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RBI Project Finance: क्या है प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग के लिए RBI का नया नियम, इससे किन कंपनियों के शेयरों में आएगा उछाल?

RBI Project Finance: आरबीआई की नई गाडइडलाइंस उम्मीद के मुकाबले कम सख्त हैं। इससे बैंकों को इंडस्ट्रियल और इंफ्राप्रोजेक्ट्स के लिए लोन देने में आसानी होगी। इंफ्राप्रोजेक्ट्स में रोड, पोर्ट्स और पावर प्लांट्स आते हैं। आरबीआई के नए नियमों का सबसे ज्यादा असर पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC) और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन (REC) जैसी कंपनियों पर पड़ेगा

अपडेटेड Jun 20, 2025 पर 11:04 AM
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20 जून को RBI के नए प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग नियमों का असर REC, PFC और IREDA के शेयरों पर देखने को मिला।

आरबीआई ने 19 जून को प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग के लिए नई गाइडलाइंस जारी कर दी। इसके मुताबिक, बैंकों को कमर्शियल रियल एस्टेट (सीआरई) प्रोजेक्ट के लिए 1.25 फीसदी का जनरल प्रोविजन मेंटेन करना होगा। कमर्शियल रियल एस्टेट-रेजिडेंशियल हाउसिंग (सीआरई-आरएच) और दूसरे पोर्टफोलियो के लिए 1 फीसदी प्रोविजन मेंटेन करना होगा। यह प्रोविजनिंग कंस्ट्रक्शन फेज के लिए है।

ऑपरेशन फेज के दौरान कम प्रोविजनिंग

केंद्रीय बैंक ने कहा है कि ऑपरेशन फेज के दौरान बैंकों और NBFC को कमर्शियल रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के लिए 1 फीसदी प्रोविजन मेंटेन करना होगा। यह लोन पर प्रिंसिपल और इंटरेस्ट का रीपेमेंट शुरू होने के बाद लागू होगा। सीआरई-आरएच के मामले में यह 0.75 फीसदी और सभी दूसरे प्रोजेक्ट्स के मामले में 0.40 फीसदी होगा।


बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को बड़ी राहत

बैंकों को इस गाइडलाइंस से काफी राहत मिली है, क्योंकि यह ड्राफ्ट गाइडलाइंस में प्रस्तावित प्रोविजनिंग के मुकाबले काफी कम है। ड्राफ्ट गाइडलाइंस में कहा गया था कि बैंकों को कंस्ट्रक्शन फेज वाले प्रोजेक्ट्स के लोन के लिए 5 फीसदी प्रोविजनिंग करनी पड़ेगी। ऑपरेशनल फेज में इसे घटाकर 2.5 फीसदी करने का प्रस्ताव था। उसके बाद प्रोजेक्ट जब कैश जेनरेट शुरू कर देगा तो इसे घटाकर 1 फीसदी करने का प्रस्ताव था।

1 अक्टूबर से लागू होगी नई गाइडलाइंस

RBI की यह नई गाइडलाइंस 1 अक्टूबर, 2025 से लागू होगी। हालांकि, इस साल फरवरी में आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा था कि प्रोजेक्ट्स फाइनेंसिंग पर प्रोविजनिंग के नए नियम एक साल के लिए टाले जा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि ये 31 मार्च, 2026 से पहले लागू नहीं हो पाएंगे। केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि बैंकों को प्रोजेक्ट्स के प्रदर्शन पर नजर रखनी होगी। अगर उन्हें किसी प्रोजेक्ट पर दबाव दिख रहा है तो पहले से ही उसके लिए रिजॉल्यूशन प्लान शुरू करने के लिए तैयार रहना होगा।

एनपीए के अपग्रेडेशन के लिए गाइडलाइंस

आरबीआई की नई गाइडलाइंस के मुताबिक, बैंकों को ऐसे किसी तरह के क्रेडिट की जानकारी सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ इंफॉर्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट (CRILC) को देनी होगी। यह जानकारी हर हफ्ते और CRILCMain रिपोर्ट में देनी होगी। बैंक को लोन लेने वाली कंपनी के अकाउंट का रिव्यू करना होगा। केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि NPA का अपग्रेडेशन तभी होगा जब अकाउंट का प्रदर्शन संतोषजनक लगेगा।

नए नियम उम्मीद के मुकाबले कम सख्त

एक्सपर्ट्स का कहना है कि आरबीआई की नई गाडइडलाइंस उम्मीद के मुकाबले कम सख्त हैं। इससे बैंकों को इंडस्ट्रियल और इंफ्राप्रोजेक्ट्स के लिए लोन देने में आसानी होगी। इंफ्राप्रोजेक्ट्स में रोड, पोर्ट्स और पावर प्लांट्स आते हैं। आरबीआई के नए नियमों का सबसे ज्यादा असर पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC) और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन (REC) जैसी कंपनियों पर पड़ेगा। दोनों ने प्रोजेक्ट्स के लिए 16 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन दिए हैं। IREDA को भी आरबीआई के नए नियमों से फायदा होगा।

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इन कंपनियों के शेयरों में उछाल

20 जून को RBI के नए प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग नियमों का असर REC, PFC और IREDA के शेयरों पर देखने को मिला। पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन का स्टॉक सुबह में 4.96 फीसदी चढ़कर 410 रुपये पर चल रहा था। REC का शेयर 3.74 फीसदी के उछाल के साथ 399.50 रुपये था। IREDA का शेयर 2.76 की मजबूती के साथ 163.25 रुपये था।

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