शेयरों के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) के नियम 1 अक्टूबर से बदलने जा रहे हैं। मार्केट-वाइड पोजीशन लिमिट (एमडब्ल्यूपीएल) की परिभाषा सेबी ने बदल दी है। बैन पीरियड में स्टॉक में पोजीशन के नियम बदल गए हैं। इंडेक्स ऑप्शंस में इंट्राडे पोजीशन लिमिट की मॉनिटरिंग अब नए तरीके से होगी। अब सिंगल स्टॉक्स में इंडिविजुअल एंटिटी लेवल पोजीशन लिमिट होगी।
मार्केट-वाइड पोजीशन लिमिट (MWPL) या अनुमति प्राप्त दांव लगाने की अधिकतम संख्या अब स्टॉक के कैश वॉल्यूम और फ्री फ्लोट से लिंक्ड होगी। बहुत ज्यादा पोजीशन बनने से रोकना इसका मकसद है। यह लिमिट फ्री फ्लोट का 15 फीसदी या सभी एक्सचेंजों पर कैश वॉल्यूम के 65 गुना में से जो कम होगा वह लागू होगी।
मैनिपुलेशन का रिस्क घटेगा
अभी MWPL का फॉर्मूला किसी स्टॉक में नॉन-प्रमोटर्स के शेयरों की संख्या के 20 फीसदी पर आधारित है। MWPL का हर तीन महीने पर दोबारा कैलकुलेशन होगा, जो पिछले तीन महीने के पारियड में रोलिंग कैश वॉल्यूम पर आधारित होगा। सेबी का मानना है कि MWPL को कैश मार्केट के डिलीवरी वॉल्यूम से लिंक्ड करने से मैनिपुलेशन का रिस्क घटेगा। साथ ही यह अंडरलाइंग कैश मार्केट लिक्विडिटी के डेरिवेटिव रिस्क को पहले से बेहतर मैनेज करेगा।
बैन पीरियड में भी एफएंडओ स्टॉक्स में ट्रेड की इजाजत
1 अक्टूबर से बैन पीरियड में भी एफएंडओ स्टॉक्स में ट्रेड की इजाजत होगी। शर्त यह है कि इससे पोर्टफोलियो रिस्क में कमी आना चाहिए। सेबी ने कहा है कि बैन पीरियड में किसी स्टॉक की एंट्री के बाद एंड ऑफ डे बेसिस पर FutEq में कमी आनी चाहिए। अभी अगर स्टॉक बैन पीरियड में एंटर करता है तो कोई नई पोजीशन क्रिएट नहीं की जा सकती है। किसी शेयर के लिए अगर एक बार मार्केट-वाइड ओपन इंटरेस्ट उस स्टॉक के MWPL से 95 फीसदी से ज्यादा हो जाता है तो ट्रेडर्स और ब्रोकर्स पोजीशन ऑफसेट कर अपनी पोजीशन घटाने के लिए ट्रेड कर सकते हैं।
इंट्राडे पोजीशंस के लिए नई लिमिट
इंडेक्स डेरिवेटिव्स में ओवरसाइज एक्सपोजर को रोकने के लिए नेट इंट्रा डे पोजीशंस के लिए प्रति एंटिटी 5,000 करोड़ रुपये की लिमिट होगी। ग्रॉस इंट्राडे पोजीशंस के लिए 10,000 करोड़ रुपये की लिमिट होगी। एक्सचेंजों को ट्रेडिंग सेशन के दौरान कम से कम चार रैंडम स्नैपशॉट के जरिए पोजीशंस की मॉनिटरिंग करनी होगी। एक्सपायरी वाले दिनों पर लिमिट के उल्लंघन पर पेनाल्टी लगेगी या सर्विलांस डिपॉजिट करना होगा। हालांकि, सिक्योरिटीज की पूरी बैकिंग या कैश कोलैटरल होने पर एडिशिनल एक्सपोजर की इजाजत होगी। एक्सपायरी वाले दिनों में पेनाल्टी के प्रावधान 6 दिसंबर, 2025 से लागू होंगे।
सिंगल स्टॉक में MWPL की लिमिट के नए नियम
सिंगल स्टॉक डेरिवेटिव्स के लिए नई पोजीशन लिमिट इंडिविजुअल्स के लिए MWPL का 10 फीसदी तय की गई है। प्रॉपरायटरी ब्रोकर्स के लिए यह 20 फीसदी और एफपाई और ब्रोकर्स के लिए यह कुल 30 फीसदी होगी। सेबी ने इस साल मई में इन उपायों का ऐलान किया था। सेबी ने अब यह भी कहा है कि आगे अतिरिक्त कदम कुछ चरणों में उठाए जाएंगे। 3 नवंबर से नॉन-बेंचमार्क इनडाइसेज पर डेरिवेटिव्स के लिए एलिजिबिलिटी के नए नियम लागू होंगे। 6 दिसंबर से एफएंडओ सेगमेंट के लिए भी प्री-ओपन और पोस्ट क्लोजिंग सेशंस होंगे।
एफएंडओ में बहुत ज्यादा स्पुकेलशन रोकना सेबी का मकसद
सेबी ने नियमों में ये बदलाव बहुत ज्यादा स्पेकुलेशन को रोकने और एफएंडओ सेगमेंट में मार्केट स्टैबिलिटी को मजबूती देने के लिए किए हैं। इस बारे में सेबी ने इस साल मई में सर्कुलर इश्यू किया था। इसमें से कुछ उपाय जुलाई से लागू हो गए थे। बाकी अब चरणों में लागू किए जा रहे हैं। एक-दो सालों में सेबी का फोकस स्पेकुलेटिव एक्टिविटी रोकन पर बढ़ा है।