर तिमाही के नतीजे भी अच्छे रहने की उम्मीद बढ़ी है, जिसने बाजार को ग्लोबल झटकों से काफी हद तक बचाए रखा है।
2. मजबूत आर्थिक फंडामेंटल
एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के मजबूत आर्थिक फंडामेंटल्स निवेशकों के भरोसे का बड़ा आधार बनी हुई है, जहां हर गिरावट पर खरीदारी हो रही है। जैन ने कहा, "भारत में महंगाई स्थिर है, विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत हैं और कंस्ट्रक्शन गतिविधियां लगातार चल रही हैं। जबकि इसी समय कई बड़े देशों में ऊंची ब्याज दरों और मंदी के चलते ग्रोथ को लेकर चिंता जताई जा रही है।"
VT मार्केट्स के रॉस मैक्सवेल ने कहा कि पिछले दस साल में भारत की आर्थिक हालत काफी बेहतर हुई है। चालू खाता घाटा कम हुआ है और GST व दिवालियापन कानून जैसे सुधारों ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया है। IMF ने भी पुष्टि की है कि भारत आने वाले सालों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में बना रहेगा। IMF ने कहा कि वित्त वर्ष 2029 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा।
3.अर्निंग्स ग्रोथ में रिकवरी
मास्टर कैपिटल सर्विसेज के रवि सिंह ने बताया कि RBI की पॉजिटिव मॉनिटिरी पॉलिसी और अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ाने के प्रयासों से कंपनियों की आमदनी और मुनाफे दोनों में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया, "भारतीय कंपनियों ने सितंबर तिमाही में मजबूत प्रदर्शन दिखाया। कई सेक्टर्स के मुनाफे में दोहर अंकों में बढ़ोतरी देखने को मिली। ऑटो, बैंकिंग, डिस्क्रेशनरी गुड्स और FMCG जैसे सेक्टर्स इन पॉजिटिव उपायों का फायदा उठा रहे हैं।"
UTI म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर अमित प्रेमचंदानी ने रॉयटर्स को बताया कि सितंबर तिमाही के दौरान अर्निंग्स में सुधार के शुरुआती संकेत और FY26 की दूसरी छमाही में और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद ने बाजार में तेजी का माहौल बनाया है।
4. वैल्यूएशन हुआ आकर्षक
पिछले साल सितंबर में रिकॉर्ड हाई छूने के बाद निफ्टी में 17% तक की गिरावट आई थी। इस गिरावट ने भारतीय बाजारों को को दूसरे इमर्जिंज बाजारों की तुलना में वैल्यूएशन के लिहाज से अधिक आकर्षक बना दिया। बजाज ब्रोकिंग के मुताबिक, MSCI India Index इस साल सिर्फ 6% चढ़ा है, जबकि अमेरिका और कई दूसरे इमर्जिंग मार्केट इस दौरान 20 से 35% तक का रिटर्न दे चुके हैं। इसने भारतीय शेयरों के वैल्यूएशन को संतुलित किया है, जिससे करेक्शन का जोखिम भी कम हुआ है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि आकर्षक वैल्यूएशन की वजह से FII का विश्वास फिर वापस लौटता दिख रहा है। स्थिर नीतियां, मजबूत बैंकिंग सिस्टम और घरेलू मांग में मजबूती भारतीय बाजार को ग्लोबल मार्केट्स के मुकाबले मजबूत स्थिति में खड़ा करती हैं। रॉयटर्स के मुताबिक, निफ्टी इस समय अपने 12 महीने के फॉरवर्ड अर्निंग्स पर 22.3x–22.7x PE के बीच ट्रेड कर रहा है। यह इसके 14 महीने पहले के 23x–25x PE से नीचे है।
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