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RBI Monetary Policy: बड़े इंतहान से कम नहीं इस बार की पॉलिसी, जानिए आरबीआई से मार्केट और इंडस्ट्री को क्या-क्या उम्मीदें हैं

आरबीआई की 1 अक्टूबर की मॉनेटरी पॉलिसी को लेकर इकोनॉमिस्ट्स की राय बंटी हुई है। लेकिन, ज्यादातर इकोनॉमिस्ट्स का मानना है कि केंद्रीय बैंक के पास इंटरेस्ट रेट में एक और कमी करने की गुंजाइश है

अपडेटेड Sep 30, 2025 पर 6:35 PM
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अगर आरबीआई FY27 की पहली तिमाही के इनफ्लेशन के अनुमान को घटाकर 4 फीसदी तक लाता है तो इसे मॉनेटरी पॉलिसी में नरमी का संकेत के रूप में देखा जाएगा।

आरबीआई के लिए 1 अक्टूबर की मॉनेटरी पॉलिसी बड़े इंतहान से कम नहीं है। वह अपना रुख नरम बनाए रखने की कोशिश कर सकता है। वह इस फाइनेंशियल ईयर की इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को बढ़ा सकता है। वह इनफ्लेशन के अपने अनुमान को भी घटा सकता है। इसलिए इस पॉलिसी पर करीबी नजरें हैं।

मार्केट्स की पॉलिसी से उम्मीदें

मार्केट्स RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) से इंटरेस्ट रेट में कमी नहीं चाहता है। वह आरबीआई के रुख को लेकर स्पष्टता चाहता है। वह मॉनेटरी पॉलिसी को लेकर आरबीआई के रुख में नरमी चाहता है। इसके लिए सिर्फ इनफ्लेशन के अनुमान में कमी पर्याप्त नहीं होगा। आरबीआई को  साफ तौर पर यह कहना होगा कि अगर ग्रोथ पर दबाव बनता है तो वह जरूरी कदम उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।


इकोनॉमिस्ट्स की राय बंटी हुई

आरबीआई की 1 अक्टूबर की मॉनेटरी पॉलिसी को लेकर इकोनॉमिस्ट्स की राय बंटी हुई है। लेकिन, ज्यादातर इकोनॉमिस्ट्स का मानना है कि केंद्रीय बैंक के पास इंटरेस्ट रेट में एक और कमी करने की गुंजाइश है। लेकिन, इस बात पर सहमति नहीं है कि इंटरेस्ट रेट में यह कमी आरबीआई 1 अक्टूबर को करेगा या इसके लिए दिसंबर या फरवरी की अपनी मॉनेटरी पॉलिसी का इंतजार करेगा। सीएनबीसीटीवी18 के पोल के नतीजों के मुताबिक, 1 अक्टूबर को आरबीआई रेपो रेट नहीं घटाएगा।

रेट घटने पर मार्केट में खुशी

चूंकि इस बार इंटरेस्ट रेट में कमी की उम्मीद कम है, इसलिए अगर आरबीआई ने रेट घटाया तो यह मार्केट के लिए सुखद आश्चर्य जैसा होगा। इससे स्टॉक मार्केट्स में तेजी (बैंकों के शेयरों को छोड़) दिख सकती है। शॉर्ट टर्म बॉन्ड्स की कीमतों को सपोर्ट मिल सकता है, जबकि लॉन्ग टर्म बॉन्ड्स पर दबाव दिख सकता है। उनकी यील्ड बढ़ सकती है, क्योंकि रेपो रेट में कमी को इस साइकिल की आखिरी कमी के रूप में देखा जाएगा।

इनफ्लेशन के अनुमान पर नजर

मार्केट्स की नजरें जिस दूसरी चीज पर सबसे ज्यादा लगी हैं, वह आरबाई के अनुमान हैं। अगस्त की मॉनेटरी पॉलिसी में एक साल आगे के इनफ्लेशन के अनुमान ने मार्केट को चौंकाया था। केंद्रीय बैंक ने कहा था कि FY27 की पहली तिमाही में इनफ्लेशन 4.9 फीसदी रह सकता है। इससे इंटरेस्ट रेट में कमी की उम्मीद खत्म हो गई थी। अब जब जीएसटी रेट्स घट गए हैं और इनफ्लेशन में तेज गिरावट आई है तो आरबीआई FY26 के औसत इनफ्लेशन के अनुमान FY27 की पहली तिमाही के अनुमान को घटा सकता है।

इनफ्लेशन अनुमान में कमी का मतलब

अगर आरबीआई FY27 की पहली तिमाही के इनफ्लेशन के अनुमान को घटाकर 4 फीसदी तक लाता है तो इसे मॉनेटरी पॉलिसी में नरमी का संकेत के रूप में देखा जाएगा। FY26 के औसत इनफ्लेशन का आरबीआई का अनुमान 3.1 फीसदी था। सीएनबीसीटीवी18 के पोल में यह 2.5 फीसदी आया है। इसका मतलब है कि आरबीआई के FY26 के औसत इनफ्लेशन के नए अनुमान का मार्केट के मूड पर अच्छा असर पड़ेगा।

ग्रोथ के अनुमान पर भी टिकी नजरें

इकोनॉमिक ग्रोथ के आरबीआई के नए अनुमान पर भी मार्केट की करीबी नजरें होंगी। इस बात की ज्यादा संभावना है कि वह FY26 में ग्रोथ के अनुमान को बढ़ाएगा। सीएनबीसीटीवी18 के पोल के 6.7 फीसदी के अनुमान के करीब अपना अनुमान व्यक्त कर सकता है। पहले उसने इस वित्त वर्ष में ग्रोथ के लिए 6.5 फीसदी का अनुमान दिया था। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इकोनॉमिक ग्रोथ 7.8 फीसदी रही। यह आरबीआई के अनुमान से काफी अधिक है।

ग्रोथ के अनुमान में कमी का मतलब

आरबीआई ने FY26 की तीसरी तिमाही में ग्रोथ 6.6 फीसदी, चौथी तिमाही में 6.3 फीसदी और FY27 की पहली तिमाही में 6.6 फीसदी का अनुमान दिया है। अगर वह इन अनुमान में कमी करता है तो बॉन्ड मार्केट पर इसका पॉजिटिव असर पड़ेगा। लेकिन, स्टॉक मार्केट्स पर इसका अच्छा असर नहीं पड़ेगा। इंडस्ट्रीज, बैंकर्स, इकोनॉमिस्ट्स और सरकार के लिए आरबीआई के ग्रोथ के अनुमान सबसे ज्यादा अहम हैं। बाजार की खास नजरें आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी के लैंग्वेज पर होगी।

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