F&O trading : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 6 नवंबर को साफ कहा कि सरकार फ्यूचर्स और ऑप्शन्स (F&O) ट्रेडिंग को बंद करने का कोई इरादा नहीं है। मुंबई में SBI बैंकिंग और इकोनॉमिक्स कॉन्क्लेव 2025 में वित्त मंत्री ने कहा, 'सरकार का काम अड़चनों हटाना है और उन पर काम करना है।' उन्होंने यह भी कहा कि F&O से जुड़े जोखिमों को समझना निवेशकों की जिम्मेदारी है।
क्यों उठ रहा है F&O पर सवाल?
इस साल की शुरुआत में कई रिपोर्ट्स आई थीं कि सरकार कैश मार्केट का वॉल्यूम बढ़ाना चाहती है और वीकली एक्सपायरी के जरिए होने वाली सट्टेबाजी को कम करने की सोच रही है।
पिछले महीने सेबी प्रमुख तुहिन कांता पांडेय ने भी कहा था कि वीकली F&O एक्सपायरी को यूं ही बंद नहीं किया जा सकता, क्योंकि बहुत सारे मार्केट पार्टिसिपेंट इसका इस्तेमाल करते हैं।
सेबी की चिंता: छोटे निवेशकों की सुरक्षा
पांडेय ने BS BFSI समिट में कहा था, 'वीकली F&O एक्सपायरी संवेदनशील मसला है। इसमें कई बारीकियां हैं। डेरिवेटिव्स मार्केट में जो समस्याएं हैं, उन्हें सेबी ने उजागर किया है। जरूरत है कि कम तजुर्बे वाले निवेशकों के बीच दिखने वाला गैरजरूरी उत्साह कंट्रोल में रहे।' उन्होंने कहा कि सेबी इस मुद्दे पर आगे भी डेटा एनालिसिस करता रहेगा।
भारत को चाहिए बड़े और वर्ल्ड-क्लास बैंक
वित्त मंत्री सीतारमण ने कॉन्क्लेव में कहा कि भारत को बड़े और मजबूत बैंक चाहिए। इस दिशा में सरकार, आरबीआई और बैंकों के बीच चर्चा चल रही है।
उन्होंने बैंकों से उद्योग के लिए कर्ज प्रवाह बढ़ाने की अपील की। उनका कहना था कि GST रेट कट के चलते मांग में आए उछाल से नया निवेश चक्र शुरू होने की संभावना है। सीतारमण ने दोहराया कि सरकार बड़े और वर्ल्ड-क्लास बैंकों पर काम कर रही है और इस दिशा में प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
सरकार का फोकस: बुनियादी ढांचे में निवेश
निजीकरण अभियान के तहत जनवरी 2019 में सरकार ने IDBI Bank में अपनी 51% हिस्सेदारी LIC को बेची थी। उन्होंने यह भी कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। पिछले दस सालों में कैपिटल एक्सपेंडिचर पांच गुना बढ़ चुका है।