भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग के नतीजे 6 दिसंबर को आने वाले हैं। ऐसे में निवेशकों की नजर कल RBI के फैसले पर बनी रहेगी। आज के कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी में 1 फीसदी की तेजी आई है। आज लगातार पांचवें दिन शेयर बाजार बढ़त के साथ बंद हुआ है। RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने अक्टूबर की मीटिंग में लगातार 10वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था और इसे 6.50 फीसदी पर ही बरकरार रखा था। हालांकि RBI ने अपने रुख को बदलकर 'न्यूट्रल' कर दिया था। ऐसे में सवाल यह है कि अगर कल रेपो रेट में कटौती नहीं की जाती है तो सेंसेक्स और निफ्टी का क्या होगा?
अर्थशास्त्रियों ने रेपो दर के इस बार भी बरकरार रहने की जताई उम्मीद
ब्लूमबर्ग और मनीकंट्रोल के सर्वे में अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने उम्मीद जताई है कि RBI हाई इनफ्लेशन और अक्टूबर की बैठक में न्यूट्रल पॉलिसी रुख का हवाला देते हुए रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखेगा। हालांकि, कुछ लोगों का अनुमान है कि CRR में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की जाएगी, जिससे बैंकिंग सिस्टम में 1-1.25 लाख करोड़ रुपये आ सकते हैं, जिससे संभावित रूप से क्रेडिट ग्रोथ और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
जुलाई-सितंबर की अवधि में जीडीपी ग्रोथ में उम्मीद से अधिक गिरावट के हालिया आर्थिक आंकड़ों ने इस बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या रिस्ट्रिक्टिव मॉनेटरी पॉलिसी एक्टिविटी को धीमा कर रही हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे लिक्विडिटी बढ़ाने वाले उपायों की जरूरत बढ़ गई है।
शेयर बाजार पर क्या होगा असर?
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज में इक्विटी स्ट्रैटेजी के डायरेक्टर क्रांति बाथिनी ने कहा, "अमेरिका में दरों में कटौती का चक्र शुरू हो चुका है, हालांकि भारत में अभी इसकी शुरुआत होनी है। आरबीआई भी जल्द ही दरों में कमी करना शुरू कर देगा, भले ही कल की मौद्रिक नीति घोषणा में ऐसा न हो। दूसरी छमाही में दरों में कटौती की संभावना के साथ, इंटरेस्ट रेट-सेंसिटिव सेक्टर्स को लाभ हो सकता है।"
रेलिगेयर ब्रोकिंग के SVP-रिसर्च अजीत मिश्रा ने कहा कि बाजार लिक्विडिटी उपायों की उम्मीद कर रहा है। लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि "अगर स्थिति कुछ और रही तो बैंकिंग सेक्टर में अचानक से कोई बदलाव देखने को मिल सकता है।"
द स्ट्रीट्स के फंड मैनेजर और ट्रेडिंग स्ट्रैटेजिस्ट कुणाल रंभिया ने कहा, "अगर चीजें उम्मीद के मुताबिक नहीं होती हैं, तो हम अच्छी मुनाफावसूली देख सकते हैं। इंडेक्स ऐसे ऊंचे स्तरों पर अच्छा रिस्क-रिवॉर्ड नहीं दे सकते, लेकिन स्टॉक-स्पेशिफिक एप्रोच अधिक लॉजिकल है।" आनंद राठी के फंडामेंटल रिसर्च के हेड नरेंद्र सोलंकी ने भी इसी तरह का विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "बाजार ने दिसंबर में दरों में कटौती न होने की संभावना पहले ही मान ली है। गवर्नर की टिप्पणी पर बारीकी से नजर रखी जाएगी।"
अनिश्चितता के बावजूद FII के मजबूत निवेश से गुरुवार को भारतीय इक्विटी बाजारों में उछाल आया। BSE सेंसेक्स 800 से अधिक अंकों की उछाल के साथ 81,765 पर बंद हुआ, जबकि NSE निफ्टी 240 अंकों से अधिक की बढ़त के साथ 24700 से ऊपर बंद हुआ। हैवीवेट शेयरों में अच्छी खरीदारी देखने को मिली।
नोमुरा के भारत अर्थशास्त्री ऑरोदीप नंदी को उम्मीद है कि संभावित रूप से 25 बेसिस प्वाइंट की रेपो रेट में कटौती और 50 बेसिस प्वाइंट की CRR में कटौती की जा सकती है, हालांकि उन्होंने ब्रॉडर चैलेंजेस को स्वीकार किया। उन्होंने सीएनबीसी टीवी18 के साथ बातचीत में कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था चक्रीय मंदी में है। लोअर क्रेडिट ग्रोथ घरेलू मांग को प्रभावित करेगी, और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकारी खर्च को बढ़ाने की जरूरत है।"
क्रांति बाथिनी ने कहा कि पॉलिसी की घोषणा के बाद बाजार की दिशा इस बात पर निर्भर करेगी कि गवर्नर दास Imminent Easing Cycle का संकेत देते हैं या मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए सतर्क रुख बनाए रखते हैं। रेपो रेट में कमी किए बिना भी CRR में कटौती से बाजार को लिक्विडिटी में वह बूस्ट मिल सकता है जिसकी उसे तलाश है।
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