RBI Monetary Policy : भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बुधवार, 1 अक्टूबर को रेपो दर को 5.50 प्रतिशत पर बरकरार रखते हुए पॉलिसी पर तटस्थ रुख बनाए रखने का फैसला लिया। इस साल की शुरुआत में कुल 100 बेसिस प्वाइंट की तीन कटौतियों के बाद यह लगातार दूसरा विराम है। दर निर्धारण के साथ ही, आरबीआई ने इस वित्त वर्ष के लिए अपने महंगाई के पूर्वानुमान को घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया। इसके साथ अमेरिकी टैरिफ और खराब ग्लोबल परिस्थितियों के कारण निर्यात पर पड़ने वाले प्रभाव की चेतावनी के बावजूद जीडीपी ग्रोथ अनुमान को बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है।
GDP ग्रोथ अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% किया गया
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खरीफ फसलों की अच्छी बुआई से ग्रोथ की उम्मीद बढ़ी है। घरेलू मांग में भी बढ़ोतरी दिख रही है। अच्छे मॉनसून से भारत की इकोनॉमी मजबूत हुई है। टैरिफ और ट्रेड अनिश्चितता से डिमांड पर असर पड़ सकता है। FY26 के लिए GDP अनुमान बढ़ाया गया है। FY26 रियल GDP अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% किया गया है। Q2 GDP ग्रोथ अनुमान 6.7% से बढ़ाकर 7% किया गया है। वहीं, Q3 GDP ग्रोथ अनुमान 6.6% से घटाकर 6.4% किया गया है। जबकि, Q4 GDP ग्रोथ अनुमान 6.3% से घटाकर 6.2% किया गया है। FY27 Q1 GDP ग्रोथ अनुमान 6.6% से घटकर 6.4% किया गया है।
आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि जीएसटी में किए गए सुधार महंगाई के दबाव को कम करने में मदद कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत तक के हाई अमेरिकी टैरिफ से बाहरी मांग में कमी आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सरकारी नीतिगत उपायों के सपोर्ट से घरेलू इकोनॉमी अब तक मजबूत बनी हुई है, लेकिन खराब परिस्थितियों और टैरिफ संबंधी परेशानियों के कारण सावधानी बरतने की जरूर है।